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डांडिया के नाम पर बीकानेर में बढ़ती उच्छृंखलता पर रोक लगाने में प्रशासन विफल, आखिर कब रुकेगा यह खेल? कब जागेगा पुलिस प्रशासन?

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डांडिया के नाम पर बीकानेर में बढ़ती उच्छृंखलता पर रोक लगाने में प्रशासन विफल, आखिर कब रुकेगा यह खेल? कब जागेगा पुलिस प्रशासन?
बीकानेर।बीकानेर में हाल ही में कुछ वर्षों में डांडिया और गरबा उत्सवों की लगभग बाढ़ से आ गई है। कभी कोई संस्था तो कभी कोई प्राइवेट कंपनी अपने इवेंट्स के नाम पर डांडिया और गरबा महोत्सव आयोजित कर रही हैं जिसको लेकर ना तो कोई सुरक्षा नियमों का ध्यान रखा जाता है ना ही कोई और व्यवस्थाएं की जाती हैं। वर्तमान में जब चुनाव सिर पर हैं और आचार संहिता लागू है ऐसे समय में इस प्रकार के आयोजनों का होना बीकानेर की संस्कृति को पतन की ओर ले जा रहा है। रेलवे ग्राउंड में आज इवेंट डायरेक्टर श्याम मोदी और से मोहिनी इवेंट कम्पनी व एशियन डांस कम्पनी के डांडिया प्रोग्राम में अचानक भगदड़ मचने से अफरातफरी मच गई। इस दौरान पुलिस को भीड़ को काबू करने के लिए हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा। रेलवे ग्राउंड में मोहिनी इवेंट कम्पनी व एसियन डांस कम्पनी का डांडिया नाइट का आयोजन था, देर शाम को उम्मीद से ज्यादा भीड़ जुट गई । नतीजा यह हुआ कि रेलवे ग्राउंड के बाहर भगदड़ मच गई। इस दौरान इवेंट के मैनेजर इवेंट विजेंद्र सोलंकी, और डायरेक्टर श्याम मोदी से बात करनी चाही तो उनका फ़ोन बंद था। इस दौरान गेट पर तैनात पुलिसकर्मी आपा खो बैठे और उन्होंने बल प्रयोग शुरू कर दिया। भगदड़ के दौरान गिरने से महिलाएं, बुजुर्ग समेत कई लोग घायल हो गए। मौके पर पहुंचे सीओ सिटी हिमांशु शर्मा कोटगेट थाना प्रभारी बृजभूषण अग्रवाल
की टीम ने भीड़ पर हल्का बल प्रयोग कर काबू किया।
इससे पूर्व भी हाल ही में रेलवे ग्राउंड में आयोजित एक डांडिया प्रोग्राम में ऐसी ही अव्यवस्थाओं की शिकायत अनेक महिलाओं द्वारा की गई थी। आचार संहिता के काल में इस प्रकार के आयोजनों का होना और उसके बाद महिलाओं के साथ बदतमीजी, चोटें लगना जैसी शिकायतें अब आम होने लगी हैं। पुलिस और प्रशासन दोनों को ही कई बार राजनीतिक,सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव के चलते ऐसे आयोजनों को अनुमति देनी पड़ती है ,परंतु उनके लिए बाद में यह सर दर्द साबित होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में इन डंडियों और गरबों के लिए एक नियमावली बनाई जाए तथा इस प्रकार के कार्यक्रमों में भी आचार संहिता का ध्यान रखा जाए। इस समय में जब पुलिस और प्रशासन चुनाव जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को अंजाम दे रहा है ऐसे में पुलिस बल को डांडिया महोत्सव के दौरान नियुक्त करने से भी शक्ति का हास होता है ।उधर जब आचार संहिता के चलते चार से अधिक लोग इकट्ठे होने तक से प्रशासन को गुरेज है तब बीकानेर शहर में कुछ ऐसे राजनीतिक लोग भी है जो डांडिया प्रोग्राम के माध्यम से अपना प्रचार प्रसार भी कर रहे हैं। ऐसे में सख्त आवश्यकता है कि पुलिस और प्रशासन इन डांडिया कार्यक्रमों पर सख्ती से रोक लगाए ताकि बीकानेर की संस्कृति पर कोई कुठाराघात ना हो पाए।

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