REPORT BY ER SAHIL PATHAN
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोकतंत्र हमारी रगों में और हमारी संस्कृति में है भारत दुनिया की सबसे पुरानी जीवित समताओं में से एक है। भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है। लोकतंत्र के शुरुआती वर्षो में हमें अनगिनत चुनौतियों और नकारात्मक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। स्वतंत्रता संग्राम के सिद्धांतों के अनुसार, हमारे लोकतंत्र की नींव रखने के लिए संविधान बनाया गया था महात्मा गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन का उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्त करना और भारतीय सिद्धांतों को फिर से स्थापित करना था। इन दशकों के संघर्ष और बलिदानों ने हमें न केवल विदेशी शासन से बल्कि थोपे गए मूल्यों और संकीर्णता से भी आजादी दिलाने में मदद की। शांति, भाईचारे और समानता के हमारे सदियों पुराने मूल्यों को फिर से अपनाने में क्रांतिकारियों और सुधारकों ने दूरदर्शी और आदर्शवादियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। आधुनिक भारतीय विचारों को बढ़ावा देने वालों ने भी प्रगतिशील विचारों का स्वागत किया। हमारे संविधान का निर्माण गहन विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप हुआ था।
हमारा देश हमेशा बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का ऋणी रहेगा, जिन्होंने प्रारूप समिति का नेतृत्व किया और संविधान को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमें संविधान का प्रारंभिक मसौदा तैयार करने वाले विधिवेत्ता बीएन राव और संविधान को आकार देने में मदद करने वाले अन्य विशेषज्ञों और अधिकारियों पर भी गर्व होना चाहिए। हमें गर्व है कि इस संविधान सभा के सदस्यों ने भारत के सभी क्षेत्रों और समुदायों का प्रतिनिधित्व किया। 15 महिला सदस्यों ने भी संविधान सभा में योगदान दिया। संविधान में निहित सिद्धांतों ने लगातार हमारे लोकतंत्र का मार्गदर्शन किया है। इस अवधि के दौरान, भारत विश्व मंच पर एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र से एक आत्मविश्वासी राष्ट्र बन गया है। यह विकास संविधान निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता के मार्गदर्शन के बिना संभव नहीं होता। बाबासाहेब अम्बेडकर और अन्य हस्तियों ने हमें एक खाका और एक नैतिक आधार दिया। इस मार्ग पर चलना हम सभी का दायित्व है। हम काफी हद तक उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे हैं लेकिन हमें लगता है कि गांधी जी का सर्वोदय यानी सबके विकास का सिद्धांत अभी हासिल नहीं हुआ है। फिर भी हमारी सरकार ने सभी क्षेत्रों में उत्साहजनक वृद्धि हासिल की है। सर्वोदय के हमारे मिशन में आर्थिक मोर्चे पर प्रगति सबसे उत्साहजनक रही है। पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना था। उल्लेखनीय है कि यह उपलब्धि आर्थिक अनिश्चितता की वैश्विक पृष्ठभूमि में हासिल की गई है। वैश्विक महामारी अपने चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और दुनिया के अधिकांश हिस्सों में आर्थिक विकास पर इसका असर पड़ रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था भी शुरुआती दौर में कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुई थी. फिर भी सक्षम नेतृत्व और प्रभावी संघर्ष के चलते हम जल्द ही मंदी से बाहर निकल आए और अपनी विकास यात्रा फिर से शुरू कर दी अर्थव्यवस्था के अधिकांश क्षेत्र अब महामारी के प्रभाव से उबर चुके हैं। भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। यह केवल सरकार द्वारा किए गए सक्रिय प्रयासों के कारण ही संभव हो पाया है। इस लिहाज से लोगों में आत्मनिर्भर भरत अभियान के प्रति विशेष उत्साह देखा जा रहा है, इसके अलावा सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं भी लागू की है।
