राजस्थान के नेता से नाराज हुईं सोनिया गांधी:छोटे भाई ओवैसी की पार्टी से जुड़े, अफसर बड़े भाई का 600 किलोमीटर दूर तबादला
कांग्रेस के चिंतन शिविर के किस्से रह रहकर सामने आ रहे हैं। उदयपुर चिंतन शिविर में पार्टी के रिवाइवल को लेकर सोनिया गांधी ने कई नेताओं से वन टू वन मुलाकात की। जिसमें राजस्थान की सियासत और यहां के नेताओं के कद भी नापे गए।राजस्थान के एक युवा नेता के बारे में सोनिया गांधी को एक वरिष्ठ नेता ने फीडबैक दिया। इस फीडबैक पर उस नेता की ही क्लास लग गई। सार यह था कि कांग्रेस में जो भी बड़ा नेता बना है, उसके पीछे हाईकमान के दिए मौके ही बड़ा कारण है, खुद की हैसियत नहीं थी। फीडबैक देने वाले नेता ने इस थंबरूल की जगह असलियत बताई तो नाराजगी झेलनी पड़ी। यह किस्सा कांग्रेस के हलकों में खूब चर्चित हो रहा है।
पायलट के वक्त हुए अधिवेशन को भुला दिया
सत्ताधारी पार्टी ने चिंतन शिविर के बदलावों को अमलीजामा पहनाने के लिए दो दिन वर्कशॉप रखकर राजधानी में खूब भाषण दिए और सुनाए। प्रदेश के मुखिया से लेकर बड़े नेताओं ने पार्टी के अब तक अधिवेशन नहीं बुलाने पर खरी-खरी सुनाई। नेताओं के यह भाषण सुनते ही पार्टी नेताओं ने फैक्ट चैक शुरू कर दिए। पड़ताल में सामने आया कि अक्टूबर 2019 में जयपुर में ही पार्टी का खुला अधिवेशन हुआ था। उस समय पूर्व उपमुख्यमंत्री प्रदेशाध्यक्ष थे। अब उस अधिवेशन को भुलाने के कारण को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं। अधिवेशन को भुलाने के लिए अब समर्थक सक्रिय हो गए हैं, जिसका नतीजा सोशल मीडिया पर सामने आना शुरू हो गया है।
राज्यसभा की वोटिंग पर दो सजातीय नेताओं में जुबानी जंग
राज्यसभा चुनाव इन दिनों सियासी हलकों में हॉट टॉपिक है। सत्ताधारी पार्टी के राजधानी में हुए जमावड़े में दो चेयरमैन में राज्यसभा को लेकर जुबानी जंग हो गई। कार्यक्रम शुरू होने से पहले शेखावाटी क्षेत्र के चेयरमैन से पश्चिमी क्षेत्र से संबंध रखने वाले चेयरमैन ने तंज कसा कि राज्यसभा का वोट देखकर देना, अति उत्साह में गलती मत कर देना। शेखावाटी वाले नेताजी ने पलटकर जवाब दिया- राष्ट्रपति चुनाव में वोट दे चुका हूं, अपना ध्यान रखना। दोनों के बीच की इस जुबानी जंग को कई और लोगों नेताओं ने भी सुना। इस जुबानी जंग से पहले एक युवा नेता प्रदेश के मुखिया के खास नेताजी पर तंज कस रहे थे, लेकिन इस जुबानी जंग ने सबका ध्यान खींच लिया। इनमें एक नेताजी पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।
अंदर मुखिया के खास से बैठक, बाहर बागी बोल
सत्ताधारी पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र सब जानते हैं, राज्यसभा चुनाव आते ही पार्टी के कुछ नाराज विधायकों ने जिस तरह के तेवर दिखाए उससे सियासत को नहीं जानने वालों को यही लगेगा कि बगावत हो गई। हाल ही में एक मंत्री सहित छह विधायकों ने खूब खरी-खरी सुनाई। बाहर से मामला ऐसा लग रहा था कि नाराजगी का स्तर बहुत हाई है, लेकिन अंदरखाने मामला कुछ और ही निकला। विधायक बाहर आकर बागी बोल बोल रहे थे, लेकिन अंदर प्रदेश के मुखियाजी के मैनेजमेंट संभालने वाले नेता बैठे थे। अब सियासत में कुछ भी हो सकता है।
छोटे भाई ओवैसी की पार्टी से जुड़े, अफसर बड़े भाई का 600 किलोमीटर दूर तबादला
हैदराबाद वाले नेताजी की पार्टी ने राजस्थान में दस्तक दे दी है। उसकी हलचल अब से ही शुरू हो गई है। सत्ताधारी पार्टी के नेता ओवैसी की पार्टी की चर्चा आने पर कोई भाव ही नहीं देना चाहते, ऐसा वे दिखाते हैं। पिछले दिनों हैदराबाद वाले नेता ने राजधानी में आकर टीम की घोषणा की। इस टीम में एक RAS अफसर के छोटे भाई को भी शामिल किया। शाम को ही बड़े भाई को इसका रिजल्ट मिल गया, कुछ घंटे बाद ही 600 किलोमीटर दूर आदिवासी जिले में तबादला कर दिया। अफसर ने वीआरएस लेने के लिए अप्लाई कर रखा है। सरकार ने उसे मंजूर नहीं किया, बताया जाता है कि अफसर भी इसी पार्टी से सियासी करियर शुरू कर सकते हैं।
राज्यसभा चुनाव के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में राजस्थान के चेहरों पर कयास
विपक्षी पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार की घोषणा के साथ ही सियासी नरेटिव बदल गया है। जैसे ही जाने माने पार्लियामेंटेरियन नेता को उम्मीदवार बनाया गया कई नए सियासी नरेटिव सामने आने लगे। BJP के पहले उम्मीदवार की जीत तय है। अब राज्यसभा चुनावों के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के कयास हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि पुराने पार्लियामेंटेरियन को केंद्रीय मंत्री बनाया जा सकता है। सियासत में कुछ भी स्थायी नहीं होता है। ऐसे में राजस्थान से केंद्रीय मंत्रिमंडल के चेहरों में बदलाव के कयास लगने शुरू हो गए हैं। ऐसा हुआ तो काफी कुछ बदलेगा।

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