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कतर ने पूर्व भारतीय नौसैनिकों की फांसी कैद में बदली:कोर्ट में मौजूद थे भारतीय राजदूत; विदेश मंत्रालय बोला- अपने नागरिकों की रक्षा करते रहेंगे

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कतर ने पूर्व भारतीय नौसैनिकों की फांसी कैद में बदली:कोर्ट में मौजूद थे भारतीय राजदूत; विदेश मंत्रालय बोला- अपने नागरिकों की रक्षा करते रहेंगे

नई दिल्ली

कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने इंडियन नेवी के 8 पूर्व अफसरों को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था। (रिप्रेजेंटेशनल इमेज) - Dainik Bhaskar

कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने इंडियन नेवी के 8 पूर्व अफसरों को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था। (रिप्रेजेंटेशनल इमेज)

कतर में कथित तौर पर जासूसी के आरोपी 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की फांसी की सजा पर वहां की अदालत ने रोक लगा दी है। अब सजा-ए-मौत की जगह इन भारतीयों को जेल में रहना होगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है।

कतर की कोर्ट ऑफ अपील ने फैसला गुरुवार को सुनाया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा- फैसले की डीटेल्स का इंतजार है। इसके बाद ही अगले कदम पर विचार किया जाएगा।

सुनवाई के दौरान भारत के एम्बेसडर अदालत में मौजूद थे। उनके साथ सभी 8 परिवारों के सदस्य भी थे। भारत ने इसके लिए स्पेशल काउंसिल नियुक्त किए थे। हालांकि, फैसले की विस्तार से जानकारी अभी नहीं दी गई है।

तस्वीर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची की है। पिछले महीने उन्होंने इस मामले पर विस्तार से जानकारी दी थी। (फाइल)

तस्वीर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची की है। पिछले महीने उन्होंने इस मामले पर विस्तार से जानकारी दी थी। (फाइल)

विदेश मंत्रालय बोला- फैसले की डीटेल्स का इंतजार
भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से इस बारे में लिखित बयान जारी किया गया है। इसमें सजा-ए-मौत को कैद में बदले जाने की जानकारी दी गई है। बयान के मुताबिक- कतर की कोर्ट ऑफ अपील ने ‘दाहरा ग्लोबल केस’ में 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों की सजा में कमी कर दी है। फैसले की डीटेल्स का इंतजार है।

बयान के मुताबिक- कतर में हमारे एम्बेसडर और दूसरे अफसर आज अदालत में मौजूद थे। इसके अलावा सभी नौसैनिकों के परिजन भी वहां थे। हम अपने नागरिकों की हिफाजत के लिए शुरू से खड़े रहे हैं और आगे भी कॉन्स्यूलर एक्सेस समेत तमाम मदद दी जाएगी। इसके अलावा कतर एडमिनिस्ट्रेशन के साथ इस मुद्दे पर हम बातचीत जारी रखेंगे।

इस कानूनी मामले को आसानी से समझिए…
अब इस मामले में चल रही अदालती कार्रवाई को बिल्कुल आसान तरीके से समझते हैं। कतर में ‘कोर्ट ऑफ फर्स्ट इन्सटेंस’ ने इन भारतीयों को सजा-ए-मौत का हुक्म दिया था। यह निचली अदालत होती है। फैसला भी गोपनीय रखा गया, इसे सिर्फ आरोपियों की लीगल टीम के साथ शेयर किया गया।

इसके बाद भारत सरकार और इन नौसैनिकों के परिवारों ने निचली अदालत के फैसले को कोर्ट ऑफ अपील (हाईकोर्ट) में चैलेंज किया। गुरुवार को इसने ही सजा-ए-मौत को सिर्फ सजा में बदल दिया। हालांकि, सजा की मियाद क्या होगी, इसकी जानकारी आना बाकी है।

अब अगला कदम कतर की सर्वोच्च अदालत कोर्ट ऑफ कंसेशन है। इसे आप सुप्रीम कोर्ट भी कह सकते हैं। इसमें जेल काटने की सजा को भी चैलेंज किया जा सकता है। हो सकता है ये अदालत पूरी सजा ही माफ कर दे।

