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भारत में रोहिंग्याः क्यों भिड़े भारत सरकार के दो मंत्रालय

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भारत के केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी की बुधवार को रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर की गई घोषणा पर विवाद हो गया है.

हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट करके बताया है कि एक ऐतिहासिक फ़ैसले में सभी रोहिंग्या शरणार्थियों को दिल्ली के बक्करवाला इलाक़े में आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए बनाए गए फ़्लैट दिए जाएंगे.

हरदीप पुरी ने अपने ट्वीट में बताया है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को सभी मूलभूत सुविधाएं दी जाएंगी. उन्हों संयुक्तर राष्ट्र की तरफ़ से जारी पहचान पत्र और चौबीस घंटे दिल्ली पुलिस की सुरक्षा दी जाएगी

हिंदूवादी संगठनों ने घेरा

हरदीप पुरी की इस घोषणा के बाद वो विश्व हिंदू परिषद समेत हिंदूवादी संगठनों और कार्यकर्ताओं के निशाने पर भी आ गए हैं.

विश्व हिंदू परिषद ने हरदीप पुरी की आलोचना करते हुए एक बयान जारी किया है और कहा है कि सरकार रोहिंग्या लोगों को आवास देने के बजाए उन्हें देश से बाहर करे.

वीएचपी के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने अपने बयान में कहा, “हम श्री पुरी को केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के बयान की याद दिलाना चाहते हैं. उन्होंने 10 दिसंबर, 2020 को संसद में घोषणा की थी कि रोहिंग्या को भारत में कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा.”

भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में उत्पीड़न और शोषण के शिकार हज़ारों रोहिंग्या लोग अपने देश से जान बचाकर भारत आए हैं और देश के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं.

बीजेपी और हिंदूवादी समूह भारत में रोहिंग्या लोगों की मौजूदगी का विरोध करते रहे हैं.

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने भारत में रोहिंग्या लोगों की मौजूदगी को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने चुनावी भाषणों में कहा था कि हम भारत के किसी भी हिस्से में रोहिंग्या लोगों को रहने नहीं देंगे.

इसी साल फ़रवरी में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले अमित शाह ने एक रैली में कहा था कि कांग्रेस रोहिंग्या मुसलमानों की उत्तराखंड में बसने में मदद रही है.

गृह मंत्रालय ने ख़ारिज किया

वहीं हरदीप सिंह पुरी के बयान पर विवाद होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को ईडब्ल्यूएस वर्ग में फ़्लैट देने के लिए गृह मंत्रालय ने कोई दिशा निर्देश नहीं दिए हैं.

गृह मंत्रालय ने अपने ट्वीट में रोहिंग्या लोगों को अवैध विदेशी बताया है.

गृह मंत्रालय की तरफ़ से बताया गया है, “दिल्ली सरकार ने रोहिंग्या लोगों को नई जगह पर स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया था. गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से कहा है कि रोहिंग्या अवैध विदेशी वर्तमान में जहां रह रहे हैं वहीं रहें क्योंकि गृह मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय के ज़रिए संबंधित देश के साथ उन्हें निर्वासित करने का मामला उठाया हुआ है.”

गृह मंत्रालय ने कहा, “डिपोर्ट किए जाने तक अवैध प्रवासियों को क़ानून के तहत हिरासत केंद्रों में रखा जाएगा. दिल्ली सरकार ने मौजूदा लोकेशन को हिरासत केंद्र घोषित नहीं किया है. दिल्ली सरकार से तुरंत ऐसा करने के लिए कहा गया है.”

केंद्रीय शहरी आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी अपने बयान के बाद हिंदूवादी कार्यकर्ताओं के निशाने पर भी आ गए हैं.

विजय पटेल नाम के एक ट्विटर यूज़र ने लिखा, “इसके लिए हरदीप पुरी ज़िम्मेदार हैं, उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए कि उन्होंने ऐसे ट्वीट क्यों किए हैं.”

वहीं बीजेपी से जुड़े कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया, “रोहिंग्या और बांग्लादेशी शरणार्थी नहीं घुसपैठिये हैं. ड्रग, मानव तस्करी, जिहाद जैसे काले धंधे इन्हीं की बस्तियों से चलाए जाते हैं. इनको हिरासत में लेना और फिर निर्वासित करना, यही एकमात्र समाधान है.”

आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को घेरा

वहीं हरदीप सिंह पुरी के ट्वीट के बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने ट्वीट किया, “भारत के अंदर रोहींगया लाने वाले भाजपाई, बसाने वाले भाजपाई, अब अपनी पीठ थपथपाने वाले भी भाजपाई.”

एक और ट्वीट में सौरभ भारद्वाज ने कहा, “देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ के भाजपा के एक बहुत बड़े षड्यंत्र का हुआ पर्दाफ़ाश. भाजपा ने क़बूल किया कि दिल्ली में हज़ारों रोहिंग्या को भाजपा ने बसाया. अब उनको पक्के घर और दुकानें देने की तैयारी. दिल्ली वाले ये क़तई नहीं होने देंगे.”

गृह युद्ध में फंसे भारत के पड़ोसी देश म्यांमार की कुल आबादी (2019) क़रीब 5 करोड़ 54 लाख है. अनुमान के मुताबिक म्यांमार के रखाइन प्रांत में क़रीब 13 लाख रोहिंग्या मुसलमान रहते थे.

लेकिन साल 2012 और फिर 2017-18 में हुए हमलों के बाद रखाइन से अधिकतर रोहिंग्या मुसलमान भाग गए हैं. इनमें से बड़ी तादाद में रोहिंग्या बांग्लादेश में रहते हैं.

भारत में भी रोहिंग्या शरणार्थी बड़ी तादाद में हैं, हालांकि इनकी कुल संख्या स्पष्ट नहीं हैं.

रोहिंग्या महिला

भारत के गृह मंत्रालय के मुताबिक़, भारत में क़रीब 40 हज़ार रोहिंग्या लोगों ने शरण मांगी है.

वहीं शरणार्थी मामलों की संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएचसीआर के 2019 के आंकड़ों के मुताबिक़ भारत में 18 हज़ार के क़रीब रोहिंग्या शरणार्थी पंजीकृत हैं.

हालांकि भारत ने संयुक्त राष्ट्र के 1951 के शरणार्थी अधिवेशन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.

ऐसे में भारत यूएनएचसीआर की तरफ़ से जारी शरणार्थी कार्डों को स्वीकार नहीं करता है.

इसका मतलब ये है कि भारत में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों के पास नौकरी, राशन, आवास या शिक्षा मांगने का अधिकार नहीं है.

इन्हीं कारणों से भारत में रहने वाले अधिकतर रोहिंग्या शरणार्थी अवैध झुग्गी बस्तियों में रहते हैं और कूड़ा बीनने जैसे काम करते हैं.

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