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थार की जीवनदायिनी बनी जीवन के लिए त्रास:: इंदिरा गांधी नहर परियोजना

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*पश्चिमी राजस्थान के हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, नागौर, जोधपुर, पाली, जैसलमेर और बाड़मेर जिलों के लगभग दो करोड़ लोगों द्वारा “इंदिरा गांधी नहर का पानी” पेयजल के रूप में काम लिया जाता है। थार की जीवनदायिनी कही जाने वाली “इंदिरा गांधी नहर” शायद अब थार के लोगों के लिए कोरोना से भी बड़ा खतरा बन गई है।
इस जल का उपयोग करने वाले परिवार दरअसल पानी नहीं बल्कि अनजाने में कैंसर का प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। उन्हे पता ही नहीं कि कब नहर के प्रदूषित पानी ने उसके परिवार में मौत बनकर दस्तक दे दी है।
उल्लेखनीय है कि बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़ समेत करीब 10 जिलों के लोग इंदिरा गांधी नहर का जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं। असल में पंजाब ने चार दिन पहले ही हरिके बैराज से राजस्थान में आने वाली इंदिरा गांधी नहर में पानी छोड़ा है। इस पानी के साथ भारी मात्रा में केमिकल बहकर आ रहा है। इसी केमिकल वाले पानी से कैंसर, अलजाइमर, हार्ट अटैक और किडनी फेल होने जैसी खतरनाक बीमारियां होने का खतरा बढ़ गया है। जबकि राजस्थान के करीब ये दस जिले पूरी तरह पीने के पानी के लिए इंदिरा गांधी नहर पर निर्भर हैं।

दरअसल, पंजाब में राजस्थान की सीमा पर मौजूद फैक्ट्रियों, कारखानों, केमिकल प्लांट्स समेत कई गंदे नालों का पानी तक नहर में छोड़ा जा रहा है। जालंधर और लुधियाना में ऐसी फैक्ट्रियां सबसे ज्यादा हैं। ऐसी स्थिति में यहां आने वाले पानी में उनका अपशिष्ट भर गया है, जो यहां झाग के रूप में दिखाई दे रहा है।

पंजाब के एक्स्पर्ट्स का कहना है कि राज्य के 12 शहरों का अपशिष्ट यानी सीवरेज का गंदा पानी इसमें बहाया जा रहा है। यह जानकारी पूर्व में जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर स्तर के अधिकारी रहे कुलदीप विश्नोई ने तब भी दी थी, जब वे पंजाब से निकलने वाली नहर के आसपास के जिलों का दौरा करने गए थे। उन्होंने बताया था कि किस प्रकार दूषित पानी इस नहर में बहाया जा रहा है।इन 10 जिले की नहरों में गंगानहर, इंदिरा गांधी नहर परियोजना और भाखड़ा से पानी आ रहा है। यह पानी श्रीगंगानगर, बीकानेर, हनुमानगढ़, नागौर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, चूरू, झुंझुनूं, सीकर जिलों में जाता है। ऐसे में गंदगी से लबरेज इस पानी से प्रदेश का बड़ा हिस्सा रोगों की चपेट में आ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार इस पानी में शीशा यानी लैड, एल्यूमीनियम, आरसेनिक और यूरेनियम जैसे पदार्थ मिले हुए हैं। इनसे पेट से जुड़े रोग अल्सर, आंत का कैंसर, मानसिक विक्षिप्तता, मिर्गी, अल्माइजर, हार्ट अटैक, आंखों की समस्या, किडनी फेल होना, गर्भपात का खतरा आदि समस्याएं सामने आ रही हैं। श्रीगंगानगर इलाके में पिछले कुछ समय में बड़ी संख्या में कैंसर रोगी सामने आए हैं, जो बीकानेर सहित विभिन्न जिलों में उपचार करवाते रहे हैं। पूर्व पीएमओ डॉक्टर पवन सैनी के अनुसार, नहरों में आ रहे गंदे पानी से हैजा, पीलिया, उल्टी, दस्त जैसी बीमारियां हो सकती हैं। पानी में मिले ये जीवन लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं।
ऐसी स्थिति में यदि तत्काल इस दिशा में संज्ञान लेकर कार्यवाही नहीं की गई तो राजस्थान के इन दस जिलों में भयावह हालात उत्पन्न हो जायेंगे। आवश्यकता है कि राज्य सरकार तत्काल मामले में दखल दे अन्यथा राजस्थान के इन जिलों के वाशिंदे विभिन्न रोगों से ग्रसित हो जायेंगे।

“इंदिरा गांधी नहर” का नाम जिस महान और कर्मठ राजनेता के नाम से रखा गया है, कम से कम उस नाम की तो लाज रख ले संभाग के राजनेता। लेकिन आज तक इतने गंभीर मसले पर पंजाब और राजस्थान की सरकारों ने कोइ ठोस क़दम नहीं उठाए ओर ना ही केंद्र सरकार ने इसका संज्ञान लिया! पेयजल के रूप में दिए जाने वाले पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार गंभीर कदम उठाने चाहिए। शायद व्यवस्था में बैठे लोगों को बिना “उग्र आंदोलन” के यह समस्या नजर ही नहीं आ रही!

वर्तमान परिस्थितियों को देखकर लगता है कि, यह प्रदूषित पानी एक बार फिर इलाके के जागरूक लोगों के दिलो-दिमाग में आग लगाएगा कुछ प्रेस और सोशल मीडिया में लिखा जाएगा। व्यवस्था में बैठे जिम्मेदार लोगों के कान पर जूं तक नहीं रेंगेगी, और समस्या आने वाले सालों में भी जस की तस बनी रहेगी।


खास रिपोर्ट साहिल पठान

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