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केंद्र सरकार ने इंडियन आर्मी को सौंपे नए हथियार, यंत्र और वाहन जो बढ़ाएंगे सुरक्षा-सटीकता और गति

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REPORT BY SAHIL PATHAN

केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना को कई तरह के हथियार, यंत्र, बारूदी सुरंग, वाहन आदि सौंपे. यह सभी देश में ही बने हैं. इनमें से कई लेह में चीन सीमा के पास तो कुछ पाकिस्तान की सीमा के पास उपयोग किए जा सकते हैं. आइए जानते हैं कि कैसे हथियार, यंत्र भारतीय सेना को सौंपे गए हैं.
केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 16 अगस्त 2022 यानी आज भारतीय सेना को कई अत्याधुनिक हथियार, यंत्र, वाहन सौंपे. इनमें फ्यूचर इन्फैंट्री सोल्जर से लेकर एंटी-पर्सनल माइन्स तक हैं. एंफीबियस वाहन हैं तो जमीन पर चलने वाले बख्तरबंद वाहन भी. ये सैनिकों की सुरक्षा को तो बढ़ाएंगे ही. साथ ही उनकी सटीकता, तेज क्रियान्वयन में भी इजाफा करेंगे. सैनिकों को इस तरह के हथियार जंग के दौरान दुश्मन को पराजित करने में मदद करते हैं.

फ्यूचर इन्फैंट्री सोल्जर (F-INSAS): आधुनिक हथियारों, बुलेटप्रूफ जैकेट और यंत्रों से लैस जवान. इनके पास मल्टी मोड हैंड ग्रैनेड होगा. साथ ही मल्टी परपज़ चाकू भी. इनके जूते बारूदी सुरंगों से इन्हें बचाएंगे. सेकेंड सब प्रोटेक्शन सिस्टम के तहत बने हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट काफी ज्यादा मजबूत और हल्के हैं. इनमें कई मॉड्यूलर पाउच हैं, जिनमें ग्रैनेड्स, मैगजीन, रेडियो सेट्स और अन्य सामान रखे जा सकते हैं. थर्ड सब सिस्टम में कम्यूनिकेशन और सर्विलांस सिस्टम रहेगा. हर सैनिक के पास एक रेडियो सेट होगा. जो हैंड्स फ्री होगा. सेक्शन कमांडर अलग से कम्यूनिकेशन-सर्विलांस डिवाइस लेकर चलेगा. ताकि रीयल टाइम में अपनी टीम के साथ संपर्क में रह सके.

हैंड हेल्ड थर्मल इमेजर (Uncooled): यह एक खास तरह का सर्विलांस और डिटेक्शन यंत्र है. इस यंत्र के जरिए सैनिक दिन और रात किसी भी मौसम में दुश्मन के मूवमेंट और कार्यों को देख सकता है. इन्हें बेंगलुरु स्थित Tonbo इमेजिंग प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है. इससे फ्रंटलाइन पर बैठे सैनिकों को काफी ज्यादा मदद मिलने वाली है.

मिनी रिमोटली पायलेटेड एरियल सिस्टम (RPAS): एयरफोर्स के फाइटर जेट्स, विमानों और Heron UAV’s की अपनी सीमाएं हैं. वो हर टैक्टिकल लेवल पर काम नहीं कर सकतीं. भारतीय सेना की निगरानी बाधित होती है. इसलिए RPAS सिस्टम बनाए गए हैं. ये रिमोट से उड़ने वाले यान हैं, जो छोटे हैं, हल्के हैं, ज्यादा समय तक उड़ सकते हैं. बेहतरीन फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कर सकते हैं. इनका मुख्य काम सर्विलांस, डिटेक्शन और रीकॉनसेंस है.

कमांडर थर्मल इमेजिंग साइटः टी-90 टैंक के लिए यह यंत्र बनाया गया है. इसे आर्मर्ड कॉलम और टैंकों के कमांडर को दिया जाएगा. पहले टी-90 टैंकों में इमेज इंटेसिफिकेशन सिस्टम होते थे. उनकी अपनी समस्याएं थीं. थर्मल इमेजिंग साइट की मदद से गर्म जीवों, मशीनों और यंत्रों को देखा जा सकता है. इससे टैंक के कमांडर को अंधेरे और खराब मौसम में भी दुश्मन को ट्रैक करने में आसानी होगी. यह मशीन माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तक थर्मल इमेजिंग करने में सक्षम हैं.

