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पोकरमल राजरानी गोयल स्मृति चतुर्थ राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार समारोह आयोजित….

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भाषा को प्रोत्साहित करने में समाज की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण
पोकरमल राजरानी गोयल स्मृति चतुर्थ राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार समारोह आयोजित
महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में स्थाई राजस्थानी विभाग की जल्दी होगी स्थापना, उच्च शिक्षा मंत्री ने दी सैद्धांतिक सहमति: कुलपति

बीकानेर, 27 अप्रैल। मुक्ति संस्था के तत्वावधान में चौथा पोकरमल-राजरानी गोयल स्मृति राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार समारोह स्टेशन रोड स्थित होटल राजमहल में आयोजित किया गया।

समारोह की अध्यक्षता महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरु आचार्य मनोज दीक्षित ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मदन सैनी थे।
इस वर्ष का राजस्थानी महिला लेखन सम्मान वरिष्ठ कथाकार डाॅ. कृष्णा आचार्य को उनके राजस्थानी कहानी संग्रह ‘तिणकां री भींत’ के लिए एवं युवा राजस्थानी कथाकार पुरस्कार जोधपुर डाॅ.कप्तान बोरावड़ को उनके कहानी संग्रह ‘आंगणै री आस’ के लिए दिया गया। दोनों साहित्यकारों को पुरस्कार स्वरूप नगद राशि 11-11 हजार रुपए, स्मृति चिन्ह, शाल एवं अभिनंदन पत्र अर्पित किया गया।

महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलगुरु आचार्य मनोज दीक्षित ने कहा कि राजस्थानी भाषा को समृद्ध करने एवं इसे जन-जन की भाषा बनाने में ऐसी संस्थाएं एवं ऐसे पुरस्कारों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। इससे समाज में भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के प्रति आदर भाव बढ़ता है। आचार्य दीक्षित ने कहा कि भाषा को प्रोत्साहित करने में समाज की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने आह्वान किया कि समाज भी साहित्य एवं संस्कृति में काम करने वाले लोगों को भरपूर सहयोग करे।

आचार्य दीक्षित ने मुक्ति संस्था एवं पोकरमल राजरानी गोयल ट्रस्ट से आग्रह किया कि वरिष्ठ एवं युवा वर्ग के लिए अलग-अलग पुरस्कार दिए जाने से हमारी आने वाली पीढ़ी भाषा एवं संस्कृति के प्रति जागरूक होगी। दीक्षित ने कहा कि कार्यक्रम में गौरव एवं प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं कि जब एक गुरु अपने गले की माला शिष्य के गले में डाल रहा हैं।
दीक्षित ने कहा कि विश्वविद्यालय में स्थाई राजस्थानी विभाग प्रारंभ करने हेतु उप मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री ने सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी है। उन्होंने कहा कि मुक्ति संस्था विश्वविद्यालय में स्थाई विभाग खुलवाने की बराबर मांग करती रही है। इसके मद्देनजर उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री के समक्ष यह बात रखी। उच्च शिक्षा मंत्री ने इस पर सहमति देते हुए तीन माह में कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

युवा उद्यमी एवं कार्यक्रम समन्वयक डाॅ.नरेश गोयल ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने पोकरमल राजरानी गोयल चैरिटेबल ट्रस्ट के बारे में जानकारी दी।

मुक्ति संस्थान के सचिव कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पुरस्कार के लिए देश भर के विभिन्न राज्यों से राजस्थानी कथा संग्रह की 16 पुस्तकें प्राप्त हुई। चयन समिति द्वारा इनमें से दो पुस्तकों का चयन किया गया।

उन्होंने कहा कि गत दशक में राजस्थानी साहित्य सृजन में आमूलचूल इजाफा हुआ है। जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के दृष्टिकोण से अच्छे संकेत हैं। उन्होंने कहा कि आज के राजस्थानी लेखक प्रयोग धर्मी हैं, इससे लेखन की गहराई में और इजाफा हुआ है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ.मदन सैनी ने कहा कि साहित्यकारों को सम्मानित करना हमारी सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान है। कोई भी आदर्श समाज अपने गुणीजनों को सम्मानित करके स्वयं गौरवान्वित होता है। उन्होंने कहा कि साहित्य न केवल मानव मूल्यों का उपस्थापन करता है, बल्कि समाज को संस्कारित करता है और समाज का मार्गदर्शन भी करता है। आज सम्मानित होने वाले दोनों ही रचनाकारों ने अपनी कहानियों में सामाजिक समरसता, पारिवारिक प्रेम, देश-प्रेम तथा मानवता के हित में सकारात्मक सोच को महत्त्व दिया है। मातृभाषा में किया जाने वाला सृजन न केवल कालजयी होता है, अपितु समाज को सदैव स्वयं में भी प्रतिबिंबित करता रहता है।

पुरस्कृत लेखिका डॉ. कृष्णा आचार्य के अभिनंदन पत्र का वाचन वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने किया एवं युवा साहित्यकार डॉ. कप्तान बोरावड़ के अभिनंदन पत्र का वाचन राजस्थानी व्याख्याता डॉ. गौरी शंकर प्रजापत ने किया।

अपने सम्मान के प्रतिउत्तर में डाॅ.कृष्णा आचार्य एवं डाॅ.कप्तान बोरावड़ ने भी विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर कथारंग के संपादक हरीश बी शर्मा , सामाजिक कार्यकर्ता रामदेव खत्री तथा विमलेश बिजारणिया का भी सम्मान किया गया।

कार्यक्रम का संचालन युवा रचनाकार संजय आचार्य वरूण ने किया तथा युवा उद्यमी एवं ट्रस्ट के राजेश गोयल ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

कार्यक्रम में डाॅ. अजय जोशी, प्रो. झाझरिया, पृथ्वीराज रतनू, एडवोकेट महेंद्र जैन, मनोज व्यास, कमल रंगा, डाॅ.प्रशांत बिस्सा, रवि पुरोहित, अमित गोयल, जुगल किशोर पुरोहित, रवि आचार्य, विप्लव व्यास, आत्माराम भाटी, संजय श्रीमाली, हजारी देवड़ा, गजेंद्र सिंह राठौड़, महेंद्र जोशी, सुरेश हिंदुस्तानी, अशफाक कादरी, डॉ नमामी शंकर आचार्य, इसरार हसन कादरी, डॉ. मोहम्मद फारूक चौहान, बाबूलाल छंगाणी, सुभाष जोशी, सुभाष मित्तल, डाॅ. रेणुका व्यास , गंगाविशन बिश्नोई, मनीषा आर्य सोनी, आशा शर्मा, टीनू गोयल, सुनीता गोयल, डॉ मोनिका रघुवंशी, निपुण गोयल, वेद प्रकाश अग्रवाल , कल्याण मल सुथार, डॉ एस सी मेहता, संजय कोचर सहित अनेक साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता, उद्यमी एवं शिक्षाविद उपस्थित हुए।

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