
बीकानेर। राजस्थान के विद्यालयों में अंग्रेजी के वातावरण को सुदृढ़ बनाने के लिए बीकानेर के प्रमुख भाषाविदों और शिक्षकों का एक प्रयास ‘ए हैंडबुक ऑफ इंग्लिश फ्रेजेस’ का विमोचन आज माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी द्वारा किया गया। स्कूल संचार के लिए आईएसबीएन नंबर प्राप्त अंग्रेजी वाक्यांश की इस पुस्तक को स्कूलों में शिक्षक और छात्र के बीच दोतरफा बातचीत की सुविधा के लिए लिखा गया है।
यह पुस्तक एक संपादकीय टीम द्वारा तैयार की गई है ।जिसमें प्रमुख भाषाविद और शिक्षक शामिल हैं ।पुस्तक की मुख्य संपादिका एवं राजकीय डूंगर महाविद्यालय में अंग्रेजी भाषा की विभागाध्यक्ष डॉ सोनू शिवा ने बताया कि इस पुस्तक में रोजमर्रा उपयोग होने वाले फ्रेसेस को स्थान दिया गया है ।यह केवल व्याकरण पर आधारित नहीं है ।यह शिक्षकों के लिए नवाचार है जिसके माध्यम से विद्यार्थियों को अंग्रेजी भाषा के प्रति प्रोत्साहित कर सकते हैं। कार्यक्रम में स्टाफ ऑफिसर डॉ रोहताश कुमार ने बताया कि यह पुस्तक डिजिटल रूप में विभागीय वेबसाइट और शाला दर्पण पर आज से ही उपलब्ध हो जाएगी। साथ ही इसे शिविरा के साथ निशुल्क प्रति के रूप में अध्यापकों एवं विद्यालयों में वितरित करने पर भी विचार किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि यह पुस्तक देश ही नही विदेश पटल पर भी एक सार्थक प्रयास साबित होगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और विमोचनकर्ता माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी ने कहा कि यह पुस्तक विद्यालयों में अंग्रेजी भाषा का वातावरण तैयार करने के लिए एक प्रयास है। जिसके माध्यम से बालक बालिकाएं स्कूल अवधि में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करने के लिए उन्मुख हो सकेंगे।
कार्यक्रम में डॉ राम गोपाल शर्मा (संपादक-इन-चीफ) डॉ रोहताश कुमार और शिवानी अरोड़ा (संपादक) डॉ रीना सलारिया (समीक्षा संपादक) निशा भारद्वाज और वर्षा पारीक (एसोसिएट एडिटर्स) राजेंद्र प्रसाद, विजय लक्ष्मी यादव, मनीष महर्षि, नरेंद्र कुमार अग्रवाल और विजय दैया (संपादकीय टीम) के रूप में उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि इसे आईएएआरएच और आईईएस के सहयोग से सरकारी आईएएसई बीकानेर द्वारा आईएसबीएन के तहत प्रकाशित करवाया गया है।
इसकी प्रस्तावना संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रो. पिरुज अलेमी द्वारा लिखी गई है।
पुस्तक का मुख्य उद्देश्य विशेष रूप से राजस्थान में नए शुरू किए गए महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अंग्रेजी भाषा के अधिग्रहण के लिए प्राकृतिक वातावरण बनाना है, हालांकि इसका उपयोग भारत और विदेशों में किसी भी स्कूल द्वारा किया जा सकता है।
पुस्तक में संचार के लिए दैनिक अंग्रेजी वाले 166 पृष्ठ शामिल हैं ।









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