बीकानेर । कौरोना के तकलीफ देह दो सत्रों के पश्चात इस साल पुनः आलु जी छंगाणी की करीब 150 साल पुरानी मिट्टी-कुट्टी से हस्त निर्मित गवर का मेला स्थानीय बारह गुवाड में दिनांक 12 -13 अप्रेल को भरेगा. …
इस गवर के बारे में बतलाते हुवे आलु जी छंगाणी के वंशज ईश्वर जी छंगाणी ने बतलाया कि हमारे वंश के आलु जी वंश वृद्धि ना होने पर किसी महात्मा के पास गये…और वंशवृद्धि हैतु आशीर्वाद माँगा तो उन्होने आशीर्वाद स्वरूप उन्हे उपाय बताया कि यदि वे स्वयं हस्तनिर्मित ईश्वर एवं गवर का निर्माण कर उसको थापित कर पुजन करे तो आपका वंशवृक्ष विशाल फैल जायेगा…
महात्मा जी का आशीर्वाद पा कर आलु जी ने मिट्टी कुट्टी से इनका निर्माण् प्रारम्भ किया..तो सर्व प्रथम इन्होने प्रथम पुज्य गणपति की प्रतिमा बनाई तत्पश्चात गवर,ईश्वर…और उसी रो मैं बहते भगवान कृष्ण एवं गुजरनी की प्रतिमाएं बना डाली…ये समस्त प्रतिमाऍं आलु जी नी मिट्टी -कुट्टी से स्वयं अपने हाथ से बनाई..अौर इन प्रतिमाओ की शोभा आज भी यथावत वैसी की वैसी है…
बारहगुवाड चौक में शदियों से इन प्रतिभाओ को दर्शनार्थ रखा जाता है,जहाँ इसका मेला भरता है।














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