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दिमाग में चढ़ रही गर्मी के गंभीर असर:एनिवर्सरी भूला पति तो पत्नी पीटने को दौड़ी; बेटी पिता को मां का कातिल मानने लगी

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दिमाग में चढ़ रही गर्मी के गंभीर असर:एनिवर्सरी भूला पति तो पत्नी पीटने को दौड़ी; बेटी पिता को मां का कातिल मानने लगी
जयपुर की 32 साल की कविता (बदला हुआ नाम) और बैंक मैनेजर अनुभव (बदला हुआ नाम) ने लव मैरिज की थी। शादी के कुछ साल तक सब ठीक था, लेकिन पिछले 2 साल में सब कुछ बदल गया। कभी कविता बहुत प्यार से पेश आती तो कभी मामूली बात पर झगड़ा। 1 मई की बात है, अनुभव वेडिंग एनिवर्सरी की तारीख भूल गया तो कविता इतना गुस्सा हो गई कि उस पर हाथ उठा दिया। तलाक मांगने लगी।अनुभव ने समझदारी दिखाते हुए झगड़ा आगे नहीं बढ़ाया और उसे साइकायट्रिस्ट के पास ले गया। डॉक्टर ने जांच के बाद अनुभव को बताया-उसकी पत्नी को बाइपोलर डिसऑर्डर (बार-बार मूड बदलने की समस्या) है। गर्मी के मौसम में यह डिसऑर्डर बढ़ जाता है।

गर्मी से मेंटल हेल्थ बिगड़ने का यह इकलौता उदाहरण नहीं है। वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन इनिशिएटिव की रिपोर्ट कहती है कि गर्मियों में हीटवेव के कारण औसत तापमान एक डिग्री बढ़ गया है। वहीं इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार तेज गर्मी का मेंटल हेल्थ पर सीधा प्रभाव पड़ता है और एंग्जाइटी और तनाव बढ़ जाते हैं।एसएमएस कॉलेज के मनोरोग विभाग के सीनियर डॉक्टरों का मानना है कि यह बढ़ा हुआ तापमान हजारों मनोरोगी बढ़ा सकता है। ये उन लोगों के लिए खतरनाक है, जो पहले से मेंटल हेल्थ इश्यूज से जूझ रहे हैं। बढ़ता टेंपरेचर कैसे मेंटल हेल्थ बिगाड़ रहा है, ये जानने के लिए सीनियर साइकायट्रिस्ट की मदद ली। हमने डॉक्टर्स के चैंबर में जाकर मरीजों की प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए उनकी कहानी जानी। चूंकि मामला संवेदनशील है, इसलिए किसी भी मरीज की पहचान उजागर नहीं की जा रही है।

तनाव पैदा करने वाले हार्मोन को ट्रिगर करती है गर्मी
एनिवर्सरी भूलने वाली पत्नी में बाइपोलर डिसऑर्डर का असर तेज हो गया था। मां पर हाथ उठाने वाली बेटी अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पा रही थी, इसकी वजह थी कि उसमें सिजोफ्रेनिया का असर अचानक बढ़ जाना। पिता को मां की मौत का दोषी मानने वाली बेटी में एक कॉमन मेंटल हेल्थ इश्यू निकला। वहीं कोचिंग स्टूडेंट को 4 महीने पहले का सदमा परेशान कर रहा था।एक्सपर्ट की मानें तो इन चारों केस में एक ही बात कॉमन थी। ये मानसिक बीमार थे, लेकिन गर्मी के मौसम में बीमारी का असर कई गुणा बढ़ गया। कई बार ये असर इतना बढ़ जाता है कि कुछ लोग सुसाइड का विचार करने लगते हैं। उसकी वजह होती है सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर। जब बहुत गर्मी पड़ती है तो न्यूरोट्रांसमीटर गड़बड़ाता है। सेरेटोनिन, एचआईआईए लेवल कम होता है। जबकि कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ जाता है। इससे स्ट्रेस लेवल बढ़ता है और सुसाइडल थॉट्स आने लगते हैं।

फैक्ट चेक करने के लिए हमने डेटा एनालिसिस किया। इसके लिए प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के 2017 से लेकर अप्रैल 2022 तक के 6 साल के हर महीने के आंकड़े निकाले। इन आंकड़ों को सर्दी के 4 और गर्मी के 5 महीनों में बांटा। एनालिसिस में जो सामने आया….

सर्दी के अक्टूबर (476) नवंबर (464), दिसंबर (420) और जनवरी (539) महीनों में कुल 1899 केस सामने आए।
गर्मी के मार्च (615), अप्रैल (530), मई 2021 तक (439), जून 2021 तक (440) और जुलाई 2021 तक (602) कुल 2626 केस सामने आए।
गर्मी के मौसम में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ी नजर आई।

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