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चीन के साथ समस्या भारत के लिए ‘गंभीर चुनौती’ : एस जयशंकर विदेश मंत्री

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विएना : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ समस्या को कड़ी चुनौती बताया और इस्लामाबाद से सीमा पार आतंकवाद की समस्या पर पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया।प्राप्त विस्तृत जानकारी अनुसार ऑस्ट्रिया यात्रा पर पहुंचे विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन व पाकिस्तान पर सीधा निशाना साधा है। दोनों देशों को कठघरे में खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि चीन ने समझौते तोड़े और एलएसी की स्थिति एक तरफा ढंग से बदलने की कोशिश की। इसी कारण चीन के साथ तनाव कायम है। वहीं, पाकिस्तान आतंकवाद का अड्डा बना हुआ है।श्री जयशंकर ने कहा, “हमने अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए उन खतरों पर विस्तार से बात की, जो आतंकवाद से उत्पन्न होते हैं, जिसमें इसकी सीमा पार प्रथाओं, हिंसक उग्रवाद, कट्टरता और कट्टरवाद शामिल हैं।”जयशंकर ने वियना में भारतीय प्रवासी के साथ बातचीत करते हुए कहा, “अब, मैंने आपसे शासन में बदलाव के बारे में बात की। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि इस अवधि में हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा में बहुत गहरा बदलाव आया है। और बहुत सारे बदलाव हुए हैं। निश्चित रूप से, यह अधिक गंभीर चुनौतियों के इर्द-गिर्द केंद्रित है जिसका हम चीन के साथ अपनी उत्तरी सीमा पर सामना कर रहे हैं। मुझे लगता है कि आप में से अधिकांश इससे परिचित होंगे।”विदेश मंत्री जयशंकर ने सधे शब्दों में दुनिया को बताया कि चीन ने किस तरह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को बदलने का प्रयास किया। जयशंकर ने कहा कि यह सैटेलाइट युग है, इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों की तस्वीरें साफ दिखती हैं। इनसे इनकार नहीं किया जा सकता।विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ हमारा समझौता है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सेना तैनात नहीं करेंगे, लेकिन उसने इस समझौते का पालन नहीं किया। इस कारण दोनों देशों के बीच अभी तनावपूर्ण स्थिति है। इसी तरह दोनों देशों के बीच एलएसी को एकतरफा नहीं बदलने का समझौता है, इसके बाद भी उन्होंने ऐसा करने की कोशिश की।उल्लेखनीय हैं कि भारतीय और चीनी सैनिक 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भिड़ गए। इस आमने-सामने की लड़ाई में दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आईं।पीएलए के सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में एलएसी को पार करने और यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की। झड़प के बाद संसद के दोनों सदनों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बयान में कहा कि चीन की कोशिश का भारतीय सैनिकों ने दृढ़ता और दृढ़ता से मुकाबला किया।गलवान की घटना एक और घटना थी जिसने भारत-चीन के संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया था।बांग्लादेश के साथ संबंधों के बारे में विएना में जयशंकर ने कहा, “लेकिन अगर कोई एक सीमा और एक क्षेत्र है जिसमें पिछले एक दशक में नाटकीय रूप से सुधार हुआ है, तो यह वास्तव में पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत है। और इसका कारण यह है कि हमने वास्तव में बांग्लादेश के साथ हमारे संबंधों में काफी सुधार हुआ है। हमने उस देश के साथ अपने भूमि सीमा समझौते को सुलझा लिया है। और वास्तव में, यह सफल कूटनीति का एक उदाहरण है जिसने सीधे योगदान दिया है।”बता दें कि इन दिनों जयशंकर ऑस्ट्रिया की आधिकारिक यात्रा पर हैं, जहां उन्होंने ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर और बल्गेरियाई राष्ट्रपति रुमेन जॉर्जिएव रादेव से मुलाकात की हैं।विदित हो कि शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद से ही चीन को यह विश्वास होने लगा है कि वह अगला अमेरिका बनेगा।स्पष्ट शब्दों में भारत इस मामले में पहले भी कई बार बता चुका हैं कि ऐसा कभी नहीं होने वाला है।रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष पर जयशंकर ने कहा कि भारत यूक्रेन की स्थिति को लेकर “बेहद चिंतित” है।श्री जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी रूस और यूक्रेन के नेताओं के संपर्क में बने हुए हैं और भारत के दृष्टिकोण पर जोर दे रहे हैं।

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