बड़े संतोष की बात है कि जो हाशिए पर रह गए थे उन्हें भी योजनाओं और कार्यक्रमों में शामिल कर उनकी मुश्किलों में मदद की गई है। मार्च 2020 में घोषित प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को लागू करके सरकार ने ऐसे समय में गरीब परिवारों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है जब हम कोविङ-19 महामारी के अचानक प्रकोप के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट का सामना कर रहे थे। इस मदद की वजह से किसी को भी खाली पेट नहीं सोना पड़ा। गरीब परिवारों के हित को सर्वोपरि रखते हुए योजना की अवधि को बार-बार बढ़ाया गया है और देश के करीब 81 करोड़ नागरिकों को इसका लाभ मिल रहा है। इस सहायता को और आगे बढ़ाते हुए सरकार ने घोषणा की है कि वर्ष 2023 के दौरान भी लाभार्थियों को उनका मासिक राशन मुफ्त मिलेगा। इस ऐतिहासिक कदम से सरकार ने आर्थिक विकास में समावेश के साथ-साथ कमजोर वर्गों का भी ध्यान रखने की जिम्मेदारी ली है।
अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव के साथ, सरकार एक ऐसा वातावरण बनाने के उद्देश्य से उपयोगी पहलों की एक श्रृंखला शुरू करने और आगे बढ़ाने में सक्षम रही है जिसमें सभी नागरिक, व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से, अपनी वास्तविक क्षमता का पूरी तरह से उपयोग कर सकें और उनका जीवन फले-फूले शिक्षा इस लक्ष्य को प्राप्त करने का आधार प्रदान करती है। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उत्साहजनक बदलाव किए गए है। शिक्षा के दो मुख्य उद्देश्य हैं। पहला, आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण और दूसरा सत्य की खोज राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन दो उद्देश्यों को प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है। यह नीति शिक्षार्थियों को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करती है. हमारे संस्कृति आधारित ज्ञान को आधुनिक जीवन के लिए प्रासंगिक बनाती है। यह नीति शैक्षिक प्रक्रिया को व्यापक और गहन बनाने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है।
हमें कोविड-19 के शुरुआती दिनों में यह देखने को मिला कि तकनीक में जीवन को बदलने की क्षमता है। डिजिटल इंडिया मिशन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटने और सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को शामिल करने का प्रयास करता है। दूर-दराज के इलाकों में अधिक से अधिक लोग इंटरनेट से लाभान्वित हो रहे हैं। बुनियादी ढांचे के विस्तार की मदद से लोगों को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाएं मिल रही हैं। हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों पर गर्व कर सकते हैं। भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कुछ अग्रणी देशों में से एक रहा है। यह क्षेत्र लंबे समय से प्रतीक्षित सुधारों के दौर से गुजर रहा है और अब निजी क्षेत्र को विकास यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए गगन-पान कार्यक्रम चल रहा है। यह भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान होगी। हम सितारों तक पहुंच कर भी अपने पैर जमीन पर रखते हैं।
भारत के मंगल मिशन को महिलाओं की एक टीम द्वारा चलाया गया और अन्य क्षेत्रों में भी बहन-बेटियों पीछे नहीं है। महिला सशक्तिकरण और महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं। हमने हाल के वर्षों में इन आदर्श तक पहुँचने में काफी प्रगति की है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में लोगों की भागीदारी के बल पर हर कार्यक्षेत्र में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कल के भारत को आकार देने में महिलाओं का सबसे अधिक योगदान होगा। यदि आधी आबादी को मौका दिया जाए और राष्ट्र निर्माण में अपनी क्षमता के अनुसार योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए तो ऐसा क्या है जो नहीं किया जा सकता है? सशक्तिकरण का यह सिद्धांत अनुसूचित जातियाँ और अनुसूचित जनजातियों सहित लोगों के कमजोर वर्गों के प्रति
सरकार के दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करता है। वास्तव में किसी भी देश के लोकतंत्र की मजबूती में संविधान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमारे संविधान की यह खूबी है कि देश में विविधता विभिन्न धर्मों और वालों की कड़ी संख्या और सभी के अलग-अलग रीति-रिवाज होने के बावजूद सभी को अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार जीने की आजादी है।
आजादी आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देने और देश को समृद्ध बनाने की गारंटी है।
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