NATIONAL NEWS

“तीर्थयात्रियों को चार धामों के साथ बीजी लिंक से आगे तेज, सुरक्षित और आरामदायक गंतव्य संपर्क मिलनी चाहिए” – श्री पीयूष गोयल

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

रेल और वाणिज्य एवं उद्योग व उपभोक्ता कार्य और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने चार धाम परियोजनाओं के लिए अंतिम मील संपर्क योजनाओं की समीक्षा की

चार धाम यानी यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ से नई बीजी रेल संपर्क के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण (एफएलएस) पूरा होने के करीब है

रेल और वाणिज्य एवं उद्योग व उपभोक्ता कार्य और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने चार धाम परियोजनाओं के लिए अंतिम मील कनेक्टिविटी योजनाओं की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा, “तीर्थयात्रियों को चार धामों के साथ बीजी लिंक से आगे तेज, सुरक्षित और आरामदायक गंतव्य संपर्क मिलनी चाहिए।”

मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को नागरिकों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी विकल्पों की एक विस्तृत समीक्षा करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि संपूर्ण परियोजना के पूरा होने तक के लिए विस्तृत लागत अनुमानों के साथ सभी अंतिम गंतव्य की संपर्क के विकल्पों की जांच की जानी चाहिए।

मंत्री ने कहा कि पर्यटन की जरूरत को पूरा करने और तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षित और समय पर मंदिर तक पहुंचने को सुविधाजनक बनाने को लेकर परियोजना के लिए एक व्यापक योजना बनाने की आवश्यकता है।

इस बात को रेखांकित किया जा सकता है कि चार धाम यानी यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ से नई बीजी रेल संपर्क के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण (एफएलएस) पूरा होने के करीब है।

केदारनाथ और बद्रीनाथ रेल संपर्क कर्णप्रयाग स्टेशन से शुरू होगा, जो 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग नई बीजी रेल लाइन परियोजना का हिस्सा है, जिसका निर्माण काफी तेजी से किया जा रहा है। गंगोत्री और यमुनोत्री रेल कनेक्टिविटी मौजूदा डोईवाला स्टेशन से शुरू होगी। चार धाम बीजी रेल कनेक्टिविटी सर्वेक्षण के अनुसार, नई बीजी रेल लाइन का टर्मिनल स्टेशन बरकोट, उत्तरकाशी, सोनप्रयाग और जोशीमठ में समाप्त हो रहा है, जो कि तीव्र ढलाने वाले भूभाग और बीजी व्यवस्था की ढाल की सीमा के कारण चार धाम मंदिरों से कम हैं।

पर्यटन की जरूरत को पूरा करने और तीर्थयात्रियों के सुरक्षित और समय पर मंदिरों तक पहुंचने को सुविधाजनक बनाने के लिए, नए बीजी रेलवे टर्मिनल स्टेशनों को धामों (मंदिरों) से जोड़ने के लिए पैमाइश इंजीनियरिंग सर्वेक्षण (आरईएस) उपयुक्त प्रणाली की तलाश के उद्देश्य से किया जा रहा है, जो पर्यावरण के अनुकूल, सुरक्षित और साथ ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

देशभर से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री चार धाम में आते हैं और बड़ी संख्या में विदेशी और घरेलू पर्यटक उत्तराखंड राज्य में ट्रेकिंग और दृश्य देखने के लिए आकर्षित होते हैं। मौजूदा सड़क संपर्क कमजोर पहाड़ी ढलानों से होकर गुजरता है और भार, क्षमता, सुरक्षा व गति की गंभीर बाधाओं का सामना करता है। इन चार धामों से रेल संपर्क होने के बाद यात्रा को अधिक सुरक्षित, सस्ती, आरामदायक, पर्यावरण के अनुकूल और सभी मौसमों के अनुकूल बना देगा।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!