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एलआईसी क्लर्क की बेटी बनी लेफ्टिनेंट:UPSC की सीडीएस परीक्षा में शामिल 6000 स्टूडेंट्स में से ट्रेनिंग के लिए 17 को चुना गया, जिसमें कृतिका का नाम

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एलआईसी क्लर्क की बेटी बनी लेफ्टिनेंट:UPSC की सीडीएस परीक्षा में शामिल 6000 स्टूडेंट्स में से ट्रेनिंग के लिए 17 को चुना गया, जिसमें कृतिका का नाम

श्रीगंगानगर

श्रीगंगानगर में चयन के बाद कृतिका चुघ। - Dainik Bhaskar

श्रीगंगानगर में चयन के बाद कृतिका चुघ।

श्रीगंगानगर के प्रेमनगर की कृतिका सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की कम्बाइंड डिफेंस सर्विस परीक्षा में कृतिका ने शानदार प्रदर्शन करते हुए छह हजार स्टूडेंट्स में से देश भर में अंतिम 17 में स्थान बनाया। लिखित परीक्षा, सर्विस सलेक्शन बोर्ड इंटरव्यू, स्क्रीनिंग, कॉन्फ्रेंस, मेडिकल के कई मुश्किल दौर से होते हुए कृतिका इस मुकाम तक पहुंची। कृतिका सरकारी टीचर गीता और श्रीगंगानगर के एलआईसी ऑफिस में क्लर्क सुनील चुघ की बेटी हैं। कृतिका की मां का कहना है कि लोग कहते थे बेटा नहीं है, परिवार का नाम कैसे चलेगा, लेकिन बेटी ने नाम रोशन कर दिखाया।

श्रीगंगानगर में माता-पिता और बहन के साथ कृतिका।

श्रीगंगानगर में माता-पिता और बहन के साथ कृतिका।

करेगी सरहद की हिफाजत
कृतिका अब इंटरनेशनल बॉर्डर पर तैनात होंगी और लेफ्टिनेंट के तौर पर देश की सीमाओं की रक्षा करेंगी। उन्होंने बताया कि 21 दिन छुटि्टयों के बाद वे फिर से देश की सीमा की सुरक्षा करने के लिए लौटेंगी। उन्होंने कहा कि उनका एक ही मंत्र है, ‘ डू नॉट गिव अप ‘। आप मेहनत करो, कभी कोशिश करना मत छोड़ो चीजें खुद ब खुद ठीक हो जाएंगी।

श्रीगंगानगर लौटने के बाद केक काटने की तैयारी करती कृतिका।

श्रीगंगानगर लौटने के बाद केक काटने की तैयारी करती कृतिका।

परिवार ने बैठाया पलकों पर
कृतिका ने चयन के बाद पिछले साल मार्च से अब तक ग्यारह महीने की ट्रेनिंग की। उसकी पासिंग आउट परेड नौ मार्च को हुई। इसके बाद दस मार्च को जब वह श्रीगंगानगर में परिवार में पहुंची तो परिवार के लोगों ने केक काटकर और खुशियां मनाकर उनका स्वागत किया। दोपहर से शुरू हुआ जश्न देर शाम तक जारी था।
आर्मी ने दिया अवसर
कृतिका ने बताया कि उसे कुछ बड़ा, कुछ अलग करना था। आर्मी ज्वाइन करके वह कुछ अलग कर सकती है। कंट्री, पेरेंट्स और खुद के लिए कुछ करना था और आर्मी ने वह अवसर दिया। आर्मी ने एक एंबीशन दिया, एक डायरेक्शन दिया ।

श्रीगंगानगर में परिवार के साथ केक काटते हुए कृतिका।

श्रीगंगानगर में परिवार के साथ केक काटते हुए कृतिका।

पिता बोले कृतिका शुरू से हार्ड वर्क करने वाली
कृतिका के पिता सुनील चुघ बेटी की सफलता पर गर्व से फूले नहीं समा रहे। उनका कहना है कि बेटी शुरू से हार्ड वर्किंग रही। उसने 12वीं तक श्रीगंगानगर के नोजगे पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की। वह 12वीं तक नॉनमेडिकल में स्कूल टॉपर रही। इसके बाद स्ट्रीम बदलकर आर्ट्स में दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। वर्ष 2020 में कोराना काल में ग्रेजुएशन की। इसके बाद एमजीएस यूनिवर्सिटी बीकानेर से बीएड और इंदिरा गांधी नेशनल ओपन युनिवर्सिटी से हिस्ट्री में एमए किया।
उन्होंने बताया कि सेना में पासिंग आउट परेड से पहले आयोजन हुआ। इसमें चुघ और उनकी पत्नी गीता चुघ काे बुलाया गया और उन्हें अपनी बच्ची को देश सेवा के लिए सेना में शामिल करने पर मेडल दिया गया। उस समय उनकी खुशी की सीमा नहीं थी।
मां बोली पहले लगता था हार्ड टास्क है, अब लगता है कर लेगी
कृतिका की मां गीता चुघ ने बताया कि जब उनकी बेटी ने सीडीएस पास किया और वो सर्विस सलेक्शन बोर्ड के इंटरव्यू के लिए गई। उसने इंटरव्यू पास किया और ट्रेनिंग करने लगी तो लगता था कि बेटी को हार्ड टास्क मिला है। लेकिन अब उसकी काबिलियत देखकर लगता है कि वह इसे पूरा कर लेगी।
बहन बोली मुझे दीदी पर पूरा विश्वास
कृतिका की बहन सान्या एमबीबीएस थर्ड ईयरमें है। उसका का कहना है उसकी दीदी बहुत प्रतिभावान है। उनका डू नॉट गिव अप का फार्मूला उन्हें जरूर सफल बनाएगा। दादा किशनलाल चुघ और दादी पुष्पा देवी भी पोती की सफलता पर फूले नहीं समा रहे।

कृतिका के घर की अलमारी में रखी उसकी शील्ड्स।

कृतिका के घर की अलमारी में रखी उसकी शील्ड्स।

ऐसे हुआ सलेक्शन
कृतिका का सलेक्शन UPSC की सीडीएस परीक्षा से हुआ। इसमें करीब छह हजार स्टूडेंट्स बैठे। इसके बाद इनमें योग्यता के आधार पर देश के चार सेंटर में से प्रत्येक पर डेढ़ हजार कैंडिडेट भेजे जाने थे। इनमें से स्क्रीनिंग और कॉन्फ्रेंस के जरिए करीब पचास से साठ स्टूडेंट्स को चुना जाना था। इन साठ में से भी मेडिकल और सलेक्शन के अन्य दौर से गुजरते हुए UPSC को मैरिट जारी करनी थी। इस मैरिट में UPSC की लिखित परीक्षा और सर्विस सलेक्शन बोर्ड में परफोर्मेंस को मिलकार मैरिट बनती है। इनके आधार पर इनमें से नौ को चुना गया। इसके बाद कई अन्य मापदंडों से गुजरते हुए अंतिम तौर पर ट्रेनिंग के लिए केवल दो को चुना गया। इनमें से एक कृतिका थीं।

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