DEFENCE / PARAMILITARY / NATIONAL & INTERNATIONAL SECURITY AGENCY / FOREIGN AFFAIRS / MILITARY AFFAIRS WORLD NEWS

रूस की जंग यूक्रेन में इतनी लंबी क्यों होती जा रही है?

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

रूस की जंग यूक्रेन में इतनी लंबी क्यों होती जा रही है?

सीज़र गन
इमेज कैप्शन,ये फ़्रांस में बनी सीज़र गन है. अब पश्चिम में बने ऐसे कई हथियार यूक्रेन की जंग में दिख रहे हैं.

पूर्वी यूक्रेन में मोर्चे पर लड़ रहे जवानों का कहना है कि पश्चिमी देशों से मिले आधुनिक हथियारों ने रूस की ओर से जारी भारी बमबारी पर लगाम लगा दिया है. लेकिन क्या ये महज़ एक अस्थायी ठहराव है या तूफ़ान से पहले वाली शांति का संकेत?

बीते कई सप्ताह से रूस की बमबारी झेल रहे एकदम वीरान पड़े शहर बखमत में आसमान में धुएं का गुबार दिख रहा है.

दो यूक्रेनी लड़ाकू विमान कम ऊंचाई पर उड़ रहे हैं. इस बीच 86 वर्षीय ऐना इवानोवा, लाठी के सहारे अपने बगीचे में हैं. वो कहती हैं, “हमारा कोई जीवन नहीं है. कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं. ईमानदारी से मैं ये कामना करती हूँ कि काश मैं मर चुकी होती.”

10 मिनट बाद पश्चिम की ओर सूरजमुखी से भरे खेतों में पाँच या शायद उससे भी अधिक बार भयानक धमाकों की गूंज सुनाई पड़ती है.

उत्तर में तबाह हो चुके स्लोवयांस्क क्षेत्र से अगर कोई पूर्वी यूक्रेन के घुमावदार डोनबास क्षेत्र में युद्ध के मोर्चे तक जाए या दक्षिण में दोनेत्स्क में ख़ाली पड़े खेती प्रधान गाँवों तक पहुँचे तो पता लगेगा कि कैसे रूस ने सभी इलाकों में बम-गोले बरसाए हैं और ये अब भी जारी है.

लेकिन दोनेत्स्क के बाहरी इलाक़े में गेहूँ के खेत के पास मौजूद यूक्रेन की एक तोपखाने की यूनिट के कमांडर दिमित्रो अपनी बात पर अड़े हुए थे.

पास में खड़े एक बड़े से वाहन पर हाथ फेरते हुए दिमित्रो कहते हैं, “वो अब पहले की तरह हमले नहीं कर रहे. रूसी बलों की ओर से गोले दागे जाने के मामले घटकर आधे हो गए हैं. शायद उससे भी कम, दो-तिहाई.”

ये वाहन एक स्वचालित तोप है. फ़्रांस में बनी इस सीज़र तोप की विशाल नली का निशाना रूस की ओर है. ये यूक्रेन के हथियारों के जखीरे में बढ़ते पश्चिमी हथियारों में से एक है. इसे अब पूरे डोनबास की गलियों में घूमते हुए देखा जा सकता है.

दिमित्रो और यहाँ कई अन्य लोगों का मानना है कि ये हथियार युद्ध की हवा को रूस के ख़िलाफ़ मोड़ने में मदद कर रहे हैं.

फ़्रांस की सीज़र गन

कानों को बहरा कर देने वाले धमाके के साथ सीज़र ने पहले तीन गोले दागे. दिमित्रो ने बताया कि ये गोले 27 किलोमीटर दूर रूसी इन्फैंट्री और कुछ तोपखानों के हिस्सों पर दागे गए.

मुस्कुराते हुए दिमित्रो कहते हैं, “हमारा निशाना बहुत सटीक है. हम रूसियों पर बहुत दूर तक हमले कर सकते हैं.”

एक मिनट के भीतर, आर्टिलरी टीम ने दो और गोले दागे और इससे पहले की रूस तोपखाने को ट्रैक कर के पलटवार करता, ये वाहन तेज़ी से आगे बढ़ जाता है.

यूक्रेन में इन दिनों इंटरनेट पर ऐसी बहुत सी ड्रोन फुटेज और अन्य वीडियो शेयर हो रहे हैं, जिनमें रूसी इलाक़ों में सिलसिलेवार भीषण धमाके देखने को मिलते हैं.

ज़ाहिर है कि यूक्रेन के लोगों के साथ सैनिक भी इन्हें देख रहे हैं.

अभी तक ये बताया जाता रहा था कि गोला-बारूद और हथियारों के इस विशाल जखीरे को युद्ध के मोर्चे से काफ़ी दूर रखा गया, लेकिन इस जखीरे अमेरिकी हाइमार मिसाइल सिस्टम और पोलैंड के क्राब होवित्ज़र जैसे आधुनिक हथियार शामिल हो गए हैं.

