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प्रेमचंद निर्भीक लेखक थे उस दौर में ब्रिटिश शासन के काले कानूनो के विरुद्ध कलम चलाई

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बीकानेर। नवकिरण सृजन मंच के तत्वावधान में मुंशी प्रेमचंद जयंती का आयोजन किया गया । जयंती समारोह के मुख्य अतिथि साहित्यकार कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता व्यंगकार-सम्पादक डॉ. अजय जोशी ने की। विशिष्ट अतिथि साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार रहे ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में नव किरण साहित्य मंच की निदेशक कवियत्री यामिनी जोशी ने स्वागत उद्बोधन देते हुए प्रेमचंद पर अपनी स्वरचित कविता प्रस्तुत की।
मुख्य अतिथि राजेन्द्र जोशी ने कहा की प्रेमचंद का साहित्य समाज को नई दिशा देते हुए आज भी प्रसांगिक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के दर्द की अभिव्यक्ति जिसे कैद किया गया उसे प्रेमचंद के कालजयी साहित्य ने मुक्त करवाया था। जोशी ने कहा कि जातिवाद की भावना, सांप्रदायिकता, ऊँच-नीच का भेद और शोषण के विरुद्ध प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से आमजन को जागरूक करने का काम किया। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद निर्भीक लेखक थे उस दौर में ब्रिटिश शासन के काले कानूनो के विरुद्ध कलम चलाई, जोशी ने कहा कि एक सामान्य परिवार से आते हुए साहित्य में दैदीप्यमान नक्षत्र की भांति समाज के सम्मुख उपस्थित रहें।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. अजय जोशी ने कहा की प्रेमचंद को किसी जाति, धर्म, संप्रदाय के लेखक के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने मनुष्यता को पहचान दिलाने का प्रमुख काम किया। जोशी ने कहा कि मुंशी जी का साहित्य समाज को नई दिशा एवं दशा देने वाला रहा है।
विशिष्ट अतिथि राजाराम स्वर्णकार ने प्रेमचंद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से पत्र -वाचन करते हुए कहा कि प्रेमचंद प्रारंभ में महात्मा गांधी से प्रभावित हुए, फिर विमुख हुए उसके बाद गोदान के माध्यम से किसान के शोषण और दुर्दशा का चित्रण पाठकों के सामने रखा। स्वर्णकार ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने यथार्थ को रेखांकित किया।
प्रारंभ में मुंशी प्रेमचंद के तेल चित्र पर उपस्थित साहित्यकारों एवं साहित्य अनुरागियों ने पुष्पांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम का संचालन विष्णु शर्मा ने किया ।

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