बीकानेर। राजकीय महारानी सुदर्शन कन्या महाविद्यालय बीकानेर में “इतिहास विभाग” व राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई तृतीय व चतुर्थ के संयुक्त तत्वाधान में “मणिकर्णिका जयंती ” मनाई गई ।
कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. अभिलाष आल्हा,वरिष्ठ संकाय सदस्य प्रो. इंदिरा गोस्वामी, प्रो. उज्जवल गोस्वामी व इतिहास विभागाध्यक्ष सुनीता बिश्नोई द्वारा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई (मणिकर्णिका) के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण करके पुष्पांजलि देकर की गई ।
महाविद्यालय प्राचार्य प्रोफेसर आल्हा ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि 1857 की क्रांति की मर्दानी नायिका अपनी अंतिम सांस तक अंग्रेजों से लोहा लेने वाली शौर्य व राष्ट्रभक्ति की प्रतिमूर्ति मणिकर्णिका सभी के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी” सुनाकर सभागार में जोश का संचार कर दिया ।
प्रोफेसर इंदिरा गोस्वामी ने मणिकर्णिका के आंतरिक गुणों के बारे में बताते हुए छात्राओं से कहा कि वे उनके गुणों को अपने जीवन में समाहित करें तो महिला सशक्तिकरण की अवधारणा जीवंत हो उठेगी।
मुख्य वक्ता प्रो.उज्जवल गोस्वामी ने मणिकर्णिका के संपूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1857 की क्रांति की महान नायिका ने अपने अदम्य साहस से अंग्रेजी हुकूमत की जड़े हिला दी थी ,साहस, त्याग व नारी शक्ति की प्रतिमूर्ति वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का जीवन सभी के लिए प्रेरणादाई है।
इतिहास विभागाध्यक्ष सुनीता बिश्नोई ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई की वीरता से अंग्रेज भी नतमस्तक हो गए थे,जनरल ह्यूरोज ने उनके बारे में कहा था कि “भारतीय क्रांतिकारियों में यहां सोई हुई औरत अकेली मर्द है ।”
कार्यक्रम में छात्राओं ने महारानी लक्ष्मीबाई के बारे में अपने विचार कविताओं, गीत के माध्यम से प्रकट किये व छात्राओं के बीच रोचक तरीके से एक क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया ।
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