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भारत ने बड़े पैमाने पर बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) में 1000 मेगावाट घंटे की परियोजना के लिए कार्य करना शुरू किया

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अक्षय ऊर्जा के विकास और इसे बढ़ावा देने में सहयोग करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम

सरकार ने एक प्रायोगिक परियोजना के तौर पर 1000 मेगावाट बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) की स्थापना के लिए निर्धारित परियोजना में भाग लेने हेतु लोगों को आमंत्रित किया है। यह नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय दोनों का संयुक्त प्रयास है, जो देश में ऊर्जा भंडारण प्रणाली की स्थापना के लिए एक रोड मैप प्रदान करने में इस विषय पर काम कर रहे हैं।

वर्ष 2030 तक नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी उद्देश्य को पूरा करने में सहायता के तहत यह महत्वपूर्ण है कि इसे ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली, हाइड्रो पंप भंडारण संयंत्र आदि) की स्थापना के साथ विधिवत सहयोग मिले।

सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई), नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत एक सीपीएसयू ने 1000 मेगावाट बीईएसएस की खरीद के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं। इसे आरएफएस बोली दस्तावेज के साथ प्रकाशित किया जाएगा और उत्पादन, पारेषण व वितरण परिसंपत्तियों के एक हिस्से के रूप में रखकर और अन्य सभी सहायक सुविधाओं के साथ बीईएसएस की खरीद तथा उपयोग के लिए व्यापक दिशानिर्देश का मसौदा तैयार किया जाएगा।

28 अक्टूबर, 2021 को शाम 4 बजे होने वाली प्री-बिड कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर चर्चा होगी।

अंतिम आरएफएस दस्तावेज विभिन्न हितधारकों के सुझावों और फीडबैक के आधार पर नवंबर 2021 के पहले सप्ताह में जारी किया जाएगा। उत्पादन, पारेषण एवं वितरण परिसंपत्तियों के एक हिस्से के रूप में और सभी सहायक सेवाओं के साथ बीईएसएस की खरीद तथा उपयोग के लिए अंतिम व्यापक दिशानिर्देशों को इनमें शामिल किया जाएगा।

भारत आगे बढ़ते हुए निम्नलिखित व्यावसायिक कार्यों के तहत ऊर्जा भंडारण प्रणाली का उपयोग करने की योजना बना रहा है:-

  1. ऊर्जा भंडारण प्रणाली के साथ अक्षय ऊर्जा।
  2. ट्रांसमिशन सिस्टम के उपयोग को अधिकतम करने और ग्रिड स्थिरता को मजबूत करने तथा ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर के संवर्धन में निवेश को बचाने के लिए ग्रिड एलिमेंट के रूप में ऊर्जा भंडारण प्रणाली।
  3. सेवाओं एवं लचीले संचालन को संतुलित करने के लिए एक संपत्ति के रूप में भंडारण। सिस्टम ऑपरेटर यानी लोड डिस्पैचर्स (आरएलडीसी और एसएलडीसी) ग़ैर-उत्पादन के कारण लोड में अंतर्निहित अनिश्चितता/भिन्नताओं को प्रबंधित करने में फ्रीक्वेंसी कंट्रोल तथा बैलेंसिंग सेवाओं के लिए स्टोरेज सिस्टम का उपयोग कर सकते हैं।
  4. वितरण प्रणाली के लिए भंडारण यानी इसे अपने पीक लोड और अन्य दायित्वों के प्रबंधन के लिए लोड सेंटर पर रखा जा सकता है।
  5. ऊर्जा भंडारण प्रणाली डेवलपर द्वारा एक व्यापारी क्षमता के रूप में अतिरिक्त बिजली बाजार में बेच सकते हैं।
  6. उपरोक्त के संयोजन के रूप में भविष्य का कोई अन्य व्यवसाय मॉडल भी शामिल हो सकता है।

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