
बीकानेर।देश-विदेश में अपनी ओजस्वी वाणी, सरल व्याख्या और गीता के सार को जन-जन तक पहुंचाने वाली जया किशोरी आज युवा पीढ़ी की सबसे लोकप्रिय आध्यात्मिक वक्ताओं में से एक हैं। राजस्थान के सुजानगढ़ में जन्मी जया किशोरी नारीशक्ति की प्रतीक हैं, जिन्होंने धर्म को केवल प्रवचन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उसे आज के युग की आवश्यकताओं और युवाओं की सोच के साथ जोड़ते हुए एक नई आध्यात्मिक चेतना को जन्म दिया है।
बीकानेर में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय (एमजीएसयू) के सभागार में रोटरी रॉयल्स द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में जया किशोरी ने युवाओं, महिलाओं और समाज के विभिन्न वर्गों को संबोधित करते हुए गीता, भक्ति और जीवन के संतुलन पर अपने विचार साझा किए।
अपने उद्बोधन की शुरुआत में उन्होंने कहा –
“पहला शास्त्र गीता पढ़ो।”
उन्होंने बताया कि गीता की शुरुआत अर्जुन के भ्रम से होती है, और हम भी जीवन में कई बार भ्रमित रहते हैं – हमें लड़ना आता है, पर समझ नहीं आता कि किससे और क्यों। उन्होंने कहा कि गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शक है।
जया किशोरी ने युवाओं को भक्ति की ओर झुकाव रखने की सलाह देते हुए कहा –
“भक्ति युवा अवस्था में करनी चाहिए, क्योंकि तभी मन और विचार सही दिशा में बढ़ते हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पूजा को बच्चों पर जबरन थोपने के बजाय, उन्हें शास्त्र पढ़ने और आध्यात्मिकता को समझने की ओर प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा –
“अगर मनोरंजन के लिए कुछ पढ़ना है, तो शास्त्र पढ़ो। यह जीवन को दिशा देता है।”
बचपन की स्मृतियों को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि उनकी पहली बेड टाइम स्टोरी गजेंद्र मोक्ष की कथा थी। उन्होंने आग्रह किया कि अभिभावक बच्चों को रात को सोते समय धार्मिक कथाएं सुनाएं जिससे वे बचपन से ही संस्कृति और संस्कारों से जुड़ सकें।
जया किशोरी ने कहा –
“आध्यात्मिकता बोरिंग नहीं है, बल्कि यह जीवन को सुंदर और स्थिर बनाती है।”
गीता का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कभी नहीं कहा कि राज्य त्याग दो। बल्कि उन्होंने कर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
“जीवन में कर्म से भागना कायरों की निशानी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य का असली स्वरूप कठिन समय में ही सामने आता है।
उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि –
“सुंदर जीवन के लिए आध्यात्मिकता और लक्ष्मी (आर्थिक स्थिरता) का संतुलन आवश्यक है। युवा धन कमाएं, लेकिन साथ ही अध्यात्म के मार्ग पर भी चलें।”
जया किशोरी ने युवाओं से आग्रह किया कि वे बुजुर्गों के साथ समय बिताएं।“बुजुर्गों के पास वह अनुभव और जीवन की शक्ति है जो आज के तेज़ रफ्तार दौर में युवाओं के लिए संबल बन सकती है।”
इस दौरान दूरदर्शन को दिए विशेष साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि “आध्यात्मिकता को जीवन का अंग बनाना आज की आवश्यकता है। युवा पीढ़ी यदि धर्म और चिंतन से जुड़ेगी, तो जीवन में स्थिरता और संतुलन स्वयं आ जाएगा।”
राजस्थान की बेटी होने के नाते उन्होंने नारीशक्ति पर विशेष रूप से बात की।उन्होंने कहा “महिलाओं में वही शक्ति है जो शिव को भी झुका सकती है, बस उन्हें अपनी शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है। जैसे हनुमान को उनकी शक्ति याद दिलानी पड़ती थी, वैसे ही आज की महिलाओं को अपनी आत्मशक्ति का बोध कराना जरूरी है।”
वर्तमान समय में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा –“यह मानना गलत है कि लोग सोशल मीडिया का उपयोग बिना लाभ देखे करेंगे। लेकिन युवाओं को समझना चाहिए कि लाभ देखते हुए भी उसका सकारात्मक उपयोग कैसे करें, यह सीखना वक्त की मांग है।”उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता कोई आयु या परंपरा की सीमा नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति है, जो हर मनुष्य को अपनानी चाहिए। उनका सरल और प्रभावी संवाद, जीवन की उलझनों को सुलझाने का रास्ता दिखाता है।
बाइट जया किशोरी आध्यात्मिक वक्ता एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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