मानवेन्द्र सिंह ने दिए भाजपा जॉइन करने के संकेत!:बोले-देखते हैं मौसम कैसे बदलता है; हाथ का सिंबल हटाया, अटल बिहारी और पिता की फोटो लगाई

साल 2018 में बीजेपी से खफा होकर कांग्रेस का दामन थामने वाले मानवेन्द्र सिंह के एक बयान के बाद उनके बीजेपी में फिर से शामिल होने की अटकलें तेज हो गई है। वहीं सोशल मीडिया से उन्होंने हाथ का सिंबल हटा दिया है। उसकी जगह उनके अकाउंट पर अटल बिहारी वाजपेयी और पिता जसवंत सिंह का फोटो लगाया है। बुधवार को उनके पिता दिवंगत जसवंत सिंह जसोल की जयंती पर उन्होंने भाजपा जॉइन करने के सवाल पर मीडिया से कहा- देखते हैं मौसम का मिजाज कैसा रहता है।

शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी, बाड़मेर विधायक डॉ. प्रियंका जैन समेत भाजपा के कई नेताओं ने बुधवार को हुए ब्लड डोनेशन कार्यक्रम में मानवेन्द्र सिंह जसोल से मुलाकात की थी।
बोले- नाता तय नहीं हो जाता तब तक सार्वजनिक नहीं करते
बुधवार को पूर्व मंत्री जसंवत सिंह जसोल की जयंती पर मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा- जब तक किसी से नाता तय नहीं हो जाता है तब तक सार्वजनिक नहीं करते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर बदली प्रोफाइल को लेकर किए सवाल पर कहा- आज पिता जसवंत सिंह की जयंती थी। उन्हीं का अवसर था और उनकी सबसे घनिष्ठ मित्रता अटल जी के साथ थी। दोनों दूसरे लोक में भी साथ में हैं। उनको याद किया है। अटल जी के परिवार को भी यह फोटो बेस्ट और सुंदर लगता है। यही सोच कर मैंने दोनों को याद करते हुए फोटो लगाया है। वहीं बीजेपी जॉइन करने के सवाल पर उन्होंने कहा- देखते हैं मौसम का मिजाज कैसा रहता है।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो भजनलाल शर्मा के सीएम बनने के बाद से ही मानवेंद्र सिंह जसोल की भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थी।
मलमास के बाद भाजपा जॉइन करने की अटकलें
राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी के भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाते ही जसवंत सिंह के बीजेपी जॉइन करने की अटकलें तेज हो गई थी। उनकी राजनीतिक अनबन वसुंधरा राजे से थी और पार्टी ने राजे को ना तो सीएम फेस बनाया और ना ही मंत्रिमंडल में कोई पद दिया। ऐसे में अब कहा जा रहा है कि बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ मानवेंद्र सिंह से वार्ता का दौर चल रहा है। मलमास यानी 14 तारीख के बाद जसोल फिर से बीजेपी में वापसी कर सकते हैं।

बुधवार को बाड़मेर में जसवंत सिंह की जयंती पर आयोजित हुए ब्लड डोनेशन कैंप में कई भाजपा नेता शामिल हुए थे। साथ ही, कांग्रेस के हेमाराम चौधरी ने भी शिरकत की थी।
राजे-जसोल में स्वाभिमान की लड़ाई
दरअसल, 2014 लोकसभा चुनाव में पूर्व विदेश एवं रक्षा मंत्री दिवंगत जसवंत सिंह जसोल बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन उस समय की सीएम वसुंधरा राजे ने कांग्रेस से कर्नल सोनाराम चौधरी को बीजेपी में शामिल करवाकर टिकट दिलवा दी थी। तब से वसुंधरा राजे और जसोल परिवार के बीच स्वाभिमान की लड़ाई शुरू हो गई। इस दौरान पूर्व मंत्री जसवंत सिंह हादसे का शिकार हो गए थे, घर में पैर फिसल जाने के बाद कोमा में चल गए। इसके बाद उनका निधन हो गया था। इस लड़ाई के चलते साल 2018 में मानवेंद्र सिंह जसोल ने बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसके बाद कांग्रेस से दो विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन तीनों चुनाव हार गए।
कांग्रेस ने साल 2018 का विधानसभा चुनाव कर्नल मानवेंद्र सिंह को तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे के सामने लड़वाया। लेकिन मानवेंद्र चुनाव हार गए। इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस टिकट पर बाड़मेर-जैसलमेर से लड़ा लेकिन बीजेपी के कैलाश चौधरी से बड़े अंतर से हार गए। कांग्रेस सरकार में मानवेंद्र को सैनिक कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया।
कांग्रेस से नाराजगी
कर्नल मानवेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव 2023 जैसलमेर से लड़ना चाहते थे। वहां पर मानवेंद्र सिंह ने तैयारी भी शुरू कर दी। लेकिन, ऐनवक्त पर कांग्रेस ने वहां से टिकट नहीं देकर सिवाना सीट से टिकट दी थी। मानवेंद्र सिंह ने सिवाना से चुनाव लड़ा लेकिन, कांग्रेस के उम्मीदवार बागी होने से कांग्रेस दो भागों में बंट गई। मानवेंद्र सिंह हारकर तीसरे नंबर पर पहुंच गए। वे मनचाही सीट से टिकट ना मिलने से कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं।
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