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मित्रता निभाना कृष्ण से सीखें – श्रीधर जीभागवत कथा की पूर्णाहुति पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा

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बीकानेर 9 मार्च । देवीकुंड सागर स्थित कल्ला कोठी चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन कृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया।
कैलाश आचार्य ने बताया करपात्री स्वामी निरंजन देव तीर्थ कीर्ति प्रन्यास,राम लक्ष्मण भजनाश्रम के अधिष्ठाता दंडी स्वामी श्रीधरानंद जी सरस्वती ने कथा में सुभद्रा हरण का आख्यान एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं । कथा के दौरान विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया। इस धार्मिक अनुष्ठान के सातवें एवं अंतिम दिन भगवान श्री कृष्ण के सर्वोपरी लीला श्री रास लीला, मथुरा गमन, दुष्ट कंस राजा के अत्याचार से मुक्ति के लिए कंसबध, कुबजा उद्धार, रुक्मणी विवाह, शिशुपाल वध एवं सुदामा चरित्र का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया। श्री धरजी ने श्रद्धालुओं को संदेश दिया कि यदि हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म भी हमारी रक्षा करेगा। महाराज ने कहा जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं।
भागवत कथा की पूर्णाहुति पर महाआरती हुई। इसके बाद श्रद्धालुओं में प्रसाद बांटा गया।

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