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भारत नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में हो रहे हैं मुसलमानो पर अत्याचार, अत्याचारों से त्रस्त चीन के ओइगूर मुसलमानों की दिल दहलाने वाली कहानी

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Dr Mudita Popli


चीन के ओइगूर मुसलमानों पर चीनी सरकार के अत्याचार बढ़ते अत्याचारों ने इस समुदाय का जीना मुहाल कर दिया है।अनेक मुस्लिम देशों द्वारा अनेक बार भारत में मुस्लिमों को स्थिति और व्यवहार को लेकर भारत को कटघरे में खड़ा किया जाता है पर विश्व की सबसे बड़ी आबादी के मालिक देश चीन में एक मुस्लिम समुदाय पर अत्याचार पराकाष्ठा पर हैं।
चीन के शिनजियांग में रहने वाले मुस्लिम ओर अल्पसंख्यक समुदाय पर चीनी सरकार द्वारा बहुत अत्याचार किए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने मुसलमानों के साथ चीन के व्यवहार पर प्रकाश डालते हुए एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है ओइगूर मुसलमानों पर शिनजियांग में मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया गया है। यहां 10 मिलियन मुसलमानों के घर है। हालांकि राजधानी बीजिंग में चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेताओं ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से अवैध और अमान्य बताया है। चीन ने झिंझियांग में किसी भी तरह के अत्याचार से इनकार किया है और संयुक्त राष्ट्र की 45 पृष्ठ की रिपोर्ट पर 131 पृष्ठ की जवाबी प्रतिक्रिया जारी की है जिसमे संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को “चीन विरोधी ताकतों की ओर से” करार दिया गया है और कहा है कि ये रिपोर्ट मनगढ़ंत गलत सूचना और झूठ पर आधारित है।
जबकि कुछ साल पहले एक रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया था कि चीनी सरकार शिनजियांग प्रांत में रहने वाली ओइगूर मुसलमानों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए महिलाओं की नसबंदी कर रही थी या उन्हें गर्भनिरोधकों का उपयोग करने के लिए मजबूर कर रही थी। चीनी मामलों के विशेषज्ञ एड्रियन जिन्स की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। उक्त रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि करीब दस लाख ओइगूर मुसलमानों और अन्य लोगों को हिरासत में लिया गया है। चीनी सरकार इसे पुनः शिक्षा शिविर कहती है। पहले तो उसने इन शिविरों के अस्तित्व से इनकार किया लेकिन बाद में यह कहते हुए उनका बचाव किया कि चरमपंथ को रोकने के लिए ये एक आवश्यक उपाय है। विशेष रूप से बीबीसी ने 2019 में एक जांच में पाया कि शिनजियांग में बच्चों को उनके परिवारों से व्यवस्थित रूप से अलग किया जा रहा है। ऐसा करके उन्हें उनके मुस्लिम समुदाय से अलग करने की कोशिश की जा रही है। कुछ साल पहले, शिनजियांग में आधिकारिक क्षेत्रीय डेटा, नीति दस्तावेजों और अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के साथ साक्षात्कार के आधार पर एड्रियन जेन्स की एक रिपोर्ट में आरोप था कि ओहगुर मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को गर्भपात से इनकार करने पर शिविर में नजरबंदी की धमकी दी गई थी। उन्हें नसबंदी कराने के लिए मजबूर किया जाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2010 के आखिरी महीनों में शुरू हुए अत्याचारों ने शिनजियांग को पुलिस राज्य में बदल दिया।