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‘दोनों आखें नहीं तो क्या, कठिनाई को दिमाग से हराया’:झुंझुनूं नगरपरिषद में AAO हैं उमेश; काम देख हर कोई दंग

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‘दोनों आखें नहीं तो क्या, कठिनाई को दिमाग से हराया’:झुंझुनूं नगरपरिषद में AAO हैं उमेश; काम देख हर कोई दंग

नगर परिषद में सहायक लेखा अधिकारी उमेश कार्य करते हुए। - Dainik Bhaskar

नगर परिषद में सहायक लेखा अधिकारी उमेश कार्य करते हुए।

झुंझुनूं नगर परिषद में असिस्टेंट अकाउंट ऑफिसर (AAO) उमेश रानासरिया (30) को देख हर कोई हैरान रह जाता है। उमेश को दोनों आंखों से दिखाई नहीं देता। इसके बावजूद वे पूरे परफेक्शन से प्रशासनिक कार्य को अंजाम देते हैं। कई लोगों के लिए उमेश प्रेरणा बन चुके हैं। उमेश का जीवन संघर्ष भरा रहा है।

उमेश झुंझुनूं शहर के रहने वाले हैं। उनके भाई रोजाना उन्हें ऑफिस छोड़ने आते हैं। इसके बाद उमेश अपना केबिन और सिस्टम संभालते हैं और सामान्य कर्मचारी की तरह ही पूरी दक्षता से अपना काम निपटाते हैं।

उमेश रोजाना अपना काम सामान्य व्यक्ति की तरह करते हैं। परिवार, दोस्त और सहयोगी उनसे प्यार करते हैं और पूरा साथ देते हैं।

उमेश रोजाना अपना काम सामान्य व्यक्ति की तरह करते हैं। परिवार, दोस्त और सहयोगी उनसे प्यार करते हैं और पूरा साथ देते हैं।

दिव्यांगता को हावी नहीं होने दिया

उमेश का कहना है- 2002 में इनफेक्शन के कारण दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। इससे पहले देख सकता था। आंखें नहीं होने के कारण मुश्किलों का सामना तो करना पड़ा, लेकिन दिव्यांगता को कभी हावी नहीं होने दिया। करीब 5 साल परेशान रहा। उम्मीद रही कि रोशनी लौट आएगी। इलाज भी कराया लेकिन फिर पूरी तरह अंधेरा छा गया।

यह तो बचपन में ही ठान रखा था कि लाइफ में कुछ बनकर दिखाना है। आंखों की रोशनी जाने के बाद दोबारा नए सिरे से पढ़ाई शुरू की। ओपन शिक्षा माध्यम से 10वीं, 12वीं, ग्रेजुएशन, एमए, एमकॉम और नेट तक किया। एक दिन नगर पालिका की पोस्ट के बारे में पता किया और फिर दिल्ली की ऑल इंडिया कांफ्रोडेक्शन ऑफ ब्लाइंड से बेसिक कोर्स किया। कंप्यूटर कोर्स करने के लिए नेशनल फैडरेशन ऑफ ब्लाइंड (NFB) गया।

प्रदेश में 7वीं रैंक हासिल की

उमेश ने बताया- 2016 में डिपार्टमेंट ऑफ लोकल बॉडीज (DLB) ने वैकेंसी निकाली। इसमें एग्जाम फाइट किया और राजस्थान में 7वीं रैंक हासिल की। इस तरह झुंझुनूं नगर परिषद में अकाउंटेंट की पोस्ट पर नौकरी मिल गई। वर्तमान में सहायक लेखा अधिकारी हूं।

शुरुआत में काम में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन धीरे धीरे काम में परफेक्ट हो गया। यहां जूनियर एलडीसी या सहायक कर्मचारी मिलते हैं। उनकी मदद से सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम (जीएफ एंड एआर), राजस्थान सेवा नियम (आरएसआर) की नॉलेज और टॉकिंग सॉफ्टवेयर पीएफ फीचर को रीड करने के लिए टेस्ट रीडर सॉफ्टवेयर की हेल्प से काम कर लेता हूं। किसी काम में दिक्कत आती है तो साथी हेल्प कर देते हैं।

झुंझुनूं नगर परिषद में लेखा कक्ष से बाहर आते सहायक लेखा अधिकारी उमेश व परिजन।

झुंझुनूं नगर परिषद में लेखा कक्ष से बाहर आते सहायक लेखा अधिकारी उमेश व परिजन।

उमेश ने बताया- सुबह ड्यूटी पर भाई छोड़कर जाता है। शाम को ऑटो से खुद घर चला जाता हूं। काम में स्टाफ का पूरा सहयोग मिलता है, जहां भी कोई दिक्कत आती है, एक दूसरे की हेल्प लेकर पूरा काम हो जाता है। टेक्नोलॉजी की हेल्प मिल जाती है तो काम करने में ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।

उमेश ने अभी शादी नहीं की है। फुरसत में खबरें और नॉवेल सुनना, योग करना और दोस्तों के साथ घूमना उन्हें पसंद है। घर में मां, भाई-भाभी और भतीजा रहते हैं। उनसे जब पूछा कि घर, परिवार, समाज और प्रोफेशन लाइफ के दौरान कठिनाई आती है तो क्या करते हैं। उन्होंने कहा- कठिनाई तो हर इंसान के जीवन में आती हैं। इनसे बच नहीं सकते। सामना कर सकते हैं। अब आदत हो गई है, इसलिए अंधता कठिनाई नहीं लगती। फिर भी समस्याएं आती हैं तो दिमाग और अब तक मिली ट्रेनिंग से कठिनाई से पार पाने का प्रयास करता हूं।

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