एंटी-पर्सनल माइन निपुण (Nipun): लंबे समय से भारतीय सेना NMM 14 माइन्स का उपयोग कर रही थी. लेकिन अब ARDE और भारतीय कंपनियों ने मिलकर नया एंटी-पर्सनल बारूदी सुरंग बनाया है. जिसका नाम है Nipun. इस एंटी-पर्सनल माइन से सीमाओं पर घुसपैठ से सुरक्षा मिलेगी.

लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट (LCA): पैंगॉन्ग लेक में पहले से भारतीय सेना के पास बोट थी. लेकिन अब नए लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट मिल गया है. इसमें 35 सैनिक बैठ सकते हैं. इसकी गति और क्षमता पहले के नावों से ज्यादा है. यह पानी संबंधी दिक्कतों से सैनिकों को मुक्त रखेगी. पूर्वी लद्दाख में निगरानी जरूरी है. इसे एक्वेरियस शिप यार्ड लिमिटेड गोवा ने बनाया है.

डाउनलिंक इक्विपमेंट/रिकॉर्डिंग फैसिलिटीः हमारे सैन्य हेलिकॉप्टर हमेशा रीकॉनसेंस और सर्विलांस का काम करते रहते हैं. खासतौर से सीमाओं और ऑपरेशनल एरियाज में. जब भी हेलिकॉप्टर मिशन के लिए निकलते हैं. तुरंत इसके रीकॉनसेंस डेटा रिकॉर्ड होने लगते हैं. रीयल टाइम डेटा हासिल करने के लिए एक्सीकॉम प्राइवेट लिमिटेड ने ALH के लिए डाउनलिंक इक्विपमेंट विद रिकॉर्डिंग फैसिलिटी बनाई है. ताकि हर चीज की जानकारी कमांडर को मिल सके.

सेमी-रग्डाइज्ड ऑटोमैटिक एक्सेचेंज सिस्टम एमके-11: भारतीय सेना के अपने एक्सचेंज होते हैं. जो लाइन कम्यूनिकेशन में मदद करते हैं. साथ ही टुकड़ी की तैनाती में मदद करते हैं. पुराने यंत्र अब नए जमाने में काम नहीं कर रहे थे. दिक्कत आ रही थी. नया सिस्टम कोटद्वार स्थित बीईएल लिमिटेड ने बनाया है. यह कई तरह के कम्यूनिकेशन में सक्षम है. कई तरह के सर्विलांस सिस्टम को मदद करता है.

इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल (IPMV): उत्तरी सीमा पर हमारे इन्फैंट्री सैनिकों को बिना सुरक्षा के घूमना खतरनाक साबित हो सकता है. इससे उनकी मोबिलिटी कम हो जाती है. इसलिए टाटा एडवांस सिस्टम ने खास बख्तरबंद वाहन बनाया है. इससे सैनिकों को खतरनाक इलाकों से आना-जाना आसान हो जाएगा. साथ ही उनकी सुरक्षा भी बढ़ जाएगी. ये बख्तरबंद वाहन गोलियों और बारूदी सुरंगों से बचाने में सक्षम है.

क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल (Medium): IPMV के साथ एक वाहन और चलेगा, जिसे क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल (Medium) कहेंगे. इसका उपयोग सबसे ज्यादा लद्दाख में होगा. इन्हें भी टाटा एडवांस सिस्टम ने बनाया है. ये तेज गति में चलने वाली गाड़ियां हैं. इनकी फायरपावर ज्यादा है. सैनिक ज्यादा सुरक्षित रहेंगे.

सोलर फोटोवोल्टिक एनर्जी प्रोजेक्टः सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात सैनिकों के लिए यह प्रोजेक्ट बहुत कारगर है. इससे हमारे सैनिकों की बिजली की जरुरते पूरी होंगी. वो केरोसिन तेल और अन्य ऊर्जों स्रोतों का उपयोग कम करेंगे. या फिर नहीं करेंगे. अब सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात सैनिकों और पोस्ट पर सोलर फोटोवोल्टिक एनर्जी प्रोजेक्ट लगाया जाएगा. ताकि ऊर्जा संबंधी दिक्कतें न हों.

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