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पढ़ाई पर भारी महंगाई, अब स्कूली वाहनों का किराया बढ़ने से परिजन बहुत परेशान, देखिए, ये खास रिपोर्ट

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पढ़ाई पर भारी महंगाई, अब स्कूली वाहनों का किराया बढ़ने से परिजन बहुत परेशान, देखिए, ये खास रिपोर्ट

जयपुर: महंगाई की मार से परेशान लोगों को अब स्कूली वाहनों की महंगाई भी मार रही है. स्कूली बसों, ऑटो, मैजिक और निजी बसों ने बच्चों को स्कूल ले जाने का किराया कई गुना बढ़ा दिया है. बढ़ती महंगाई की वजह से लोगों का पहले से ही बजट बिगड़ा हुआ है. अब स्कूली ऑटो रिक्शा-मैजिक और बसों ने किराया बढ़ा कर बच्चों के परिजनों के सामने नई समस्या खड़ी कर दी है. दो साल बाद ऑटो रिक्शा, मैजिक और प्राइवेट सहित स्कूली बसों ने कन्वेंस की राशि में दुगुनी बढ़ोतरी कर दी है. पहले 7 किमी के 1 हजार रुपए लेते थे, अब इसे बढ़ाकर 2100 रुपए कर दी है.

इससे पहले प्राइवेट स्कूल संचालक फीस में 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर चुके हैं. महंगाई के बाद  स्कूली फीस और कन्वेंस में बढ़ोतरी के बाद परिजन परेशान हैं. कन्वेंस बढ़ाने के बाद स्कूली ऑटो रिक्शा, मैजिक और बस ड्राइवरों के बीच में आए दिन झगडे हो रहे हैं. सुबह-दोपहर में शहर में ट्रैफिक जाम रहता है. स्कूली कन्वेंस की बढ़ोतरी के बाद शहर में सुबह और दोपहर में ट्रैफिक जाम रहता है. इसकी वजह है लोग स्कूली ऑटो रिक्शा, बसों और मैजिक की अपेक्षा पर्सनल गाडी से बच्चों को स्कूल छोड़ने जा रहे हैं. इससे दोनों समय में 50 प्रतिशत ट्रैफिक का दबाव बढ़ जाता है. इससे पॉल्यूशन में बढ़ोतरी हो रही है तो समय बर्बाद हो रहा है. 

पांच साल पहले ये थी दरें:
-3 किमी तक    500 रुपए 
-6 किमी तक    600 रुपए 
-8 किमी तक    700 रुपए 
-10 किमी तक   800 रुपए 
-12 किमी तक   1200 रुपए 

अब 3 से 6 किलोमीटर तक के ही 2500 रुपए लिए जा रहे हैं. स्कूली वाहनों का किराया बढ़ने से मध्यमवर्गीय परिवारों का बजट पूरी तरह से गड़बड़ा गया है. एक ओर जहां परिजनों को स्कूल की फीस चुकाने में ही काफी जोर आया था. वहीं अब स्कूली वाहनों का महंगा किराया उनकी हालत खराब कर रहा है. 2 साल पहले जहां आमेर रोड स्थित गोविंद नगर और बह्मपुरी से एमजीडी स्कूल आने वाले बच्चों से एक हजार रुपए ऑटो रिक्शा लेते थे. अब 1 अप्रैल से यह राशि बढ़ाकर 2 हजार रुपए कर दी है. इतना ही नहीं 2 माह की गर्मियों की छुट्टियों के भी एडवांस ले रहे हैं. इस वजह से कई तो ऑटो रिक्शा- मैजिक और बसों में बच्चों को नहीं. 

मानसरोवर में कोरोना से पहले रामबाग स्थित स्कूल के लिए ऑटो रिक्शा 1200 रुपए ले रहे थे. अब कन्वेंस बढ़ाकर 2500 रुपए मांग रहे हैं. इसके बावजूद भी प्राइवेट स्कूली बस और ऑटो रिक्शा नहीं मिल रहे हैं. बच्चों को अब स्वयं को छोड़ना पड़ रहा है. परिवहन विभाग ने 15 साल पुराने कॉमर्शियल डीजल वाहनों के संचालक पर रोक लगा दी है. इन ऑटो रिक्शा में ही अधिकर स्कूली बच्चे जाते हैं. अब एलपीजी, सीएनजी और पेट्रोल के ऑटो रिक्शा है. इनमें बच्चे भी आते हैं. वहीं पेट्रोल-डीजल के दामों में 2 साल में 40 रुपए तक की बढ़ोतरी को चुकी है. 

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