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गगनयान मिशन के लिए अनमैन्ड फ्लाइट टेस्ट अक्टूबर अंत तक:रॉकेट में गड़बड़ी होने पर एस्ट्रोनॉट कैसे निकलेंगे इसका टेस्ट किया जाएगा

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गगनयान मिशन के लिए अनमैन्ड फ्लाइट टेस्ट अक्टूबर अंत तक:रॉकेट में गड़बड़ी होने पर एस्ट्रोनॉट कैसे निकलेंगे इसका टेस्ट किया जाएगा

बेंगलुरु

गगनयान के फ्लाइट टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 को टेस्ट फ्लाइट पर भेजने की तैयारी अपने आखिरी चरण में चल रही है। - Dainik Bhaskar

गगनयान के फ्लाइट टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 को टेस्ट फ्लाइट पर भेजने की तैयारी अपने आखिरी चरण में चल रही है।

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) भारत के पहले ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन ‘गगनयान’ के क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग करने जा रहा है। इसके लिए फ्लाइट टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 भेजने की तैयारी चल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अक्टूबर के अंत तक टेस्ट फ्लाइट भेजी जा सकती है।

क्रू एस्केप सिस्टम का मतलब है कि मिशन के दौरान कोई परेशानी आती है तो रॉकेट में मौजूद एस्ट्रोनॉट पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से पहुंच सकेंगे। इसरो वैज्ञानिक और IISU यानी इसरो इनर्शियल सिसटम्स यूनिट के डायरेक्टर पद्म कुमार ने क्रू एस्केप सिस्टम क्रू को रॉकेट से दूर ले जाएगा। इस सिस्टम की टेस्टिंग के लिए टेस्ट व्हीकल तैयार किया गया है।

गगनयान की तस्वीरें…

टेस्ट फ्लाइट का ये अनप्रेशराइज्ड वर्जन गगनयान के साइज और वजन का ही है।

टेस्ट फ्लाइट का ये अनप्रेशराइज्ड वर्जन गगनयान के साइज और वजन का ही है।

इसमें गगनयान जैसे सारे सिस्टम्स और पेलोड भी होंगे ताकि टेस्ट फ्लाइट ज्यादा से ज्यादा रियल हो सके।

इसमें गगनयान जैसे सारे सिस्टम्स और पेलोड भी होंगे ताकि टेस्ट फ्लाइट ज्यादा से ज्यादा रियल हो सके।

अगले साल की शुरुआत में गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान किया गया है।

अगले साल की शुरुआत में गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान किया गया है।

गगनयान के साइज और वजन का है अनप्रेशराइज्ड वर्जन
इसरो ने अपनी वेबसाइट पर जानकारी दी है कि टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 के (TV-D1) के लिए क्रू मॉड्यूल एक अनप्रेशराइज्ड वर्जन होगा, जिसकी इंटिग्रेशन और टेस्टिंग शुरू हो गई और यह लॉन्च कॉम्प्लेक्स में लाए जाने को तैयार है।

ये अनप्रेशराइज्ड वर्जन गगनयान के साइज और वजन का ही है। इसमें गगनयान जैसे सारे सिस्टम्स भी होंगे। एक जहाज और भारतीय नेवी की एक डाइविंग टीम की मदद से ये क्रू मॉड्यूल बंगाल की खाड़ी में टचडाउन करेगा।

अबॉर्ट जैसी सिचुएशन बनाई जाएगी
पद्म कुमार ने कहा- ‘टेस्ट व्हीकल एस्ट्रॉनॉट के लिए बनाए गए क्रू मॉड्यूल को अपने साथ ऊपर ले जाएगा। फिर एटमॉस्फियर में किसी एक पॉइंट पर अबॉर्ट जैसी सिचुएशन बनाई जाएगी। इसरो वैज्ञानिक ये टेस्ट करेंगे कि अबॉर्ट ट्रैजेक्टरी क्या ठीक तरह से काम कर रही है।’

वहीं उन्होंने बताया कि अगले साल की शुरुआत में गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान किया गया है। अनमैन्ड मिशन यानी इसमें किसी भी मानव को स्पेस में नहीं भेजा जाएगा। अनमैन्ड मिसन के सफल होने के बाद मैन्ड मिशन होगा, जिसमें इंसान स्पेस में जाएंगे।

क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग के लिए सतीश धवन स्पेस सेंटर में रखा टेस्ट व्हीकल।

क्रू एस्केप सिस्टम की टेस्टिंग के लिए सतीश धवन स्पेस सेंटर में रखा टेस्ट व्हीकल।

गगनयान के लिए इसरो ने की थी पैराशूट की टेस्टिंग
इससे पहले ISRO ने गगनयान मिशन के लिए ड्रैग पैराशूट का सफल परीक्षण 8 से 10 अगस्त के बीच चंडीगढ़ में किया था। ये पैराशूट एस्ट्रोनॉट्स की सेफ लैंडिंग में मदद करेगा। यह क्रू मॉड्यूल की स्पीड को कम करेगा, साथ ही उसे स्थिर भी रखेगा। इसके लिए एस्ट्रोनॉट्स की लैंडिंग जैसी कंडीशन्स टेस्टिंग के दौरान क्रिएट की गई थीं।

तीन एस्ट्रोनॉट 400 KM ऊपर जाएंगे, 3 दिन बाद लौटेंगे
‘गगनयान’ में 3 दिनों के मिशन के लिए 3 सदस्यों के दल को 400 Km ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा। अगर भारत अपने मिशन में कामयाब रहा तो वो ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इसे पहले अमेरिका, चीन और रूस ऐसा कर चुके हैं।

  • 12 अप्रैल 1961 को सोवियत रूस के यूरी गागरिन 108 मिनट तक स्पेस में रहे।
  • 5 मई 1961 को अमेरिका के एलन शेफर्ड 15 मिनट स्पेस में रहे।
  • 15 अक्टूबर 2003 को चीन के यांग लिवेड 21 घंटे स्पेस में रहे।
गगनयान मिशन में कुछ इस तरह से एस्ट्रोनॉट्स को LVM3 रॉकेट के जरिए पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा।

गगनयान मिशन में कुछ इस तरह से एस्ट्रोनॉट्स को LVM3 रॉकेट के जरिए पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजा जाएगा।

PM मोदी ने 2018 में गगनयान मिशन की घोषणा की थी
साल 2018 में, PM मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में गगनयान मिशन की घोषणा की थी। 2022 तक इस मिशन को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, कोविड महामारी के कारण इसमें देरी हुई। अब 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत तक इसके पूरा होने की संभावना है।

बेंगलुरु स्थित ट्रेनिंग फैसिलिटी में एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग
इसरो इस मिशन के लिए चार एस्टोनॉट्स को ट्रेनिंग दे रहा है। बेंगलुरु स्थित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में क्लासरूम ट्रेनिंग, फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग, सिम्युलेटर ट्रेनिंग और फ्लाइट सूट ट्रेनिंग दी जा रही है।

इसरो भविष्य के मानव मिशनों के लिए टीम का विस्तार करने की योजना भी बना रहा है। गगनयान मिशन के लिए करीब 90.23 अरब रुपए का बजट आवंटित किया गया है।

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