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एनआरसीसी में पशुधन फिनोम डाटा विश्लेषण एवं व्याख्या पर 10 दिवसीय पाठ्यक्रम का समापन

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बीकानेर 12.01.2024 । भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा ‘जीनोमिक्स के युग में पशुधन फिनोम डेटा रिकॉर्डिंग विश्लेषण एवं व्याख्या में नूतन विकास’ विषयक 10 दिवसीय लघु पाठ्यक्रम का आज समापन हुआ। इस लघु पाठ्यक्रम में देश के अलग-2 राज्यों – असम, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात और उत्तरप्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय, आईसीएमआर, एनडीडीबी, बीएचयू के सह एवं सहायक आचार्य, अनुसंधानकर्त्ता तथा विषय-विशेषज्ञों सहित कुल 26 प्रतिभागियों ने सहभागिता निभाईं ।
पाठ्यक्रम के समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ.पी.के.राउत, वैज्ञानिक सलाहकार, महानिदेशक (आईसीएआर) कार्यालय, नई दिल्ली ने कहा कि हमारा देश बड़े सपने व लक्ष्य के साथ विकसित भारत की ओर तेजी से अग्रसर है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए हमें उत्पादन को 2047 तक 4 गुणा बढ़ाने की जरूरत है तथा उत्पादन बढ़ाने के लिए हमें नूतन फीनोटाइप के आधार पर पशुओं का चयन करना होगा। डॉ.राउत ने ऊँट को अनुकूलनीयता की दृष्टि से श्रेष्ठ पशु प्रजाति बताते हुए ऊँटनी के दूध की मानव स्वास्थ्य हेतु इसकी औषधीयता उपयोगिता के प्रति जागरूकता पैदा करने हेतु पशु हितधारकों की भूमिका को अहम बताया। मुख्य अतिथि ने जीनोमिक प्रोडेक्शन को नीति निर्माण हेतु मुख्य पहलू बताते हुए फिनोम, जीनोम की उपयोगिता, नए फीनोटाइप का संग्रहण तथा उसके विश्लेषण के महत्वपूर्ण होने की बात कही।
समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केन्द्र के निदेशक डॉ.आर्तबन्धु साहू ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित इस 10 दिवसीय पाठ्यक्रम में व्याख्यानों एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण के माध्यम संप्रेषित विषयगत जानकारी को एक अच्छा अवसर बताया। केन्द्र निदेशक ने इस पाठ्यक्रम को प्रायोजित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा इसके अधीन कार्यरत कृषि शिक्षा विभाग के प्रति आभार व्यक्त किया । उन्होंने पाठ्यक्रम में प्रदत्त ज्ञान को अनुसंधान कार्यक्षेत्र के लिए अनुकूल बताया तथा आशा व्यक्त की कि प्रतिभागी अर्जित ज्ञान से अपने शिक्षण अनुसंधान को और अधिक बेहतर कर सकेंगे। डॉ. साहू ने ऊँट के अनूठे फीनोटाइप के आधार पर विशिष्ट पशु के रूप में पहचान दिलाने की आवश्यकता पर बल दिया । उन्होंने ऊँट को ‘औषधी-भण्डार’ तथा विशेष खूबियों से युक्त पशु बताया तथा इस पर गहन अनुसंधान की आवश्यकता जताई ।
इस अवसर पर प्रतिभागियों ने पाठ्यक्रम के संबंध में अपनी सकारात्मक फीड बैक देते हुए ऐसे पाठ्यक्रमों की महत्ती आवश्यकता जताई। अतिथियों द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए । पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ.वेद प्रकाश, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने पाठ्यक्रम की अवधि के दौरान किए गए कार्यों संबंधी प्रतिवेदन प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि कोर्स के दौरान जीनोम तथा फीनोम डाटा के संकलन, विश्लेषण तथा व्याख्या के क्षेत्र में नए अनुसंधान पर आधारित व्याख्यान तथा प्रायोगिक सत्र आयोजित किए गए। जिनमें पशु उत्‍पादन, बायो मार्कर, जलवायु अनुकूलता इत्यादि सम्बन्धित डाटा संकलन करने की तकनीक तथा विश्लेषण विधियों को विस्तार रूप से बताया गया। कार्यक्रम का संचालन पाठ्यक्रम सह-समन्वयक डॉ. बसंती ज्योत्सना, वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा किया गया तथा धन्यवाद प्रस्ताव डॉ.सागर अशोक खुलापे, वैज्ञानिक द्वारा दिया गया

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