स्लोवयांस्क की रक्षा में जुटी एक वॉलंटियर यूनिट की कमान संभाल रहे 52 वर्षीय यूरी बेरेज़ा ने कहा, “उस शांति को सुनिए.”

शहर के पूर्वी हिस्से में क़रीब एक घंटे से ऊपर तक किसी भी धमाके की गूंज नहीं सुनाई पड़ी.

यूरी बेरेज़ा
इमेज कैप्शन,यूरी बेरेज़ा कहते हैं कि पश्चिम से मिले हथियारों ने रूस के साथ मुकाबला लगभग बराबरी का हो गया है.

बेरेज़ा कहते हैं, “ये सब आपकी दी हुई तोपों की वजह से, उसकी सटीकता की वजह से है. पहले हमारे एक हथियार के सामने रूस की 50 तोपों की नलियां होती थीं. अब ये स्थिति बदल गई है. हमारे पाँच के बदले उनके पास एक ही तोप है. उनकी उपलब्धियों के अब कोई मायने नहीं. आप इसे बराबरी कह सकते हैं.”

लेकिन दिमित्रो की तरह ही बेरेज़ा का भी मानना है कि रूस को पुरज़ोर टक्कर देने के लिए यूक्रेन को और पश्चिमी हथियारों की ज़रूरत है.

बेरेज़ा कहते हैं, “वे हमें हरा नहीं सकते और इस स्थिति में हम भी उन्हें हराने में समर्थ नहीं. हमें और रक्षा उपकरण चाहिए. ख़ासतौर पर बख्तरबंद वाहन, टैंक, एविएशन से जुड़े उपकरण. इन चीज़ों के बिना बहुत बड़ी संख्या में लोग मारे जाएंगे. रूस इसी तरीक़े से युद्ध आगे बढ़ा रहा है. वो ज़िंदगियों की कद्र नहीं कर रहे.”

दिमित्रो कहते हैं, “पश्चिमी देशों ने हमें जितने हथियार भेजे हैं, वास्तव में हमें उससे तीन गुना अधिक चाहिए, वो भी जल्दी.”

हथियारों की कमी एकमात्र वो कारण नहीं है, जिसने कब्ज़े वाले इलाक़ों को वापस पाने के लिए यूक्रेन का हौसला डिगाया हो.

रूस की बमबारी कम होने के बावजूद, उसके सैनिक बखमत में रणनीतिक रूप से अहम इलाक़ों के क़रीब पहुँचते जा रहे हैं. इसकी वजह से यूक्रेनी बल सैनिकों की कम संख्या और ट्रेनिंग जैसे मुद्दों को लेकर परेशान हैं.

यूक्रेन में जंग
इमेज कैप्शन,पूर्वी यूक्रेन में पश्चिमी देशों की कई प्राइवेट संस्थाएं, सैनिकों को ट्रेनिंग दे रही हैं.

एक पूर्व ब्रिटिश पैराट्रूपर यूक्रेनी सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. वे जिन सैनिकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं, वे सभी वॉलंटीयर है. उन्होंने बस कुछ ही हफ़्तों की मिलिट्री ट्रेनिंग मिली है. उनके कमांडरों ने ही ब्रिटेन से आए ट्रेनर्स के साथ पाँच दिन की विशेष ट्रेनिंग का इंतज़ाम किया है.

ट्रेनिंग ले रही एक यूनिट के 22 वर्षीय कमांडर पेशे से वकील हैं. वे नहीं चाहते कि हम उसका नाम न लें. उन्होंने बताया, “हाँ, डर तो लगता है. मैंने पहले कभी युद्ध नहीं देखा है.”

रॉब नाम के एक अमेरिकी ट्रेनर ने बताया, “मुझे इस बात की चिंता है कि इन लोगों को बेसिक ट्रेनिंग भी नहीं मिली है.”

फ़िलहाल पश्चिमी देशों ने यूक्रेन जंग में अपने सैकिन या सेना कॉन्ट्रेक्टर्स को भेजने से गुरेज़ किया है. लेकिन यहाँ कुछ निजी संस्थाएं हैं जो यूक्रेनी फ़ौज की मदद कर रही हैं.

अमेरिकी सेना में मरीन रह चुके कर्नल एंडी मिल्बर्न कहते हैं, “ये समंदर में बूंद जैसा है. पर इससे फ़र्क़ पड़ता है. चाहे बेहद मामूली ही क्यों न हो.”

कर्नल (रिटायर्ड) मिल्बर्न कहते हैं कि उनकी संस्था का अमेरिका सरकार के साथ कोई संपर्क या क़रार नहीं है. लेकिन मिल्बर्न पश्चिमी देशों के रवैया को डरपोक वाला बताते हैं.

“ये अजीब बात है. इन लोगों ने इतने सैनिकों को खोया है कि उनके पास अब ट्रेनर्स तक नहीं है. पश्चिमी देशों को इसके लिए तुरंत एक योजना बनानी चाहिए.”

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!