वहां पर बच्चे के जन्म में सरकारी हस्तक्षेप एक आम बात हो गई है। शिनजियांग कैंप में हिरासत में ली गई महिलाओं ने बताया कि स्थिति इतनी भयावह है कि उन्हें मासिक धर्म रोकने के लिए इंजेक्शन दिए गए थे गर्भनिरोधक दवा के प्रभाव के कारण उन में असामान्य रक्तस्राव होता रहता था। एक हालिया सांख्यिकीय रिपोर्ट को देखें तो पता चलता है कि चीन के शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार को मानवता के खिलाफ अपराध बताया जा सकता है। शिनजियांग में जांच से प्राप्त परिणामों के बारे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेले का कहना है कि 2017 और 2019 के बीच शिनजियांग में ओईगूर अल्पसंख्यक के खिलाफ ‘आतंकवाद और चरमपंथ को समाप्त करने के लिए चीन का अभियान अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत चिंताओं को जन्म देता है। यहां यह भी उल्लेख है कि चीनी कंपनियों ने 2017 और 2019 के बीच शिनजियांग में धरपकड़ शुरू की थी। इसे चीनी सरकार द्वारा आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ अभियान कहा गया था।
निवर्तमान संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल चिली की पूर्व राष्ट्रपति है। उनका कहना है कि चीन के शिनजियांग के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में ओईगूर और अन्य मुसलमानों के साथ चीन का मनमाना और भेदभावपूर्ण व्यवहार मानवता के खिलाफ अपराध है।इस नस्लीय भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र समिति (यूएनसीईआरटी) द्वारा रिपोर्ट चार साल बाद आई कि शिनजियांग में दस लाख से अधिक ऐसे मुसलमानों को हिरासती केंद्रों के नेटवर्क में एखा जा रहा था।
इसके साथ ही शिनजियांग में व्यापक उत्पीड़न भेदभाव और जबरन कैद में रखने का मामले सामने आया । ओइगूर मुसलमानों के अलावा कज़ाख उजबेक, ताजिक तातर ताहोर और रूसी भी हिरासती केंद्रों में है पर दुखद है कि दुनिया इस मुद्दे पर चुप है। एकाग्रता शिविरों में उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन , नसबंदी और उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के विनाश के साथ-साथ मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ता है। यह वास्तव में मानवीय संकट है। 2017 में चल रहे उत्पीड़न के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने चीन के खिलाफ मानवाधिकारों के हनन के आरोपों को दूर करने के लिए बहुत कम काम किया है। इस्लामिक संगठन सहित इस्लामी दुनिया और सऊदी अरब की ईरान और पाकिस्तान जैसे देश भी इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से चुप है।

सूत्रों की मानें तो लीक हुए चीनी-भाषा के आधिकारिक दस्तावेजों से पहली बार पता चला कि कैसे सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने पूरे प्रांत में भारी किलेबंद निरोध केंद्रों में लाखों नागरिकों की मनमानी हिरासत को सही ठहराने के लिए शासन का इस्तेमाल किया है। खुलासे से पता चलता है कि विनियोग में राज्य निगरानी की एक विस्तृत और दूरगामी प्रणाली है , जो प्रांतीय स्थानीय सरकार द्वारा संचालित है, जो इन्हें लक्षित करती है। चीनी आधिकारिक रिकॉर्ड विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा सत्यापित और अधिकार समूहों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा दिखाया जाता है कि लोग केवल हिजाब पहनने लंबी दाढ़ी या नमाज के कारण हिरासती केंद्रों में ले जाये जाते है। चीनी सरकार वाई मिलियन ओईरो को व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्रों में बंद करना स्वीकार करती है। यही नहीं इनके निर्वासन काल में रिश्तेदारों द्वारा मानवाधिकारों के हनन और अपने प्रियजनों के उत्पीड़न के लिए चीनी अधिकारियों की आलोचना के बाद हजारो भाई-बहनो माता-पिता और रिश्तेदारों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि शिंजियांग की राजधानी उरुमकी जिसे पहले हुआ के नाम से जाना जाता था में दुनिया की सबसे उन्नत निगरानी प्रणाली है जासूसी करने के लिए ऑडियो उपकरण के साथ हाई-टेक सीसीटीवी नेटवर्क से लैस हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने कहा कि शिनजियांग में सरकार द्वारा आतंकवाद और आतंकवाद विरोधी रणनीति के कार्यान्वयन के संदर्भ में गंभीर मानवाधिकार उलंघन किए गए हैं।
