भजनलाल मंत्रिपरिषद में राजे-गहलोत पैटर्न:10 जाति-वर्गों से उतने ही मंत्री बनाए, जितने वसुंधरा सरकार में थे

भजनलाल सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार में बहुत हद तक पुराना पैटर्न ही अपनाया गया है। सीएम, डिप्टी सीएम सहित 25 मंत्रियों की मंत्रिपरिषद में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत वाला पैटर्न अपनाया गया है। भजनलाल मंत्रिपरिषद में 10 जाति-वर्गों को वसुंधरा राजे की फाइनल मंत्रिपरिषद जितनी जगह दी गई है। वहीं, दिसंबर 2018 में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में भी सीएम सहित 25 मंत्री बनाए गए थे।
जातीय समीकरण साधने के लिए पुराना पैटर्न अपनाया गया है। इसमें ब्राह्मण, एससी, एसटी, जाट, जट्ट सिख, गुर्जर, कलवी पटेल, सैनी, देवासी और कुमावत समाज से जितने मंत्री वसुंधरा राजे की मंत्रिपरिषद में फाइनल विस्तार के बाद थे, उतने भजनलाल की पहली मंत्रिपरिषद में हैं।
वसुंधरा सरकार में जो नहीं था और भजनलाल मंत्रिपरिषद में है
वसुंधरा सरकार में नागर और विश्नोई समाज से कोई मंत्री नहीं था। जबकि भजनलाल सरकार ने इस वर्ग से मंत्री बनाए हैं।

भजनलाल सरकार में हीरालाल नागर और केके विश्नोई को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है।
वसुंधरा सरकार में जो था और भजनलाल मंत्रिपरिषद में नहीं
वसुंधरा राजे की फाइनल विस्तारित मंत्रिपरिषद में राजपूत समाज से 4 मंत्री थे, जबकि भजनलाल सरकार में 3 हैं। वसुंधरा सरकार में वैश्य समाज से 3 मंत्री थे, भजनलाल सरकार में एक है। वसुंधरा मंत्रिपरिषद में सिंधी समाज से 2, यादव समाज से 1 और मुस्लिम समुदाय से 1 मंत्री था। भजनलाल सरकार में यादव, सिंधी और मुस्लिम मंत्री नहीं है। बीजेपी ने इस बार किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था।

भजनलाल सरकार की मंत्रिपरिषद में सिंधी, रावणा राजपूत और राजपुरोहित समाज से कोई मंत्री नहीं बना है।
वैश्य, गुर्जर और यादव को साधना बाकी
बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक वैश्य समाज के आठ विधायकों में से एक ही मंत्री बनाया गया है। यादव समाज से हर बार मंत्री बनता आया है, इस बार एक भी नहीं है। राजपूत समाज के 16 विधायक जीते हैं, एक डिप्टी सीएम और दो कैबिनेट मंत्र बनाए हैं। राजपूत समाज के नेताओं ने इसे कम बताते हुए नाराजगी जताई है। राजपूत नेता महावीर सिंह सरवड़ी ने कहा है कि राजपूत एकतरफा बीजेपी को वोट करता है। उन्हें विधायकों की संख्या के लिहाज से प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। सिंधी, रावणा राजपूत और राजपुरोहित समाज से कोई मंत्री नहीं बना है। वासुदेव देवनानी के विधानसभा स्पीकर बनने के बाद सिंधी समाज से मंत्री नहीं बनाया।
दिसंबर 2013 में वसुंधरा सरकार में शुरुआत में सिर्फ 12 मंत्री बने थे
वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार में छोटी मंत्रिपरिषद बनी थी। दिसंबर 2013 में वसुंधरा राजे की मंत्रिपरिषद में सीएम के अलावा 12 मंत्री थे। इनमें 9 कैबिनेट और 3 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे। उस वक्त 17 जगह खाली थी। बाद में मंत्रिमंडल विस्तार किए गए थे। भजनलाल सरकार में सीएम सहित 25 मंत्री हो चुके हैं। अब केवल 5 मंत्रियों की जगह बची है।
भजनलाल सरकार इस मायने में वसुंधरा राजे से आगे
वसुंधरा राजे के टर्म से तुलना करने पर भजनलाल सरकार मंत्रिपरिषद के मामले में आगे है। 10 बड़े वर्गों में वसुंधरा राजे ने 3 साल बाद संतुलन बनाया। वह पैटर्न भजनलाल सरकार के पहले विस्तार में हो गया है।

अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे की सरकारों में अलग-अलग समय पर विस्तार किया गया था।
2018 में गहलोत की पहली मंत्रिपरिषद में सीएम सहित 25 मंत्री थे
दिसंबर 2018 में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में सीएम सहित 25 मंत्री बनाए गए थे। गहलोत की मंत्रिपरिषद में एससी से 4, एसटी के 4, जाट 4, राजपूत, ब्राह्मण व गुर्जर समाज से 2-2 मंत्री, वैश्य 3, विश्नोई, यादव, मुस्लिम और आंजना समाज से 1-1 मंत्री थे। सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद पायलट सहित तीन मंत्री बर्खास्त कर दिए गए थे। नवंबर 2021 में मंत्रिपरिषद में फेरबदल और विस्तार हुआ था।










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