NATIONAL NEWS

कैंसर के इलाज में हुई तरक्की बताने के लिए जागरूकता सत्र का आयोजन

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

बीकानेर। सामूहिक रोग नियंत्रण के महत्व, आधुनिक उपचार पद्धतियों को बताने और शुरुआती चरण में जांच पर जोर दिए जाने के लिए मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ कैंसर केयर साकेत ने आज एक जनजागरूकता सत्र का आयोजन किया।

कैंसर के इलाज में हुई तरक्की बताने के लिए जागरूकता सत्र का आयोजन #maxhealthcare #max

लोगों को ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में हुई हालिया तरक्की से अवगत कराना जरूरी है और उन्हें यह भी बताना होगा कि कैंसर का अब पूरी तरह इलाज संभव है। शुरुआती डायग्नोसिस से न सिर्फ मरीज के जीवित बचने की संभावना बढ़ जाती है बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर हो जाती है।

मैक्स हॉस्पिटल, साकेत में जीआई सर्जरी के निदेशक डॉ. असित अरोड़ा ने कहा, ‘टेक्नोलॉजी की तरक्की की बदौलत न्यूनतम चीर—फाड़ वाली कैंसर सर्जरी अब सभी जगह उपलब्ध हो गई है। परंपरागत शल्य क्रिया के मुकाबले न्यूनतम शल्य क्रिया से मरीजों को कई सारे फायदे होते हैं जिनमें कम से कम दाग, तेज रिकवरी, कम दर्द, अस्पताल में कम समय तक रुकना और सर्जरी के बाद बहुत कम परेशानियां शामिल हैं। दा विन्सी रोबोटिक सर्जरी जैसी आधुनिक सर्जिकल टेक्नोलॉजी के जरिये हम अधिक कुशलता से ये प्रक्रियाएं अपना सकते हैं जिसमें ऑपरेशन के बाद कम से कम देखभाल तथा शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिलता है। दरअसल महामारी के बाद रोबोटिक सर्जरी की मांग बढ़ी है क्योंकि इससे अस्पताल में कम समय रुकना पड़ता है और सर्जरी के बाद परेशानियां भी कम होती हैं।’ कैंसर के इलाज की आधुनिक पद्धतियां आ जाने से अंतिम चरण के भी कई तरह के कैंसर के इलाज का अच्छा परिणाम मिला है और पिछले कुछ वर्षों में मरीजों के जीवित बचने की दर भी बढ़ी है।

मैक्स हॉस्पिटल, साकेत में कैंसर केयर/ ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. देवव्रत आर्य ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य आखिरकार मरीजों के स्वस्थ होने, बचने की दर बढ़ाना और महंगे या निष्प्रभावी इलाज का कम से कम इस्तेमाल करना है। पहले मरीजों को कीमोथेरेपी की जरूरत पड़ती थी लेकिन ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में हुई तरक्की से इस बीमारी की इलाज पद्धति में आश्चर्यजनक बदलाव आया है। कीमोथेरेपी के मुकाबले यह अधिक प्रभावी और बहुत कम साइड इफेक्ट वाली पद्धति है। हमारे यहां जटिल मामलों को मोलेकुलर ट्यूमर बोर्ड के पास लाया जाता है और कई विभागों के विशेषज्ञों से विचार—विमर्श के बाद ही कोई निर्णय लिया जाता है।’

मैक्स हॉस्पिटल, साकेत में मस्कुलोस्केलेटल ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. अक्षय तिवारी बताते हैं, ‘इंट्राऑपरेटिव ‘जीपीएस’ की बदौलत ओर्थपेडीक ऑन्कोलॉजी को हड्डी के पास सही जगह कट लगाने की परिशुद्धता मिलती है। उससे उतनी ही हड्डी काटी जाती है जिससे पूरी तरह बीमारी दूर की जा सके। आर्थोपेडिक ऑन्कोलॉजी सर्जरी में कंप्यूटर नेविगेशन भी एक बड़ी उपलब्धि है जिससे इस तरह की सर्जरी सटीक और सुरक्षित हो पाती है।’

मैक्स हॉस्पिटल, साकेत में हेड और नैक ऑन्कोलॉजी सलाहकार डॉ. अक्षत मलिक ने कहा, ‘पहले गर्दन डिस्कशन और थायराइडेक्टोमी जैसी सर्जरी बहुत कष्टकारी होती थी, गर्दन पर गहरा दाग पड़ जाता था जो बहुत खराब दिखता है। लेकिन आधुनिक तरक्की और आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से जटिल और पहुंच से दूर वाले ट्यूमर भी सर्जिकल रोबोट के जरिये न्यूनतम शल्य क्रिया या दाग रहित तरीके से निकाल लिए जाते हैं। इस तरह के ज्यादा से ज्यादा से कैंसर मामलों का इलाज संभव हो गया है और इसमें शारीरिक सौंदर्य बिगड़ने की संभावना भी नहीं रहती है।’

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!