डेढ़ वर्ष की बेटी के अंतिम संस्कार के लिए फरिश्ते को ढूंढती, झारखंड से आई आदिवासी मां:: सहारा बना बीकानेर का असहाय सेवा संस्थान
बीकानेर। एक असहाय 35 वर्षीय महिला अपनी गोद में डेढ़ वर्ष की बेटी के शव को करीब पांच घंटे अपनी छाती से लगाकर आने जाने वाले राहगीरों में फरिश्ते को ढूंढ रही थी, जो उसकी बेटी का अंतिम संस्कार कर सके। और इस दुख की घड़ी में उसका सहयोग कर सके।
झारखंड के चाईबासा आदिवासी इलाके की रहने वाली सुकुरमुनी पत्नी कामरा जोनों, गांव कोको चाई , चाई बासा, झारखंड, बिहार निवासी जो कि गुवाहाटी ट्रेन से सुबह करीब 6 बजे बीकानेर रेलवे स्टेशन पहुंची थी। अनुमान लगाया जा रहा है कि गर्मी, भूख प्यास के कारण बेटी की मृत्यु हुई ।
इसकी सूचना मिलते ही असहाय सेवा संस्थान के राजकुमार खड़गावत, ताहीर हुसैन ,रमजान मौके पर पहुंचे। जीआरपी थाना के हेड कांस्टेबल रतन सिंह जी, सुखवीर कौर व अन्य स्टाफ के साथ चाइल्ड लाइन बाल सहायता केंद्र की सरिता राठौड़,मनोज बिश्नोई, शौकत अली आदि समाज सेवियों के सहयोग से बच्ची का अंतिम संस्कार किया गया। और महिला को सुरक्षा की दृष्टि से जीवन यापन हेतु आश्रम भिजवाया गया।
संस्थान के राजकुमार खड़गावत ने कहा कि जरूरतमंद की मौके पर की गई सेवा से बड़ा कोई धर्म नही है। एक दूसरे का हरसंभव सहयोग करने की इच्छा शक्ति रखे।
संस्थान के ताहिर हुसैन ने बताया कि बेटी का शव अंतिम संस्कार हेतु ले जाने के लिए वाहन वाले अपने वाहन के साथ भी किराए पर भी प्रत्येक प्राणी उपलब्ध नहीं हो पाते ।











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