एनआरसीसी द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा पर कार्यशाला आयोजित
बीकानेर 29 अप्रैल 2025 । भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एन.आर.सी.सी.) की ओर से
बौद्धिक संपदा दिवस समारोह के तहत आज दिनांक 29 अप्रैल, 2025 को “बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा: अवसर और चुनौतियां” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें संस्थान के सभी वैज्ञानिकों, तकनीकी एवं प्रशासनिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने सक्रिय रूप से सहभागिता निभाई।
इस कार्यशाला में अतिथि वक्ता के रूप में वचुर्अल रूप से जुड़ते हुए सुश्री शिखा सिंह, बौद्धिक संपदा विशेषज्ञा एवं प्रबंधन सहायक, लेक्स ऑर्बिस प्रा.लि., नई दिल्ली ने कहा कि बौद्धिक सृजन के परिप्रेक्ष्य में प्रदान किए जाने वाले अधिकार ही बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाता है, यहां यह कहना समीचीन होगा कि बौद्धिक संपदा का अधिकार रोजगार सृजन, व्यावसायीकरण एवं नए खोजों की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाता है। अत: वर्तमान युग में इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है । अपने व्याख्यान में उन्होंने सदन को अधिकारों के वर्गीकरण यथा-कॉपीराइट, पेटेन्ट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन आदि के बारे में सउदाहरण समझाया एवं प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का उचित निराकरण किया।
इस अवसर पर केन्द्र निदेशक डॉ.अनिल कुमार पूनिया ने कार्यशाला के विषयगत व्याख्यान को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि चूंकि हम एक विलक्षण प्रजाति ‘ऊँट’ पर कार्य कर रहे हैं तथा ऊँटों के विविध पहलुओं यथा- जनन, प्रजनन, पोषण, शरीर क्रिया विज्ञान, स्वास्थ्य, ऊँटनी का दूध एवं मूल्य संवर्धित दुग्ध उत्पादों के निर्माण एवं इसके व्यावसायीकरण आदि से जुड़ी वैज्ञानिकों की सृजनशीलता को क्रियान्वित करने के साथ-साथ उसे बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत सुरक्षित रखना आवश्यक है।
कार्यशाला में स्वागत उद्बोधन केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ.समर कुमार घोरुई ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम समन्वयक डॉ.राकेश रंजन ने सदन को बताया कि विश्व बौद्धिक संपदा संगठन, जो वैश्विक स्तर पर बौद्धिक संपदा के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है तथा 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के रूप में मनाया जाता है, यह कार्यशाला उसी परिप्रेक्ष्य में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के दिशा-निर्देशानुसार आयोजित की गई है। धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. बसंती ज्योत्सना, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने प्रस्तुत किया।
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