राजस्थान में बिजली संकट, कटौती की तैयारी:बारिश बंद होने से डिमांड बढ़ी; 2280 मेगावाट की छह यूनिट ठप
राजस्थान में बारिश का दौर थमते ही बिजली की डिमांड बढ़ गई है। डिमांड और सप्लाई के बीच अंतर बढ़ने से कटौती के हालात बन गए हैं। एनर्जी एक्सचेंज से भी पूरी बिजली नहीं मिल रही है। सोमवार (14 अगस्त) से इंडस्ट्री के साथ नगरपालिका क्षेत्रों और जिला मुख्यालयों पर अघोषित बिजली कटौती की तैयारी है। ग्रामीण क्षेत्रों में रात के समय एक से डेढ़ घंटे की बिजली कटौती की तैयारी है।
ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव और तीनों डिस्कॉम के अध्यक्ष भास्कर ए. सावंत ने कहा- प्रदेश में बिजली की रोजाना औसत खपत 3000 लाख यूनिट से ज्यादा की हो गई है। बिजली की डिमांड करीब 16000 मेगावाट तक पहुंच गई है। राष्ट्रीय स्तर पर 205977 मेगावाट तक डिमांड दर्ज हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर भी बिजली की कमी है। इसलिए एनर्जी एक्सचेंज पर राज्यों की निर्भरता बढ़ गई है।
सावंत ने कहा- मानसून में कमी की वजह से बिजली की मांग बढ़ी है। कुछ यूनिट बंद होने और विंड एनर्जी के प्रोडक्शन में कमी की वजह से 14 अगस्त से शहरों, जिला मुख्यालयों पर बिजली कटौती हो सकती है।
पावर प्लांट्स की छह यूनिट बंद, 2280 मेगावाट उत्पादन ठप
प्रदेश में अलग-अलग पावर प्लांट्स की छह यूनिट बंद होने से भी संकट गहरा गया है। छबड़ा थर्मल पावर प्लांट की 910 मेगावाट क्षमता की दो यूनिट सालाना मेंटेनेंस के कारण बंद है। कोटा थर्मल पावर प्लांट की 210 मेगावाट की एक यूनिट, सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 910 मेगावाट की दो यूनिट और छबड़ा पावर प्लांट की 250 मेगावाट की एक यूनिट अचानक तकनीकी खराबी आने के कारण बंद हो गई है।
छबड़ा की 250 मेगावाट की एक यूनिट को ठीक करने का प्रयास चल रहा है। (फाइल फोटो)
इस तरह 2280 मेगावाट क्षमता की कुल छह यूनिट बंद पड़ी है। छबड़ा की 250 मेगावाट की एक यूनिट को ठीक करने का प्रयास चल रहा है। विंड एनर्जी के प्रोडक्शन में भी 38 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
जून और जुलाई महीने में लगातार बारिश होने से बिजली की डिमांड कम थी। सभी पावर प्लांट भी चल रहे थे। अगस्त में बारिश का दौर थमने के साथ ही तापमान बढ़ा है। इस वजह से बिजली डिमांड लगातार बढ़ रही है।
एनर्जी एक्सचेंज से भी डिमांड के मुताबिक बिजली नहीं मिली
बारिश के सीजन के दौरान हर बार बिजली संकट आता है। पिछली बार कोयला संकट के कारण बिजली प्रोडक्शन प्रभावित हुआ था।
बिजली कंपनियों ने लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट कर रखे हैं। इसके बावजूद भी डिमांड और सप्लाई के बीच अंतर बना हुआ है। डिमांड बढ़ने और पावर प्लांट बंद होने के कारण अब महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ रही है। ज्यादा पैसा चुकाने के बावजूद एनर्जी एक्सचेंज से डिमांड के मुकाबले कम बिजली मिल रही है।
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