जरूरत की खबर- केमिकल से पके केले खाना नुकसानदायक:कई हेल्थ प्रॉब्लम्स का बढ़ता खतरा, इन 7 तरीकों से करें पहचान
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केला दुनिया में सबसे ज्यादा खाए जाने वाला फल कहा जाता है। यह न सिर्फ एनर्जी का पावर हाउस है, बल्कि शरीर को कई तरह की बीमारियों से बचाता है। केला स्वादिष्ट होने के साथ-साथ आसानी से पचने वाला फल है, जिसे हर उम्र के लोग खा सकते हैं। यह विटामिन, मिनरल्स समेत फाइबर का बेहतरीन सोर्स है। हालांकि ये सभी फायदे तभी हैं, जब केला नेचुरल तरीके से पकाया गया हो।
बाजारों में इन दिनों केमिकल से पका केला भी बेचा जा रहा है। इन केलों को खाना शरीर के लिए फायदे की बजाय नुकसानदायक है।
इसलिए जरूरत की खबर में आज बात करेंगे कि केले को पकाने के लिए किस तरह के खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही जानेंगे कि
- केमिकल वाला केला खाना खाने से शरीर को क्या नुकसान है?
- केमिकल वाले केले की कैसे पहचान कर सकते हैं?
एक्सपर्ट: डॉ. अमृता मिश्रा, न्यूट्रिशियन और डाइटेटिक्स (नई दिल्ली)
पाचन से लेकर दिल तक का ख्याल रखता केला
केला साल के 12 महीनों आसानी से मिलने वाला फल है। इसकी गिनती सबसे सस्ते फलों में की जाती है। जिसे आम हो या खास हर कोई खा सकता है। केला में प्रोटीन, कार्ब्स, फाइबर, मैग्नीशियम, कॉपर जैसे जरूरी न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं।
अगर आप केले का नियमित सेवन करते हैं, तो यह कई समस्याओं को दूर कर सकता है।
नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए।
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सवाल- केले को पकाने के लिए किस तरह के खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है?
जवाब- भारत में केले को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कई खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। जैसेकि-
कैल्शियम कार्बाइड: यह एक केमिकल कंपाउंड है, जिसका केले को जल्दी पकाने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इससे केले का रंग और स्वाद बदल जाता है।
एथिलीन रिपेनर: यह एक गैस है, जो केले को जल्दी पकाने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
सोडियम हाइड्रोक्साइड: यह एक मजबूत अल्कलाइन है, जो केले को पकाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इससे केले का रंग और स्वाद बदल जाता है।
सवाल- केमिकल्स से पके केले को खाने से किस तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स का खतरा बढ़ जाता है?
जवाब- केमिकल से पके केले देखने नॉर्मल दिखते हैं, लेकिन इनकी ऊपरी सतह पर जमा कर्बाइड और केमिकल पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को कारण बन सकता है। अगर कोई लंबे समय तक केमिकल वाले केले को खाता है तो उसे पेट और सांस से जुड़ी समस्या हो सकती हैं। इसके अलावा यह कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स का कारण भी बन सकता है।
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सवाल- केले को पकाने का नेचुरल तरीका क्या है?
जवाब- पेड़ से कटने के बाद केले को पूरी तरह पकने में गर्मी के मौसम में 3 से 4 दिन का समय लगता है। इस दौरान केले को किसी भी तरह के केमिकल से नहीं पकाया जाता है, बल्कि इसे नेचुरल तरीके से ही पकने दिया जाता है।
इसके लिए केलों को एक साथ फॉयल पेपर में लपेटकर रखा जाता है। इसके अलावा कच्चे केला के साथ कुछ पके केलों को रखकर भी पकाया जाता है।
सवाल- कार्बाइड से पके केलों की कैसे पहचान कर सकते हैं?
जवाब- मिलावटखोर केलों को नेचुरल रूप से पकने से पहले ही तोड़ लेते हैं। इसके बाद जल्दी पकाकर बेचने के लिए केमिकल का इस्तेमाल करते हैं।
लेकिन कार्बाइड से पके केले की पहचान आप आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए नीचे ग्राफिक में दिए ये तरीके फॉलो कर सकते हैं।
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सवाल- एक दिन में कितने केले खाने चाहिए?
जवाब- न्यूट्रिशियन और डाइटेटिक्स डॉ. अमृता मिश्रा बताती हैं कि केला स्वास्थ्य के लिए काफी होता है, लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन से भी बचना चाहिए। एक स्वस्थ्य व्यक्ति को 1 दिन में एक या दो केले खाने चाहिए। जो लोग वर्कआउट करते हैं वह अपने ट्रेनर से पूछ कर इसकी मात्रा बढ़ा सकते हैं। अधिक मात्रा में केला खाने से आपका वजन बढ़ सकता है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट और शुगर दोनों होते हैं। इसलिए संतुलित मात्रा में इसका सेवन करना ही बेहतर है।
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