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वर्षीतप तपस्वियों का अभिनंदन, भगवान आदिनाथ के मंदिर में पूजा छोटे नियमों से अपनी कमियों व बुराइयों का त्याग करें-साध्वी प्रियरंजन श्रीजी

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बीकानेर, 23 अप्रेल। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की वरिष्ठ साध्वीश्री प्रियरंजनाश्रीजी के सान्निध्य में रविवार को बागड़ी मोहल्ला की ढढ्ढा कोटड़ी में 12 वर्षीतप तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। नाहटा चैक के आदिश्वरजी मंदिर में आदिश्वर मंदिर नाहटा पंचायती प्रन्यास के तत्वावधान में ध्वजा चढ़ाई गई तथा भक्ति संगीत के साथ सतर भेदी पूजा की गई।
आदिश्वरजी मंदिर में पूजा-पक्षाल, वंदना करने के बाद गाजे-बाजे से तपस्वी व उनके परिजन देव, गुरु व धर्म तथा तपस्वी का जयकारा लगाते हुए ढढ्ढा कोटड़ी पहुंचें। जहां सकलश्री संघ व श्री अखिल श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक युवक संघ की ओर से आयोजित सामूहिक वर्षीतप पारणा समारोह इक्षु (गन्ने) का रस पिलाकर, स्मृति चिन्ह व श्रीफल आदि से अभिनंदन किया गया। तपस्वियों के परिजनों ने भी उपहार व गन्ने का ज्यूस पिलाकर सम्मान किया।
साध्वी प्रियरंजन श्रीजी ने कहा कि भारतीय संस्कृति व जैन धर्म में बैसाख शुक्ल तृतीया को अक्षय फल देने वाला दिन, अबूझ श्रेष्ठ मुर्हूत के समय की गई तपस्या, साधना, आराधना, देव, गुरु व धर्म की भक्ति, दान-पुण्य अक्षुण रहता है। जैन धर्म जप,तप, त्याग के कारण प्रतिष्ठित है । हमें धर्म के मर्म को समझकर उसको आगे बढ़ाना है तथा अपने जीवन को सुधारना है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म के महान आगम ’’कल्पसूत्र’’ में अणुव्रत का वर्णन है। अणु यानि छोटे नियम लेकर अपने में व्याप्त बुराइयों व कमियों को दूर करें। उन्होंने कहा कि छोटे यानि अणुव्रत नियम लेने से थोड़ी शारीरिक व मानसिक कठिनाई जरूर एक बार महसूस होती है, लेकिन दृढ संकल्प के साथ वह दूर हो जाती है। केवल दो समय सूर्योदय व सूर्यास्त से पहले भोजन (बयासना) करने से 28 उपवास का फल मिलता है। तपस्याओं के अनुमोदनार्थ रात्रि भोजन, अभक्ष्य सामग्री का त्याग करें। पाप कर्मों से बचे तथा पुण्य कर्मों का संचय करें। साध्वीश्री प्रिय दिव्यांजना व साध्वीश्री शुभान्जना ने भी अक्षया तृतीय, वर्षीतप के महत्व पर प्रवचन किए। कार्यक्रम में शांति निवास वृद्ध आश्रम की प्रभारी सिस्टर मैरीन अतिथि के रूप में उपस्थित थीं।
वर्षीतप तपस्वियों का अभिनंदन
बैंगलूर की कल्पना जैन ने अट््ठाई के साथ, चैन्नई की मंजू (साध्वीश्री प्रियरंजना की सांसारिक बहन), बीकानेर की चंपादेवी कोचर ने ( लगातार 22 वर्षीतप तपस्वी, ) श्रीमती चंदा देवी बोथरा लगातार दूसरे वर्ष, सुनीता सुराणा ने लगातार 4 वर्ष, करुणा बांठिया ने लगातार दूसरे वर्ष, राजबाई पारख ने 5 वर्ष, सरिता बांठिया ने दूसरे वर्ष, प्रेमलता डागा, संतोष पूगलिया, पुष्पादेवी नाहटा, आदि का अभिनंदन श्रेयांस कुमार व उनकी महारानी का स्वरूप धारण करने वाले धनपत सिंह व श्रीमती शिबू बांठिया, जोधपुर के धनारी कला के राकेश सेठिया व पिंकी सेठिया, श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारिवाल, श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, संस्था अध्यक्ष संजय कोचर, उपाध्यक्ष विनीत नाहटा, संरक्षक महेन्द्र बरड़िया, कार्यकारिणी सदस्य मनीष नाहटा, सी.ए.राजेन्द्र लूणियां, ऋषभ सेठिया, विनोद सुराणा, जितेन्द्र डागा, प्रकाश राखेचा, राजेन्द्र चैपड़ा, सुरेन्द्र खजांची, राजेन्द्र गुलगुलियां व हीरालाल बांठिया आदि ने श्रीफल व स्मृति चिन्ह से अभिनंदन किया। तपस्वियों ने साध्वीवृंद को व तपस्वियों को उनके परिजनों ने इक्षु रस पिलाकर तप का पारणा करवाया। ढढ्ढा कोटड़ी व आदिनाथजी के मंदिर के पास निःशुल्क गन्ने की स्टाल लगाई गई ।

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