
Saudi Arabia India First Naval Exercise: खाड़ी देशों में अपनीपकड़ मजबूत कर रही भारतीय नौसेना पहली बार सऊदी अरब की नौसेना के साथ युद्धाभ्यास करने जा रही है। सऊदी अरब के साथ मिलकर हूती विद्रोहियों से निपट रहे पाकिस्तान के लिए यह बुरी खबर है।
रियाद
भारत और खाड़ी देशों में सबसे ताकतवर मुल्क कहे जाने वाले सऊदी अरब की नौसेना के बीच पहली बार युद्धाभ्यास होने जा रहा है। यह युद्धाभ्यास ऐसे समय पर होने जा रहा है जब दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। अब भारत और सऊदी अरब रक्षा क्षेत्र में भी दोस्ती को मजबूत करने में जुट गए हैं। अब पाकिस्तानी सेना के करीबी रहे सऊदी अरब के भारतीय नौसेना के साथ नजर आने पर इमरान सरकार की टेंशन बढ़ना तय माना जा रहा है।
अल मोहेद अल हिंदी 2021 अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए भारतीय नौसेना का गाइडेट मिसाइल डेस्ट्रायर आईएनएस कोच्चि सऊदी अरब पहुंच गया है। इसी युद्धपोत ने अभी संयुक्त अरब अमीरात की नौसेना के साथ अबूधाबी के तट पर युद्धाभ्यास किया था। अल मोहेद अल हिंदी 2021 का बंदरगाह पर अभ्यास सोमवार को ही शुरू हो गया था लेकिन समुद्र आधारित अभ्यास बुधवार से शुरू होने जा रहा है।
ड्रोन हमले से खाड़ी क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल
भारतीय युद्धपोत के सऊदी अरब के जुबैल बंदरगाह पहुंचने पर उसका सऊदी नौसेना की ओर से जोरदार स्वागत किया गया। खाड़ी क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल के बीच हो रहे इस यु्द्धाभ्यास पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। इससे पहले ओमान के तट पर एक ड्रोन विमान ने व्यापारिक टैंकर पर हमला किया था जिसमें एक ब्रिटिश और एक रोमानियाई नागरिक की मौत हो गई थी। यह व्यापारिक टैंकर इजरायल की कंपनी का था। अमेरिका और ब्रिटेन ने हमले कि लिए ईरान की ओर इशारा किया था। ईरान ने इस आरोप को खारिज कर दिया था।
भारत और सऊदी अरब के बीच रक्षा संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। पिछले साल दिसंबर महीने में भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने पहली बार किसी भारतीय सेना प्रमुख के रूप में यूएई और सऊदी अरब की यात्रा की थी। जनरल नरवणे की इस यात्रा के बाद पाकिस्तान चौकन्ना हो गया था। वहीं विपक्ष के निशाने पर प्रधानमंत्री इमरान खान आ गए थे
पाकिस्तान सरकार और सेना की बढ़ेगी टेंशन
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी नेता शाहिद अब्बासी ने विदेश नीति को लेकर इमरान खान पर निशाना साधा था। एक प्राइवेट न्यूज चैनल के साथ बातचीत में उन्होंने कहा था कि हम दूसरे मुल्क की विदेश नीति (फारेन पॉलिसी) को तय नहीं कर सकते हैं, लेकिन हमें अपनी विदेश नीति के बारे में सोचना चाहिए। हमें यह देखना चाहिए कि क्या हमारे ताल्लुकात इन मुल्कों से जो गुरबत के ताल्लुकात रहे हैं, उनमें इजाफा हुआ है या कमी आई है।
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब भारत के साथ ताल्लुकात रखे या न रखे, यह उनका निजी मामला है। कोई भी मुल्क दूसरे को कंट्रोल नहीं कर सकता है। असल बात यह है कि हमें अपने घर को देखना है कि हमारे ताल्लुकात सऊदी अरब के साथ बेहतर हुए हैं कि नहीं हुए। हमारे विदेश मंत्री ने सऊदी अरब के बारे में जो बात की, उसके बाद से सऊदी के साथ हमारे संबंधों में कड़वाहट नजर आती है। भारत में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके अब्दुल बासित ने भी भारतीय सेना प्रमुख से सऊदी अरब और यूएई दौरे को काफी अहम कहा था। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि भारत की विदेश नीति आक्रामक है।
Curated by: साहिल पठान















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