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ऑक्सीजन नहीं मिलने से बच्चे की मौत:अस्पताल में चली गई लाइट, जनरेटर में नहीं था डीजल; परिजनों का हंगामा

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ऑक्सीजन नहीं मिलने से बच्चे की मौत:अस्पताल में चली गई लाइट, जनरेटर में नहीं था डीजल; परिजनों का हंगामा

बूंदी

अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलने से 6 महीने के बच्चे की मौत हो गई। सांस लेने में तकलीफ होने पर घरवाले मासूम को हॉस्पिटल ले गए थे। लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजनों और ग्रामीणों ने सोमवार सुबह हंगामा किया। मामला बूंदी के देई अस्पताल का रविवार शाम 7 बजे का है।

जानकारी के मुताबिक ग्वालियर के रहने वाले दिनेश ने 6 महीने के बेटे बंटी को सांस की तकलीफ होने पर देई अस्पताल में भर्ती कराया था। डॉक्टरों ने उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखकर इलाज शुरू किया, लेकिन कुछ ही समय बाद अस्पताल की बिजली चली गई। जिससे कारण ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो गई। इस दौरान ऑक्सीजन सपोर्ट न मिलने से बंटी की मौत हो गई।

देई अस्पताल के बाहर सोमवार सुबह प्रदर्शन करते लोग।

देई अस्पताल के बाहर सोमवार सुबह प्रदर्शन करते लोग।

जनरेटर में नहीं था डीजल
अस्पताल में बिजली गुल होने पर जनरेटर चालू करने की कोशिश की गई, लेकिन उसमें डीजल न होने के कारण वह चालू नहीं हो पाया। इसके चलते बच्चे को समय पर ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं मिला और उसकी सांस थम गई।

लापरवाही के चलते मौत का लगाया आरोप
परिजनों का आरोप है कि समय रहते आक्सीजन सपोर्ट मिल जाता तो शायद बच्चे का जीवन बच जाता, जबकि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते समय पर जनरेटर चालू नहीं हो पाया। अस्पताल प्रशासन को इमरजेंसी में जनरेटर की व्यवस्था को दुरुस्त रखना चाहिए था।

बच्चे की मौत से गुस्साए ग्रामीणों ने सोमवार सुबह अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। ग्रामीणों ने अस्पताल में कार्यरत डॉक्टरों को निलंबित करने और स्टाफ को बदलने की मांग की है। हंगामे की जानकारी मिलने पर सीएमएचओ ओपी सामर, नैनवां बीसीएमओ एल पी नागर, देई थानाधिकारी धर्मवीर सिंह मौके पर पहुंचे। सीएमएचओ ने कमेटी गठित कर जांच के आदेश दिए हैं।

सीएमएचओ ओपी सामर, नैनवां बीसीएमओ एलपी नागर के सामने लापरवाही को लेकर आरोप लगाते लोग।

सीएमएचओ ओपी सामर, नैनवां बीसीएमओ एलपी नागर के सामने लापरवाही को लेकर आरोप लगाते लोग।

अस्पताल प्रभारी बोले- बच्चे की हालत देख रेफर कर दिया था
देई अस्पताल प्रभारी डॉ.योगेश पंवार ने बताया कि रविवार शाम 6 माह के बच्चे को इलाज के लिए अस्पताल लाए थे। ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने उसकी हालत देखते हुए जरूरी ट्रीटमेंट देने के बाद उसे रेफर कर दिया, इसी दौरान बच्चे की मौत हो गई। मौसम खराब होने के कारण अस्पताल में लाइट नहीं थी। जनरेटर चालू कराया गया, लेकिन उसमें डीजल नहीं था। हालांकि बाद में डीजल मंगवा लिया था।

बच्चे की मौत के बाद शव को लोडिंग टेंपो में ले जाना पड़ा।

बच्चे की मौत के बाद शव को लोडिंग टेंपो में ले जाना पड़ा।

एंबुलेंस नहीं मिली, लोडिंग टेंपो में ले जाना पड़ा शव
हालात ये रहे कि अस्पताल से एंबुलेंस की सुविधा भी नहीं मिल पाई। लोडिंग टेंपो में परिजनों को बच्चे का शव ले जाना पड़ा। अस्पताल प्रभारी का कहना है कि अस्पताल की एंबुलेंस तकनीकी उपकरण लगवाने के लिए जयपुर भेजी गई है, इसीलिए व्यवस्था नहीं हो पाई।

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