*भारतीय आमों की दुनियाभर मांग:2 वर्ष बाद अमेरिका में हमारे आम, रेडिएशन ने बनाए कोरोना सेफ*
भारतीय आमों की मांग दुनियाभर में है। खासकर अमेरिका में तो इसे लेकर खासी बेसब्री है। पिछले दो साल से कोरोना के चलते भारत से आम का आयात प्रतिबंधित कर दिया गया था। हाल ही में अमेरिका ने फिर से आयात को मंजूरी दे दी है। राजस्थान के रावतभाटा में बन रहे विकिरण सोर्स की मदद से फूड इरैडिएशन प्रक्रिया से गुजरने के बाद इन आमों को अमेरिका भेजा जा रहा है।.कोटा के करीब रावतभाटा में बोर्ड ऑफ रेडिएशन एंड आइसोटोप टेक्नोलॉजी (ब्रिट) की कोबाल्ट फैसिलिटी में कोबाल्ट 60 विकिरण सोर्स बनता है। यह सोर्स फूड इरैडिएशन के लिए फूड प्रोसेसिंग प्लांट को उपलब्ध कराया जाता है। वहां पर खाने की चीजें बैक्टीरिया, वायरस और इंसेक्ट्स रहित होते हैं। रावतभाटा से विकिरण सोर्स फूड प्रोसेसिंग देश के चार प्रमुख केंद्र को उपलब्ध करा दिए गए हैं।
इनमें महाराष्ट्र के नासिक जिले के लासलगांव, वापी, गुजरात के अहमदाबाद, कर्नाटक के बेंगलुरू में स्थित केंद्र शामिल हैं। 2019 में (कोरोना से पहले) अमेरिका को 1095 टन आम निर्यात किया गया था। इन्हें हवाई मार्ग से भेजा जाता है। इस बार 1100 टन यानी करीब 39 करोड़ रुपए का आम भेजा जाएगा।इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे। अमेरिका में भारतीय आमों को सबसे ज्यादा दाम मिलते हैं। बाजारों में आम की आवक मार्च में शुरू होती है। अगस्त में खत्म होती है। देश में आम की 100 से ज्यादा किस्में हैं। इनमें से 20 किस्मों को राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड ने व्यावसायिक माना है।
प्रमुख व्यावसायिक किस्मों में अल्फांसो (हापुस) और केसर शामिल हैं। अमेरिका आम के बदले में भारत को अल्फाल्फा घास और चेरी देगा। इससे हमें अमेरिका की चेरी बाजार में आसानी से मिल सकेगी। ब्रिट के उप महाप्रबंधक सईद अनवर तारिक बताते हैं, बाहर भेजे जाने वाले आमों को फूड इरैडिएशन प्रक्रिया से गुजारा जाता है। इसके लिए रेडिएशन सोर्स उपलबध करवा दिए गए हैं। ब्रिट के पूर्व सीईओ डॉ. ए.के. कोहली ने बताया कि खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए फूड इरैडिएशन का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है और यह गर्व की बात है कि भारत इस प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर है।
*आयोनाइजिंग रेडिएशन डालने पर पूरी तरह सुरक्षित हो जाती हैं खाने की चीजें*
खाने की चीजों पर आयोनाइजिंग रेडिएशन डालने से उसमें उपस्थित माइक्रोऑर्गनिज्म, बैक्टीरिया, वायरस आदि नष्ट हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को खाने की चीजों का विकिरणन कहा जाता है। अमेरिका अपने यहां किसी भी तरह से असुरक्षित खाने की चीजों को आयात नहीं करता। इसलिए इस प्रक्रिया से गुजारकर चीजों को भेजा जाता है।
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