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राजेंद्र राठौड़ नेता प्रतिपक्ष, पूनिया होंगे उपनेता ! वसुंधरा की क्या रहेगी भूमिका? विधायक दल बैठक आज

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राजेंद्र राठौड़ नेता प्रतिपक्ष, पूनिया होंगे उपनेता ! वसुंधरा की क्या रहेगी भूमिका? विधायक दल बैठक आज
राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष और सतीश पूनियां को उपनेता प्रतिपक्ष बनाने की तैयारियां बीजेपी में चल रही हैं। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी हाईकमान दोनों के नाम लगभग तय कर चुका है। इसीलिए रविवार दोपहर 3 बजे से बीजेपी विधायक दल की बैठक बुलाई है।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे गुलाबचंद कटारिया के असम का राज्यपाल नियुक्त होने के बाद से खाली चल रहा राजस्थान विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष का पद बीजेपी रविवार को भरने जा रही है। मौजूदा उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष बनाने पर सहमति बन चुकी है।राठौड़ को वरिष्ठता, उम्र और विधानसभा में बेबाकी से मुद्दे उठाकर सत्ताधारी कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी करने के कारण इस पद के लिए सबसे योग्य पाया गया है। दोपहर 3 बजे बाद उनके नाम की घोषणा विधायक दल की बैठक में औपचारिक रूप से किए जाने की सम्भावना है। करीब 68 साल के राठौड़ का जन्म 24 अप्रैल 1955 का है। राठौड़ 7 बार के विधायक हैं। अबकी बार चूरू विधानसभा सीट से विधायक चुनकर आए हैं। राठौड़ बीएससी, एमए और लॉ डिग्री होल्डर हैं। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा प्रकरण में राठौड़ ने राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाकर खुद ही वकील के तौर पर पैरवी भी की और गहलोत सरकार को चिंता में डाल दिया था। इसलिए भी राठौड़ पार्टी की गुड बुक्स में हैं।

सतीश पूनियां को उपनेता प्रतिपक्ष बनाने की तैयारी

राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने पर उपनेता प्रतिपक्ष का पद खाली होगा। ऐसी में बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया को उपनेता प्रतिपक्ष पद देने की तैयारी है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी हाईकमान पूनियां को विधानसभा चुनाव से पहले कुछ अहम जिम्मेदारियां सौंपना चाहता है, ताकि पब्लिक में सही मैसेज दिया जा सके। आगामी दिनों में इलेक्शन कैम्पेनिंग कमेटी में भी उन्हें अहम दायित्व सौंपा जा सकता है। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पद से उनकी विदाई के बाद जाट और किसान समाज में पार्टी बड़ा मैसेज देना चाहती है। पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने इशारा देते हुए कहा था कि पूनिया की भूमिका आगामी दिनों में महत्वपूर्ण रहेगी। पूनिया का जन्म 1964 का है। वह एमएससी, पीएचडी और लॉ डिग्री होल्डर हैं। राठौड़ की तरह पूनियां भी वकालत की पढ़ाई किए हुए हैं। वह कृषि और बिजनेस से जुड़े हैं। लेकिन पहली बार विधायक के तौर पर चुनकर आए हैं। सूत्र बताते हैं कि पार्टी हाईकमान की ओर से नेता प्रतिपक्ष के लिए पूछे जाने पर खुद सतीश पूनियां ने भी वरिष्ठता के आधार पर राजेंद्र राठौड़ का नाम सुझाया था।

3 बजे विधायक दल, 5 बजे प्रदेश कोर कमेटी बैठक

बीजेपी प्रदेश मुख्यालय जयपुर में सुबह से प्रदेश स्तरीय पार्टी पदाधिकारियों की बैठक रखी गई। दोपहर 3 बजे से विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। जिसमें नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष के नाम तय किए जाएंगे। इसके बाद शाम 5 बजे से प्रदेश बीजेपी कोर कमेटी की बैठक होगी। बीजेपी के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह, सह प्रभारी विजया राहटकर, प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्रा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी, अर्जुनराम मेघवाल, राष्ट्रीय सचिव अलका गुर्जर समेत अपेक्षित वरिष्ठ नेता बैठक में भाग लेंगे। सीपी जोशी के प्रदेशाध्यक्ष बनने और नेता प्रतिपक्ष, उपनेता प्रतिपक्ष के नाम तय होने के बाद यह पहली कोर कमेटी की बैठक होगी। जिसमें चुनावी तैयारियों और संगठन के आगामी कार्यों, दिल्ली से वरिष्ठ नेताओं के दौरे और कार्यक्रमों, आगामी आंदोलनों का रोडमैप भी तैयार किया जाएगा।
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की क्या भूमिका रहेगी ?

बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की राजस्थान में पार्टी संगठन में क्या भूमिका रहेगी ? विधानसभा चुनाव में केवल 7 महीने का वक्त बचा है। पार्टी में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों का दौर शुरू हो चुका है। पार्टी चुनाव मोड में आ चुकी है और विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति पर तैयारी शुरू की जा चुकी है। इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर भी पार्टी के सामने बड़ी चुनौती है। राजे के समर्थक नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए यह बड़ा सवाल है। क्योंकि उनका राजनीतिक भविष्य इससे जुड़ा है। हालांकि पार्टी सूत्रों की मानें तो, पार्टी हाईकमान भी चाहती है कि विधानसभा चुनाव के दौरान वसुंधरा राजे के प्रभाव और भूमिका का फायदा पार्टी को मिले। इससे भी ज्यादा पार्टी डैमेज कंट्रोल के बारे में भी विचार करके चल रही है। पार्टी में आगामी दिनों में चुनाव संचालन समिति, चुनाव कैम्पेनिंग और प्रबंधन समिति और नए सिरे से प्रदेश कोर कमेटी भी बनाई जा सकती है। इसलिए राजे को संगठन में कौनसा पद दिया जाएगा, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

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