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यूक्रेन के बांध में मिली हिटलर के सैनिकों की खोपड़ियां:सेकेंड वर्ल्ड वॉर के हथियार भी बरामद; US इंटेलिजेंस का दावा डैम पर धमाका हुआ

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यूक्रेन के बांध में मिली हिटलर के सैनिकों की खोपड़ियां:सेकेंड वर्ल्ड वॉर के हथियार भी बरामद; US इंटेलिजेंस का दावा डैम पर धमाका हुआ

तस्वीर काखोवका बांध की है, जिससे हिटलर के सैनिकों की खोपड़ियां मिली हैं। - Dainik Bhaskar

तस्वीर काखोवका बांध की है, जिससे हिटलर के सैनिकों की खोपड़ियां मिली हैं।

6 जून को जंग के बीच यूक्रेन के सबसे बड़े बांधों में से एक काखोवका बांध तबाह हो गया। इस बीच वहां काम करने वाले अधिकारियों और कुछ लोगों को सालों से मिट्टी में दफन पुराने हथियार और खोपड़ियां मिली हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ खोपड़ियां हिटलर के सैनिकों की बताई जा रही हैं।

ये सैनिक रूस पर चढ़ाई के दौरान वहां मारे गए थे। वहीं, रूस की एक S-300 मिसाइल का पुर्जा भी मिला है। इसका इस्तेमाल रूस और यूक्रेन दोनों ही करते हैं। वहां जांच करने पहुंचे अंडरवॉटर एक्सपर्ट्स ने बताया है कि बांध खाली हो रहा है और पानी का स्तर 4 मीटर तक कम हो चुका है। हमले से पहले इस बांध में 18 क्यूबिक किलोमीटर पानी हुआ करता था।

तस्वीर काखोवका बांध की है, यहां से S-300 मिसाइल का पार्ट मिला है। इस मिसाइल का इस्तेमाल रूस-यूक्रेन दोनों करते हैं।

तस्वीर काखोवका बांध की है, यहां से S-300 मिसाइल का पार्ट मिला है। इस मिसाइल का इस्तेमाल रूस-यूक्रेन दोनों करते हैं।

सेकेंड वर्ल्ड वॉर के हथियार भी मिले
यूक्रेन की न्यूज एजेंसी UNIAN ने एक फुटेज जारी किया है। जिसमें मिट्टी में काफी सारी खोपड़ियां दिखाई दे रही हैं। इनमें से एक ने सिर पर हेलमेट भी पहना है, ये वही हेलमेट है जिसे सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान नाजी सेना के सैनिक पहना करते थे।

मिट्टी से सेकेंड वर्ल्ड वॉर के हथियार भी बरामद हुए हैं। S-300 मिसाइलों के अलावा बांध से मिले हथियारों में स्मर्च रॉकेट भी शामिल हैं। रूस और यूक्रेन बांध को तबाह करने का आरोप एक-दूसरे पर लगा रहे हैं। इस बीच सैटेलाइट इमेज के जरिए अमेरिका की इंटेलिजेंस के ने दावा किया है कि डैम पर धमाका किया गया था। जिस वक्त बांध तबाह हुआ तब तक वो रूस के कब्जे में था।

UN ने दावा किया है कि बांध तबाह होने से यूक्रेन में फूड-सिक्योरिटी को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। चुंकि यूक्रेन के कई इलाकों में यहीं से पानी की स्पलाई की जाती थी। नाइपर नदी पर बना काखोवका डैम 30 मीटर लंबा है और 3.2 किमी इलाके में फैला हुआ है। इसे सोवियत शासन के दौरान 1956 में बनाया गया था। इस डैम से ही क्रीमिया और जपोरीजिया न्यूक्लियर प्लांट में पानी पहुंचाया जाता है

यूक्रेन तेजी से जीत रहा है रूस के कब्जाए इलाके
बांध पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच रूस के खिलाफ यूक्रेन का काउंटर ओफेंसिव शूरू हो चुका है। यूक्रेन ने रूस के कब्जे से 7 इलाकों को छुड़ा लेने का दावा किया है। इस बीच जेलेंस्की के होम टाउन पर रूस एक के बाद एक मिसाइलें दाग रहा है। इसमें 6 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 25 लोग घायल बताए जा रहे हैं।

तस्वीर जेलेंस्की के होम टाउन किर्वी रिह की है, जहां रूस एक के बाद एक मिसाइलें दाग रहा है।

तस्वीर जेलेंस्की के होम टाउन किर्वी रिह की है, जहां रूस एक के बाद एक मिसाइलें दाग रहा है।

कीव में रूस के मिसाइल को इंटरसेप्ट करते हुए यूक्रेन का एयर डिफेंस सिस्टम

कीव में रूस के मिसाइल को इंटरसेप्ट करते हुए यूक्रेन का एयर डिफेंस सिस्टम

हिटलर की सेना को रोकने 1941 में भी तबाह किया गया था बांध
रूस ने 1941 में भी नाइपर नदी पर बने एक बांध को तबाह किया गया था। 29 अगस्त 1941 के दिन सोवियत संघ के प्रवक्ता लोजोवस्की ने मीडिया को एक बयान दिया। उन्होंने बताया कि जापोरिजिया में नाइपर नदी पर बने बांध को तबाह कर दिया गया है, ताकि वो नाजियों के हाथ न लगे।

बांध तबाह कर USSR ने जर्मन सेना को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश भी की थी। बांध को सोवियत संघ ने अपने पहले फाइव ईयर प्लान यानी पंच वर्षीय योजना के तहत बनाया था। इसे बनने में 8 साल लगे थे। इससे नाइपर नदी के दोनों तरफ पानी की आपूर्ती की जाती थी।

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