बोर्ड परीक्षाओं में स्कूल यूनीफॉर्म अनिवार्य करने का नियम लागू करने पर पैपा ने बोर्ड सचिव का जताया आभार
बीकानेर। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान, अजमेर द्वारा बोर्ड परीक्षाओं के दौरान परीक्षार्थियों हेतु स्कूल यूनीफॉर्म अनिवार्य किए जाने का नियम लागू करने के फैसले को स्वागत योग्य कदम बताते हुए प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) राजस्थान के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल एवं लोकेश कुमार मोदी ने बोर्ड के सचिव कैलाश चंद्र शर्मा का बुके भेंट कर आभार व्यक्त किया। पैपा के समन्वयक खैरीवाल के मुताबिक इस दौरान बोर्ड परीक्षाओं एवं प्राईवेट स्कूल्स के बोर्ड से एफिलिएशन से संबंधित 16 बिंदुओं पर बोर्ड सचिव शर्मा के साथ बिंदुवार सार्थक चर्चा हुई। इस अवसर पर खैरीवाल ने सचिव का तहेदिल आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बोर्ड परीक्षाओं के लिए यूनीफॉर्म की अनिवार्यता होने से परीक्षार्थियों में पूरा अनुशासन एवं गंभीरता देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि यूनिफॉर्म का अपना एक अलग ही प्रभाव होता है। खैरीवाल ने सचिव को बताया कि 2017 में ऐसा ही सुझाव पैपा ने भी बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया था। लगभग 20 मिनिट से अधिक चली वार्ता में खैरीवाल ने बोर्ड परीक्षाओं एवं प्राईवेट स्कूल्स के बोर्ड के साथ एफिलिएशन से संबंधित 16 बिंदुओं को प्रस्तुत करते हुए बोर्ड सचिव को बताया कि इन सुझाव एवं अपेक्षाओं हेतु पैपा लगातार बोर्ड के अधिकारियों के समक्ष अपनी मांगें रखता आ रहा है, लेकिन अभी तक कुछ एक सुझावों के अतिरिक्त किसी भी सुझावों पर बोर्ड द्वारा मनन नहीं किया गया है। इस दौरान बोर्ड सचिव ने बिंदुवार गंभीर एवं सार्थक चर्चा करने के बाद कहा कि जो भी सुझाव त्वरित रूप से लागू किए जा सकते हैं, उन्हें लागू कराने की वे पूरी कोशिश करेंगे। उन्होंने प्राईवेट स्कूल्स की एफिलिएशन से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए बोर्ड परीक्षाओं के पश्चात पुनः वार्ता कर निष्कर्ष या समाधान के गंभीर प्रयास किए जाने का आश्वासन भी दिया।
इन 16 बिंदुओं पर बोर्ड सचिव के साथ चर्चा हुई।
1.बोर्ड परीक्षा के दौरान में सरकारी स्कूल्स के होम एवं क्रोस सेंटर हटाया जाना ही चाहिए।
- बोर्ड परीक्षा में किसी भी केन्द्र पर स्थानीय स्टाफ़ की ड्यूटी नहीं लगाई जानी चाहिए। इसके बजाय अन्य स्कूल्स के कर्मचारी ही वीक्षक, केन्द्राधीक्षक व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नियुक्त किये जाने चाहिए।
- बोर्ड परीक्षाओं हेतु एक स्कूल का एकल स्कूल परीक्षा केन्द्र नहीं होना चाहिए। एकल स्कूल परीक्षा केन्द्रों की व्यवस्था तुरंत प्रभाव से समाप्त की जानी चाहिए।
- सरकारी स्कूल्स और निजी स्कूल्स में बोर्ड की ओर से वीक्षण, प्रायोगिक परीक्षण, प्रशिक्षण, पुरस्कार, सम्मान, इत्यादि किसी भी तरह के भेदभाव नहीं होने चाहिए।
- बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों में योग्यता सूची (मैरिट लिस्ट) जारी करने की व्यवस्था पुनः शुरू की जानी चाहिए।
- बोर्ड परीक्षा केंद्रों पर ड्यूटी करने वाले सभी तरह के अधिकारियों, वीक्षकों, कर्मचारियों इत्यादि के मानदेय में तर्कसंगत वृद्धि की जानी चाहिए।
- परीक्षा के दौरान प्राईवेट स्कूल्स के टीचर्स को भी ड्यूटी दी जानी चाहिए अथवा उनकी भूमिका तय की जानी चाहिए।
- प्राईवेट स्कूल्स के प्रति बोर्ड के नजरिए में सुधार की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। नियमों की आड़ में परीक्षा शुरू होने से पर्याप्त समय पहले केंद्रों पर प्राईवेट स्कूल्स के परीक्षार्थियों के स्कूल्स के टीचर्स अथवा प्रतिनिधियों को प्रवेश नहीं दिया जाता है, जो कि भेदभाव पूर्ण है, इस तरह की व्यवस्था को तुरंत रूप से बंद करवाया जाना चाहिए।
- परीक्षा केंद्र पर फर्नीचर की व्यवस्था हेतु जिन स्कूल्स द्वारा फर्नीचर उपलब्ध कराया जाता है, उन्हें फर्नीचर के परिवहन के खर्च का भुगतान बोर्ड को करना चाहिए क्योंकि बोर्ड द्वारा परीक्षा के लिए शुल्क लिया जा रहा है तो सभी व्यवस्थाएं करना उसका दायित्व है।
- बोर्ड परीक्षाओं की उतरपुस्तिकाओं के लिए मूल्यांकन मानदेय में वृद्धि की जानी चाहिए।
- अंकतालिका एवं अन्य प्रमाणपत्रों में संशोधन के लिए लागू भारी भरकम शुल्क या तो लिया ही नहीं जाना चाहिए। यदि लेना आवश्यक हो तो शुल्क बहुत ही न्यूनतम होना चाहिए।
- डुप्लीकेट अंक तालिका एवं अन्य या प्रमाण पत्रों को वर्तमान में कैंडिडेट द्वारा ये दस्तावेज जारी होने के बाद प्रमाणित करवाने के नियम को संशोधित करते हुए डुप्लीकेट दस्तावेजों यथा मार्कशीट या अन्य सर्टिफिकेट्स हेतु संबंधित विद्यालय की एनओसी अनिवार्य की जानी चाहिए।
- बोर्ड से संबद्धता हेतु भारी भरकम पेनल्टी के कारण लंबित चल रही सभी
पत्रावलियों को बिना किसी तरह की पेनल्टी वसूल किए तुरंत प्रभाव से स्थाई संबद्धता जारी की जानी चाहिए। यदि बोर्ड अपनी इस हठधर्मिता से नहीं हटना चाहता है तो एमनेस्टी स्कीम बनाकर कोई मध्य मार्ग निकालकर लंबित फाईल्स का समाधान किया जा सकता है। एक उपाय यह भी हो सकता है कि बोर्ड अधिकतम 50 हजार से अधिक की पेनल्टी किसी भी प्रकार के स्कूल्स से नहीं वसूले।
- बोर्ड से संबद्धता हेतु भारी भरकम पेनल्टी के कारण लंबित चल रही सभी
- प्राईवेट स्कूल्स से प्रतिवर्ष लिए जा रहे संबद्धता शुल्क 2000/- (प्रति विद्यालय) की वसूली बंद की जानी चाहिए।
- बोर्ड की स्थाई संबद्धता की प्रक्रिया को सरल किया जाना चाहिए।
- बोर्ड के नियमानुसार बोर्ड की समिति में प्राईवेट स्कूल्स के न्यूनतम दो प्रतिनिधियों को प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए।
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