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भारत की ब्रह्मोस मिसाइल फिलीपींस के लिए कैसे बनेगी ब्रह्मास्त्र? चीन के पास नहीं है इसकी कोई काट

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भारत की ब्रह्मोस मिसाइल फिलीपींस के लिए कैसे बनेगी ब्रह्मास्त्र? चीन के पास नहीं है इसकी कोई काट

फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस की तीन बैटरी खरीदी है। इसे मुख्य रूप से फिलीपीन मरीन कॉर्प्स के लिए लिया गया है। हालांकि, कुछ दिन पहले फिलीपीन सेना ने भी अपने लिए ब्रह्मोस की डिमांड की है। फिलीपींस की चीन के साथ द्वीपों को लेकर पुराना विवाद है। ऐसे में वह ब्रह्मोस को चीन के खिलाफ हथियार के तौर पर रख रहा है।

मनीला: दक्षिण चीन सागर ऐतिहासिक रूप से काफी अशांत इलाका रहा है। सदियों से इस क्षेत्र में बसे देश आपस में जंग लड़ते आए हैं, जो आज भी जारी है। चीन लंबे समय से दक्षिण चीन सागर के 90 फीसदी हिस्से पर अपना दावा करता है। इससे न सिर्फ चीन के पड़ोसियों बल्कि वैश्विक महाशक्तियों के साथ भी चीन के संबंध तनावपूर्ण हुए हैं। इसी दक्षिण चीन सागर के किनारे बसा फिलीपींस इस समय चीन की आंख का नासूर बना हुआ है। चीन दक्षिण चीन सागर में स्थित सेकेंड थामस शोल नाम के एक छोटे से द्वीप पर अपना दावा करता है। चीन का कहना है कि यह द्वीप स्प्रैटली द्वीप समूह का हिस्सा है। इसी को लेकर चीन और फिलीपींस की नौसेनाएं कई बार आमने-सामने भी आ चुकी हैं। लेकिन, अब चीन की विशाल सैन्य शक्ति को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए फिलीपींस भी अपनी ताकत को बढ़ा रहा है।

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फिलीपींस ने चीन की आक्रामकता को देखते हुए भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी विकसित की। इसके बाद फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को खरीदा। ब्रह्मोस मिसाइल एक दुर्जेय रक्षात्मक हथियार है, जो न केवल फिलीपींस की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाता है, बल्कि एक गहरा भू-राजनीतिक संदेश भी भेजता है। ब्रह्मोस इतनी खतरनाक मिसाइल है, जिसका काट चीन के पास नहीं है। ब्रह्मोस को इंटरसेप्ट करने वाला एयर डिफेंस सिस्टम दुनिया में किसी भी देश के पास नहीं है। यह दुनिया की इकलौती मिसाइल है, जिसे जमीन पर मौजूद मोबाइल लॉन्चर, हवा में लड़ाकू विमान, पानी में युद्धपोत और पानी के भीतर पनडुब्बी से दागा जा सकता है।

ब्रह्मोस मिसाइल फिलीपींस की रक्षा क्षमता को कैसे बढ़ाती है

आधुनिक मिसाइलों के क्षेत्र में ब्रह्मोस एक अद्वितीय हथियार है। यह मिसाइल अपने पूरे प्रक्षेप पथ यानी उड़ान के दौरान हर वक्त मैक 3 की गति को बनाए रखते हुए विरोधियों को प्रतिक्रिया के लिए काफी कम समय प्रदान करती है। फिलीपींस के एयरोस्पेस और रक्षा विश्लेषक मिगुएल मिरांडा ब्रह्मोस के रणनीतिक लाभ को बताते हुए कहते हैं कि ब्रह्मोस फिलीपीन मरीन कॉर्प्स के साथ इंटीग्रेट हो चुका है। यह चीन को हमारे जलक्षेत्र का अतिक्रमण करने से रोकने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्र में जहां सेकंड परिणाम तय कर सकते हैं, यह सुपरसोनिक बढ़त प्रतिरोध और संघर्ष के बीच की रेखा हो सकती है।

ब्रह्मोस की अभूतपूर्व क्षमता और त्वरित प्रतिक्रिया

ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल मैक 3 की गति से उड़ान भर सकती है। यह दुनिया की दूसरी सबसोनिक मिसाइलों की तुलना में नौ गुना अधिक गतिज ऊर्जा उत्पन्न करती है। विश्वसनीय सूत्रों ने ब्रह्मोस की केवल पांच मिनट में 300 किलोमीटर की दूरी तय करने की क्षमता का खुलासा किया है, जो अन्य उन्नत मिसाइल प्रणालियों की तुलना में कहीं बेहतर प्रतिक्रिया समय को प्रदर्शित करता है। फिलीपीन मरीन कॉर्प्स की शस्त्रागार में मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर है। लेकिन, अगर इसे किसी युद्धपोत पर तैनात किया जाता है तो इसकी परिचालन रेंज काफी ज्यादा बढ़ सकती है। कुछ विशेषज्ञों का यह भी सुझाव है कि इससे ब्रह्मोस की रेंज करीब 550 किमी तक बढ़ सकती है।

ब्रह्मोस से फिलीपींस के द्वीप रहेंगे सुरक्षित

ब्रह्मोस को फिलीपींस के द्वीपों पर तैनात करने से दोहरे उद्देश्य की पूर्ति हो सकती है। पहला- ब्रह्मोस मिसाइल एक शक्तिशाली निवारक के रूप में काम कर सकती है और हमला होने पर तुरंत प्रतिक्रिया दे सकती है। दूसरा- ब्रह्मोस मिसाइल किसी भी संभावित हमले के पहले दुश्मन के दिलों में खौफ भर सकती है और उन पर पहले ही हमला कर सकती है। इससे फिलीपींस को अपने छोटे-छोटे द्वीपों की रक्षा करने में भी भारी मदद मिल सकती है। ब्रह्मोस की एक बैटरी फिलीपींस के 290 किलोमीटर की रेंज में सुरक्षा मुहैया करा सकती है।

ब्रह्मोस की यह ताकत सबसे अलग

ब्रह्मोस मिसाइल की उल्लेखनीय क्षमताओं के अलावा एक और पहलू इसे काफी खतरनाक बनाता है। ब्रह्मोस में दो स्टेज वाला प्रणोदन प्रणाली लगी हुई है। इसके पहले स्टेज में ठोस प्रणोदक बूस्टर काम करता है जो दूसरे चरण के तरल रैमजेट इंजन के साथ एकीकृत होता है। यह तकनीक ब्रह्मोस को 200 से 300 किलोग्राम वजन वाले वॉरहेड को दुश्मन के इलाके में गिराने में सक्षण बनाती है। इस प्रणोदन प्रणाली की मदद से ब्रह्मोस मिसाइल प्रभावी रूप से 290 किमी की दूरी तय करती है। ब्रह्मोस स्टील्थ तकनीक का भी उपयोग करती है, जो इसके रडार क्रॉस-सेक्शन (आरसीएस) को न्यूनतम स्तर तक कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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