बहरहाल, इसके अलावा कतर के नेशनल डे (18 दिसंबर) को यहां के अमीर कई आरोपियों की सजा माफ करते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट सजा माफ नहीं भी करती तो कतर के अमीर यानी चीफ रूलर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी ऐसा कर सकते हैं।

दुबई में पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के अमीर या चीफ रूलर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी से मुलाकात की थी। सोशल मीडिया पर यह तस्वीर काफी वायरल हुई थी।

दुबई में पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के अमीर या चीफ रूलर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी से मुलाकात की थी। सोशल मीडिया पर यह तस्वीर काफी वायरल हुई थी।

कतर के अमीर से मिले थे मोदी
दुबई में 1 दिसंबर को COP28 समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कतर के अमीर (चीफ रूलर) शेख तमीम बिन हमाद अल थानी से मिले थे। मुलाकात के बाद मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा था- दुबई में कतर के अमीर से मुलाकात हुई। मैंने उनसे कतर में रहने वाले भारतीय नागरिकों के हालचाल जाने।

खास बात ये थी कि प्रधानमंत्री ने कतर की जेल में बंद 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों का सीधा जिक्र करने से परहेज किया था।

इस मुलाकात पर दुनिया की नजरें थीं। सोशल मीडिया पर मोदी और शेख हमाद की मुलाकात की तस्वीर काफी वायरल हुई थीं। बाद में मोदी ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा था- दुबई में COP28 समिट से इतर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी से मुलाकात हुई। हमने दोनों देशों के बीच संभावित सहयोग के क्षेत्रों पर विचार किया। मैंने कतर में रहने वाले भारतीयों के हालचाल पूछे।

3 दिसंबर को भारत के एम्बेसडर ने की थी मुलाकात
3 दिसंबर को कतर में मौजूद भारत के एम्बेसडर निपुल ने आठों पूर्व नौसैनिकों से मुलाकात की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बादची ने इसकी जानकारी दी थी। बागची ने कहा था- हमने पूर्व नौसैनिकों की मौत की सजा के खिलाफ अपील की थी। इसके बाद 2 बार सुनवाई हो चुकी है। हम मामले पर नजर बनाए हुए हैं। उन्हें सभी कानूनी और काउंसलर मदद दी जा रही है।

23 नवंबर को नौसैनिकों की मौत की सजा के खिलाफ लगाई गई याचिका को कतर की अदालत ने स्वीकार कर लिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 9 नवंबर को अपील दायर करने की जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था- भारत को इन सैनिकों से मुलाकात के लिए दूसरा काउंसलर एक्सेस भी मिल गया है। भारत सरकार लगातार कतर के संपर्क में है।

तस्वीर 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों में से एक रिटायर्ड कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी की है।

रिपोर्ट का दावा- पूर्व भारतीय नौसेनिकों पर जासूसी का आरोप
26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई थी। फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार, आठ भारतीयों पर इजराइल के लिए जासूसी करने का आरोप है। अल-जजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार इन लोगों पर कतर के सबमरीन प्रोजेक्ट से जुड़ी इनफॉर्मेशन इजराइल को देने का आरोप है।

हालांकि, कतर ने कभी आरोप सार्वजनिक नहीं किए। 30 अक्टूबर को इन नौसैनिकों के परिवारों ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक भारत कतर को मनाने के लिए तुर्किये की मदद ले रहा है।

तुर्किये के कतर के शाही परिवार के साथ अच्छे संबंध हैं, इसलिए भारत सरकार ने उसे मध्यस्थता के लिए अप्रोच किया है। भारत सरकार ने मदद के लिए अमेरिका से भी बात की है। इसकी वजह ये है कि रणनीतिक तौर पर अमेरिका की कतर पर ज्यादा मजबूत पकड़ है।

