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भारतीय एयर-एंबुलेंस न मिलने से मालदीव में लड़के की मौत:14 साल के बच्चे को ब्रेन ट्यूमर था; राष्ट्रपति मुइज्जू ने परमिशन नहीं दी थी

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भारतीय एयर-एंबुलेंस न मिलने से मालदीव में लड़के की मौत:14 साल के बच्चे को ब्रेन ट्यूमर था; राष्ट्रपति मुइज्जू ने परमिशन नहीं दी थी

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू भारत विरोधी और चीन के समर्थक हैं। नवंबर में उनके सत्ता संभालने के बाद से ही भारत और मालदीव के बीच रिश्ते बिगड़ने लगे थे। - Dainik Bhaskar

मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू भारत विरोधी और चीन के समर्थक हैं। नवंबर में उनके सत्ता संभालने के बाद से ही भारत और मालदीव के बीच रिश्ते बिगड़ने लगे थे।

मालदीव और भारत विवाद के चलते मालदीव के 14 साल के गंभीर रूप से बीमार बच्चे की मौत हो गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसकी जान बचाने के लिए उसे तत्काल एयरलिफ्ट करके अस्पताल ले जाना था, लेकिन प्रेसिडेंट मोहम्मद मुइज्जू ने भारत डॉर्नियर एयरक्राफ्ट के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी। इसके चलते समय रहते बच्चे को बचाया नहीं जा सका।

यह बच्चा ब्रेन ट्यूमर और स्ट्रोक से जूझ रहा था। उसके परिवार ने गाफ अलिफ विलिंगली के आइलैंड विलमिंगटन से बच्चे को मालदीव की राजधानी माले एयरलिफ्ट करने के लिए एयर एंबुलेंस मांगी थी। इसके लिए उन्होंने बुधवार (17 जनवरी) रात से ही एयरलिफ्ट की रिक्वेस्ट करनी शुरू कर दी थी।

लेकिन, गुरुवार (18 जनवरी) सुबह तक परिवार की मांग को लेकर किसी तरह का जवाब नहीं आया। गुरुवार सुबह जब देश के एविएशन डिपार्टमेंट ने जवाब दिया, तब तक 16 घंटे बीत चुके थे। आखिरकार मालदीव की आसांधा कंपनी लिमिटेड ने बच्चे को एयरलिफ्ट किया और उसे ICU में भर्ती कराया गया, लेकिन बच्चे को बचाया नहीं जा सका।

बच्चे के पिता बोले- एयर एंबुलेंस का मिलना जरूरी था
बच्चे के पिता ने कहा कि हमने आइलैंड एविएशन को कॉल करके तुरंत मदद मांगी थी, लेकिन उन्होंने हमें जवाब नहीं दिया। उन्होंने गुरुवार सुबह 8:30 बजे फोन का जवाब दिया। ऐसे मामलों में एयर एंबुलेंस का मिलना बहुत जरूरी है।

एयरलिफ्ट करने वाली मालदीव की कंपनी ने टेक्निकल गड़बड़ी का हवाला दिया
आसांधा कंपनी ने इस मामले को लेकर एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि मदद की रिक्वेस्ट आते ही उन्होंने बच्चे के मेडिकल ट्रांसफर की तैयारी कर ली थी, लेकिन आखिरी वक्त पर एक टेक्निकल ग्लिच की वजह से देरी हुई।

भारत-मालदीव के बीच विवाद की वजह…
PM मोदी ने 4 जनवरी को अपने लक्षद्वीप दौरे का एक वीडियो शेयर किया था। इसमें लक्षद्वीप खूबसूरती के लिहाज से मालदीव को टक्कर देता नजर आया। सोशल मीडिया पर लोग कहने लगे कि लाखों रुपए खर्च कर मालदीव जाने से बेहतर है कि लक्षद्वीप जाएं।

PM ने लक्षद्वीप विजिट की फोटो शेयर की थी। इस तस्वीर के साथ लिखा था- जो लोग अपने अंदर साहस बटोरना चाहते हैं, उनकी लिस्ट में लक्षद्वीप जरूर होना चाहिए।

PM ने लक्षद्वीप विजिट की फोटो शेयर की थी। इस तस्वीर के साथ लिखा था- जो लोग अपने अंदर साहस बटोरना चाहते हैं, उनकी लिस्ट में लक्षद्वीप जरूर होना चाहिए।

इससे नाराज होकर मालदीव के मंत्री मरियम शिउना, डिप्टी मिनिस्टर्स अब्दुल्ला महजूम माजिद और माल्शा शरीफ ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में PM मोदी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। वहीं, नेता जाहिद रमीज लिखा कि भारत सर्विस के मामले में हमारा मुकाबला नहीं कर सकता। मरियम यूथ एम्पावरमेंट, इन्फॉर्मेशन एंड आर्ट की डिप्टी मिनिस्टर थीं।

मालदीप के नेताओं की आपत्तिजनक पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर भारतीयों और मालदीव के नागरिकों के बीच जंग छिड़ गई। भारत के लोगों का गुस्सा इतना बढ़ गया कि देश में हैशटैग BoycottMaldives और ExploreIndianIsland ट्रेंड करने लगा।

सचिन तेंदुलकर, अक्षय कुमार, सलमान खान सहित कई सेलिब्रिटिज भी इस मूवमेंट में शामिल हो गए और भारतीय टूरिज्म का समर्थन किया। इसके बाद मालदीव सरकार ने मंत्री मरियम शिउना, डिप्टी मिनिस्टर्स माल्शा शरीफ और अब्दुल्ला महजूम माजिद को सस्पेंड कर दिया। सरकार की तरफ से एक बयान में कहा गया कि उनके नेताओं के कमेंट्स पर्सनल हैं और मालदीव सरकार का नजरिया नहीं हैं।

बाएं से- मंत्री मरियम शिउना, डिप्टी मिनिस्टर्स अब्दुल्ला महजूम माजिद और माल्शा शरीफ। मालदीव सरकार ने इन्हें सस्पेंड किया है।

बाएं से- मंत्री मरियम शिउना, डिप्टी मिनिस्टर्स अब्दुल्ला महजूम माजिद और माल्शा शरीफ। मालदीव सरकार ने इन्हें सस्पेंड किया है।

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मालदीव में राष्ट्रपति मुइज्जू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की मांग:विपक्ष ने कहा- भारत से रिश्ते सुधारे सरकार; मुइज्जु बोले- हमारे यहां ज्यादा टूरिस्ट भेजे चीन

भारत से विवाद होने के बाद मालदीव में राष्ट्रपति मुइज्जू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग उठने लगी है। मालदीव की विपक्षी पार्टी (मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी) के नेता अली आजिम ने कहा है कि हमें देश की फॉरेन पॉलिसी को मजबूत बनाए रखना है।

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