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जनरल नरवणे हो सकते हैं नए CDS:PM मोदी ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक की, रावत के उत्तराधिकारी को लेकर हुई चर्चा

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8 दिसंबर देश के लिए एक बड़ी दुर्घटना का दिन साबित हुआ। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत की मौत की खबर ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। सवाल उठता है कि खाली हुए इस पद के दावेदार अब कौन हैं? देश की सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी अब किसके कंधों पर होगी?
बिपिन रावत की मौत की खबर से सरकार और देश दोनों ही सदमे में हैं, लेकिन सवाल देश की सुरक्षा का है। इस दुर्घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाम करीब 6:30 बजे सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (CCS) की बैठक की। इसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कमेटी के सदस्य शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक मीटिंग में बिपिन रावत की जगह नए CDS के नाम पर चर्चा हुई। सीनियॉरिटी के हिसाब से जनरल एमएम नरवणे की दावेदारी सबसे मजबूत दिख रही है।
सरकार किसे अगला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ चुनेगी यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन हां संभावना जरूर व्यक्त की जा सकती है। यह पद इतना अहम है कि किसी सीनियर और अनुभवी अधिकारी को ही इसके लिए चुना जा सकता है। इस लिहाज से देखें तो तीनों सेनाओं आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के चीफ इसके प्रबल दावेदार हैं।
तो क्या तीनों चीफ में से कोई भी इस पद का दावेदार हो सकता है?
देखिए किसे चुना जाए इसका कोई बना बनाया ढांचा नहीं है, लेकिन संभावनाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि तीनों सेना प्रमुखों में से सबसे सीनियर और अनुभवी व्यक्ति को चुना जा सकता है। इस लिहाज से नौ सेना अधिकारी एडमिरल करमवीर सिंह सबसे जूनियर हैं।
बचे थल सेना और वायुसेना के प्रमुख। थल सेना प्रमुख जनरल मुकुंद नरवणे और वायु सेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल विवेक राम चौधरी हैं। इन दोनों में भी अगर अनुभव और सीनियॉरिटी देखें तो एमएम नरवणे की दावेदारी सबसे पुख्ता लगती है। नरवणे 60 साल के हो चुके हैं। उन्हें जनरल बिपिन रावत के बाद सेना प्रमुख नियुक्त किया गया था। नरवणे मिलिट्री वारफेयर के सबसे बड़े जानकार हैं।
हालांकि डिफेंस एक्सपर्ट इस बात पर भी जोर देते हैं कि यह केंद्र सरकार तय करेगी कि कौन बिपिन रावत के बाद खाली हुए पद पर नियुक्त होगा। उसके अपने मानक होंगे।
कौन हैं एमएम नरवणे?
जनरल नरवणे मौजूदा समय में सेना प्रमुख हैं। इसके पहले वो सेना के उत्तरी कमांड के प्रमुख थे। सेना में अपने 4 दशक के कार्यकाल में नरवणे ने कई चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाला है। उन्होंने कश्मीर से लेकर नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में अपनी तैनाती के दौरान आतंकी गतिविधियों को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। नरवणे श्रीलंका में 1987 के दौरान चलाए गए ऑपरेशन पवन में पीस कीपिंग फोर्स का हिस्सा रह चुके हैं। जनरल एमएम नरवणे ने 1 सितंबर को भारतीय सेना के उप प्रमुख का पदभार ग्रहण किया था।
नरवणे के पिता भी वायुसेना से रिटायर हुए थे
नरवणे पुणे से ताल्लुक रखते हैं। नरवणे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पास आउट हैं। जून 1980 में सिख लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट की 7वीं बटालियन में ये शामिल हुए। नरवणे को सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में काम करने का अनुभव है। उनके पिता मुकुंद नरवणे भारतीय वायुसेना से रिटायर हुए थे। उनकी मां सुधा नरवणे लेखिका और न्यूज ब्रॉडकास्ट थीं। पुणे के ऑल इंडिया रेडियो से वो जुड़ी हुई थीं। पिछले साल ही उनका निधन हुआ है। लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे ने पुणे के ज्ञान प्रबोधिनी प्रशाला से पढ़ाई की है। स्कूल के दिनों में उनकी रुचि पेंटिंग और खेलों में भी थी।

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