सरकार को गिरफ्तारी की जानकारी ही नहीं थी
कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने इंडियन नेवी के 8 पूर्व अफसरों को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया था। हालांकि, भारतीय दूतावास को सितंबर के मध्य में पहली बार इनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया गया था।

30 सितंबर को इन भारतीयों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की मंजूरी दी गई थी। पहली बार काउंसलर एक्सेस 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के एक महीने बाद मिला। इस दौरान भारतीय दूतावास के एक अधिकारी को इनसे मिलने दिया गया था।

अब जानते हैं नेवी के उन 8 पूर्व अफसरों के बारे में, जिन्हें कतर में मौत की सजा हुई…

1. कैप्टन नवतेज सिंह गिल: हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार कैप्टन नवतेज सिंह गिल चंडीगढ़ के हैं। उनके पिता आर्मी के रिटायर्ड अफसर हैं। वे देश के फेमस डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन, तमिलनाडु में इंस्ट्रक्टर रह चुके हैं। उन्हें बेस्ट कैडट रहने पर राष्ट्रपति अवॉर्ड दिया जा चुका है।

2. कमांडर पूर्णेंदु तिवारी: नेवी के टॉप ऑफिसर रह चुके हैं। नेविगेशन के एक्सपर्ट हैं। युद्धपोत INS ‘मगर’ को कमांड करते थे। दाहरा कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर रिटायर्ड कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी को भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में उनकी सेवाओं के लिए साल 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला था। वह यह पुरस्कार पाने वाले आर्म्ड फोर्सेज के एक मात्र शख्स हैं।

2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान में पूर्णेन्दु तिवारी को सम्मानित करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, नजदीक हैं तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज। तिवारी को ये सम्मान उस समय दिया गया था जब वे कतर में वहां की नौ सेना को ट्रेनिंग दे रहे थे।

2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान में पूर्णेन्दु तिवारी को सम्मानित करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, नजदीक हैं तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज। तिवारी को ये सम्मान उस समय दिया गया था जब वे कतर में वहां की नौ सेना को ट्रेनिंग दे रहे थे।

3. कमांडर सुगुनाकर पकाला: टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार 54 साल के सुगुनाकर पकाला विशाखापट्‌टनम के रहने वाले हैं। नौसैनिक के तौर पर उनका कार्यकाल शानदार रहा है। उन्होंने 18 साल की उम्र में ही नेवी जॉइन की थी। वे नवंबर 2013 में इंडियन नेवी से रिटायर हुए थे। इसे बाद उन्होंने कतर की कंपनी अल दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी को जॉइन किया था।

4. कमांडर संजीव गुप्ता को गनरी स्पेशलिस्ट के तौर जाना जाता है। कमांडर वो पद होता है जो किसी यूनिट के ऑपरेशन का हेड होता है।

5. कमांडर अमित नागपाल नौसेना में कम्युनिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक वॉर सिस्टम के एक्सपर्ट हैं।

6 .कैप्टन सौरभ वशिष्ठ की पहचान तेज-तर्रार टेक्निकल ऑफिसर के तौर पर होती है। उन्होंने कई मुश्किल ऑपरेशन को अंजाम दिया है।

7. कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा को उनके नेविगेशनल एक्सपर्टिज के लिए पहचाना जाता है।

8. नाविक रागेश नौसेना में मेनटेनेंस और हेल्पिंग हैंड के रूप में काम करते थे।

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कतर ने गैर-कानूनी तरीके से की पूर्व नौसैनिकों से पूछताछ: ठोस सबूत नहीं फिर भी भारतीयों को सुनाई सजा-ए-मौत

कतर ने भारतीय नौसेना के जिन 8 पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाई है, उनसे पूछताछ के दौरान सख्ती की गई थी। यह खुलासा कतर की राजधानी दोहा में मौजूद सूत्रों ने किया है। कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी ‘कतर स्टेट सिक्योरिटी’ ने पिछले साल अगस्त में इन पूर्व अफसरों गिरफ्तार किया था।

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