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म्हारी भासा रौ भविस युवा रै हाथां में सुरक्षित है : मधु आचार्य

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राजस्थानी युवा उच्छब –

राजस्थानी एक स्वतंत्र एवं समृद्ध भाषा है : माधव हाडा

उदयपुर । राजस्थानी युवा साहित्य इस बात का भरोसा जताता है कि समृद्ध परंपरा विकास के ठोस कदम भरेगी। मगर ये भी ध्यान रखना जरूरी है कि युवा केवल कविता, कहानी, उपन्यास तक सीमित न रहे, गद्य की अन्य विधाओं पर भी काम करे। हर भाषा अपने कथेतर साहित्य से विकसित होती है । आलोचना विधा को विकसित करना बड़ी जरूरत है। दो दिवसीय राष्ट्रीय राजस्थानी युवा उच्छब से मैं इस बात पर आश्वस्त हूं कि ‘ युवा रचनाकारां रै हाथां में म्हारी भासा रौ भविस सुरक्षित है। ‘ ये विचार ख्यातनाम रचनाकार मधु आचार्य ने साहित्य अकादेमी एवं मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय युवा उच्छब के समापन समारोह में बतौर अध्यक्षीय उदबोधन में व्यक्त किये।

समारोह संयोजक डाॅ.सुरेश सालवी ने बताया कि समापन समारोह में मुख्य अतिथि ख्यातनाम कवि-आलोचक प्रोफेसर (डाॅ.) माधव हाडा ने कहा कि कोई भी भाषा तभी समृद्ध हो सकती है जब उसमें विचार धारण करने का सामर्थ्य हो और भाषा में यह सामर्थ्य तभी आयेगा जब उसे नियमित रूप से अपने जीवन में बरतें। उन्होंने कहा कि राजस्थानी हमारे विरासत की भाषा है जो समस्त लोक में व्याप्त होने के साथ ही एक स्वतंत्र एवं समृद्ध भाषा है । मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय कला संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर (डाॅ.) हेमंत द्विवेदी ने कहा कि आज के युवाओं को राजस्थानी साहित्य की जानकारी होनी ही चाहिए क्योंकि राजस्थानी साहित्य मनुष्य को सत जीवन जीने की प्रेरणा देता है । इस अवसर पर राजस्थानी सेवा को समर्पित श्याम प्रताप सिंह चारण एवं सुनिल राजपुरोहित का बहुमान किया गया । समारोह का संयोजन डाॅ.सुरेश सालवी ने किया।

राष्ट्रीय युवा उच्छब के अंतर्गत रविवार को आयोजित प्रथम तकनीकी सत्र राजस्थानी विभागाध्यक्ष डाॅ.सुरेश सालवी की अध्यक्षता में राजस्थानी युवा रचनाकार शिव बोधी, आशीष पुरोहित, देवीलाल महिया ने राजस्थानी युवा लेखन विसयक आलोचनात्मक शोध पत्र प्रस्तुत किये ।

द्वितीय तकनीकी सत्र प्रतिष्ठित कवि-आलोचक डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ जिसमें सिया चौधरी, कप्तान बोरावड़, सपना वर्मा, राजेन्द्रदान देथा ने ‘ म्हारै सारुं लेखन कांई है ? विषय पर अपने मह्त्वपूर्ण और सार्थक विचार व्यक्त किये।

तृतीय तकनीकी ख्यातनाम कवि-आलोचक डाॅ.अर्जुनदेव चारण की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ जिसमें युवा रचनाकार शिव बोधी, आशीष पुरोहित, देवीलाल महिया, सिया चौधरी, कप्तान बोरावड़, सपना वर्मा एवं राजेन्द्रदान देथा ने अपनी राजस्थानी रचनाओं का वाचन किया ।
इस अवसर पर प्रोफेसर पी.एम. यादव, डॉ. सुमित्रा शर्मा, डॉ. संगीता अठवाल, डॉ. राजू सिंह, डॉ. नवीन नंदवाना, डॉ. नीतू परिहार, डॉ. आशीष सिसोदिया, डॉ. नीता त्रिवेदी, डॉ. अंजली सिंह, डॉ. जोया, डॉ. दीपा सोनी, डॉ. सौरभ, डॉ. खुशपाल गर्ग, डॉ. रश्मि सिंह, डॉ. विजय सिंह, डॉ, उर्मी शर्मा, डॉ. साबिया सिंह, डॉ. पामिल मोदी, डॉ बालूदान बारहठ, डॉ. दीपिका माली, डॉ. मनीष, डॉ. ज्योति बाबू जैन, डॉ. सुमत जैन, डाॅ.सवाईसिंह महिया, डाॅ.इन्द्रदान चारण, श्याम प्रताप सिंह महिया, किरण बाला किरण, गौरीशंकर निमिवाल श्रीगंगानगर, पूनमचंद गोदारा बीकानेर, महेन्द्रसिंह छायण जैसलमेर, नंदू राजस्थानी टोंक, सोनाली सुथार बीकानेर, सूर्यकरण सोनी बांसवाड़ा, शकुंतला पालीवाल उदयपुर, शिवबोधी हनुमानगढ़, आशीष पुरोहित बीकानेर, देवीलाल महिया पाली, सिया चौधरी नागौर, कप्तान बोरावड़ जोधपुर, सपना वर्मा सीकर एवं राजेन्द्र देथा सागै कैई प्रतिष्ठित रचनाकार, विश्वविद्यालय शिक्षक, शोध-छात्र अर पढेसर मौजूद रैया।

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