ऐसे एक ओइगूर एडोकेसी समूह ने वाइस आफ अमरीका (बीओए) को बताया कि 2016 से चीनी सरकार ने बहुत से इमाम और धार्मिक नेताओं को गिरफ्तार किया है। इनमें ऐसे इमाम भी है जिन्हें चीनी सरकार द्वारा प्रशिक्षित और नियोजित किया गया था और अब वे कारावास की कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। कुछ की शिविरों में नजरबंदी के दौरान मृत्यु हो गई।
इनमे इमाम अब्दुल करीम को 2017 में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। यह बात मक्का में रहने वाली उनकी बेटी ने बताई। उनकी बेटी ने बीओए से बात करते हुए कहा कि चीनी अधिकारियों ने शुरू में उसके पिता के बारे में जानकारी छिपाई, लेकिन स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करने के बाद पता चला कि वह जेल में है। 61 वर्षीय इमाम अब्दुल करीम मैमत चीनी सरकार में कार्यरत थे और येगिसर काउंटी में एक मस्जिद में इमामत करते थे। उनका परिवार चीनी अधिकारियों के आरोपों से इनकार करता है कि उन्होंने चरमपंथ का प्रचार किया। उनकी बेटी का कहना है कि मेरे पिता एक शांतिप्रिय व्यक्ति है और 2016 के अंत तक उन्हें सरकार की ओर से वेतन मिल रहा था। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार चीनी सरकार ने लगभग दस लाख मुस्लिम ओइगरों को अस्थायी शिविरों में हिरासत में लिया है। नॉटिंघम विश्वविद्यालय के इतिहासकार रयान धम ने पॉयस ऑफ अमेरिका को बताया कि अभियोग अस्पष्ट है। यहां तक कि चीनी कानून के तहत भी इन आरोपों का कोई कानूनी आधार नहीं है। उनके पास अवैध धार्मिक गतिविधियों की एक लंबी सूची है, जिनमें से अधिकाश अवैध नहीं है। उदाहरण के लिए अपने शहर के बाहर किसी मस्जिद में नमाज पढ़ना एक अवैध कार्य माना जाता है। रोज- हिलमैन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी चीनी अध्ययन के प्रोफेसर टिमोथी ग्रॉस के अनुसार मुस्लिम ओईगूर उलमा जो सरकारी कर्मचारी हैं, इन दुखों से मुक्त नहीं है। उन्हें कोई सुरक्षा नहीं है। मरियम गुत अब्दुल्ला तुर्की में रहने वाली आईगूर मुस्लिम महिला है। उन्होंने कहा कि उनके पति अब्दुल हक धार्मिक विद्वान है। जब वह चीन लौटे तो उन्हें झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया गया। अब्दुल हक काहिरा में अल-अजहर विश्वविद्यालय से स्नातक है और अपना खुद का व्यवसाय चलाते हैं। वह मार्च 2017 में चीन लौटे थे। उनके भाई ने उन्हें सूचित किया कि स्थानीय अधिकारियों ने उनके चाचा और प्रसिद्ध उइगूर कवि की स्मृति में एक संग्रहालय बनाने की अनुमति दी थी, लेकिन चीन पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। तब से उनकी पत्नी ने उन के बारे में कुछ नहीं सुना।
ऐसी भयावह स्थिति में चीनी सरकार को प्रशिक्षण केंद्रों, जेलों या हिरासती केंद्रों में बंद सभी लोगों को रिहा करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी इस गंभीर मामले पर विशेष ध्यान देना चाहिए, अन्यथा किसी देश में एक समुदाय पर हो रहा ऐसा अत्याचार राजनीति की भेंट चढ़ जाएगा।

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