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वेटरनरी विश्वविद्यालय में पांचवे दीक्षांत समारोह का आयोजन,423 उपाधियों और 35 स्वर्ण पदकों से किया विद्यार्थियों को अलंकृत,राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने की ऑनलाइन शिरकत

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*वेटरनरी विश्वविद्यालय में पांचवे दीक्षांत समारोह का आयोजन*
*423 उपाधियों और 35 स्वर्ण पदकों से किया विद्यार्थियों को अलंकृत*
*राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने की ऑनलाइन शिरकत*

वेटरनरी विश्वविद्यालय में पांचवे दीक्षांत समारोह का आयोजन #bikaner

बीकानेर, 29 अप्रेल। वेटरनरी विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षांत समारोह में शुक्रवार को पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान के 423 छात्र-छात्राओं को उपाधियों और 35 को स्वर्ण पदक तथा 2 कुलाधिपति स्वर्ण पदक से अलंकृत किया गया। माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने समारोह में ऑनलाइन शिरकत करते हुए प्रारंभ में संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्त्तव्यों का वाचन किया जिसे सभी प्रतिभागियों ने मन में दोहराया। उन्होंने कहा कि दीक्षांत का अर्थ होता है, ज्ञान से विद्यार्थी को संस्कारित की पूर्णता। यह ज्ञान यज्ञ की पूर्णाहूति की बेला है। शिक्षा व्यक्ति को मानव से महामानव बनाने की ओर अग्रसर करती है। हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति का उद्देश्य व्यक्तिगत आध्यात्मिक व भौतिक उन्नति के साथ-साथ लोक भावना से पूरित राष्ट्र निर्माण व विश्व बंधुत्व से भी अभिप्रेरित रहा है। राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से हैए इसमें विशेषीकृत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के ऐसे प्रयास होने चाहिए जिससे विश्वभर में इसकी अपनी अलग पहचान बनें। उन्होंने कहा कि यह समय सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का हैए नवीन अनुसंधान और शोध कार्य हो रहे है अतः विद्यार्थियों को इससे जागरूक रहना होगा। कुलाधिपति ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन आज भी किसानों की आय की महत्वपूर्ण स्त्रोत है। कृषि पर आश्रित परिवारों को इससे अनुपूरक आय तो प्राप्त होती ही है, साथ ही पशु उत्पाद प्रोटीन के भी प्रमुख स्त्रोत है। अकाल एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौर में गांवों में एक मात्र पशुधन ही आय का स्त्रोत रह जाता है। इसलिए यह जरूरी है कि पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान के क्षेत्र में इस तरह के कार्य निरन्तर किए जाएं जिनसे पशुधन संरक्षण के साथ ही स्थानीय आय में वृद्धि हो सके। पशुचिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान में गुणवत्ता के साथ पशुचिकित्सा शिक्षा प्रसार कार्यों को वृहद स्तर पर पहुंचाए जाने की भी आज सर्वाधिक जरूरत है। उन्नत नस्ल और दुधारू पशुओं के संरक्षण, उनकी देखभाल के लिए विश्वविद्यालय को प्रयास करने चाहिए। राज्य में गौवंश के महत्व एवं गोबर और गौमूत्र की आर्थिक उपयोगिता बढ़ाने हेतु गौमूत्र से कीटनाशक एवं गोबर से जैविक खाद बनाने की आवश्यकता पर भी यह विश्वविद्यालय कार्य करें। इससे आम पशुपालक अधिकाधिक आत्मनिर्भर हो सकेंगे। समारोह के विशिष्ट अतिथि कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री लालचंद कटारियां ने कहा कि वर्तमान में पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा राज्य के अधिकांश जिलों में पशुचिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं जो राज्य के किसानों और पशुपालकों के लिए उपयोगी और प्रेरणादायी सिद्ध हो रहे हैं। राजस्थान पशुधन सम्पदा संपन्न प्रदेश है तथा यह सेक्टर कृषि के साथ-साथ ग्रामीण जनसंख्या की आजीविका एवं अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार स्तम्भ है। राज्य सरकार ने अपने बजट घोषणा में मलसीसर (झुन्झुनू), भरतपुर एवं कोटपुतली (जयपुर) में भी तीन नये वेटरनरी कॉलेज खोलने की घोषणा की है। दीक्षांत भाषण देते हुए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के अध्यक्ष प्रो अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय, बीकानेर जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से शैक्षणिक योग्यता हासिल विद्यार्थियों के लिए बहुराष्ट्रीय कंम्पनियां, उद्योग, बैंक, शैक्षणिक संस्थानों, प्रशासनिक और अनुसंधान के क्षेत्र में अनेकों अवसर उपलब्ध हैं। आप सबकों “ग्लोरी ऑफ इंडिया” का हिस्सा बनना है। देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर ही नहीं अपितु अतिरिक्त खाद्यान्नों के भंडार भी है। पशुधन, डेयरी, पोल्ट्री और फिशरीज सेक्टर ग्रामीण लोगों की आजीविका, खाद्य और पोषण आवश्यकताओं की रीढ़ है। भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादन भी अंडा उत्पादन में विश्व में तीसरे स्थान पर है। मीट उत्पादन भी देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के साथ पशुधन स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई चुनौतियां हमारे सामने है। जिसके लिए पशुचिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की जरूरत है। पशुपालकों में जागरूकता और रोगरोधी टीकाकरण, रोग निदान सेवाओं के सुद्दढीकरण में हमारी महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। पशुचिकित्सा स्नातकों को पशुधन उत्पादन और पशुचिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अपनी उपादेयता सिद्ध करनी होगी। उन्होंने विश्वविद्यालय में उद्यमिता विकास और देशी गौवंश संवर्द्धन के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि विकास और अनुसंधान परियोजनाओं में अच्छा कार्य हो रहा है। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति सतीश के. गर्ग ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कुलपति प्रो. गर्ग ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 की बजट घोषणा में तीन नए संघटक महाविद्यालय खोले जाने के पश्चात राजुवास भारतवर्ष का सबसे बड़ा प्रादेशिक पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय होने का गौरव भी प्राप्त कर लेगा। विशिष्ट अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. राकेश चन्द्र अग्रवाल ने कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के अल्प काल में ढांचागत विकास के साथ नए पशुचिकित्सा महाविद्यालय खोलने और विभिन्न प्रकार के शैक्षणिक कार्यक्रम प्रारंभ कर शिक्षण, अनुसंधान और प्रसार शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। पशुधन अनुसंधान केन्द्रों और पशु विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसान और पशुपालकों तक तकनीकी हस्तांतरण और आवश्यकत आधारित अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हो रहा है। समारोह में विष्वविद्यालय के प्रबंध मंडल के सदस्य प्रो. ए.के. गहलोत, प्रो. पी.के. शुक्ला (मथुरा), डॉ. अमित नैन, श्री अशोक मोदी श्री पुरखराराम, श्रीमती कृष्णा सोलंकी एवं अकादमिक परिषद सदस्यगण, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अम्बरिश विद्यार्थी, आई.सी.ए.आर. संस्थानों के निदेशक व वैज्ञानिकगण, विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर, अधिकारी, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं और अतिथि उपस्थित थे। दीक्षांत समारोह में स्नातक योग्यता प्राप्त कर लेने वाले 217 छात्र-छात्राओं को उपाधियां, स्नातकोत्तर स्तर के 167 को उपाधियां तथा 39 को विद्यावाचस्पति उपाधियां प्रदान की गई। 35 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदकों से और स्नातकोत्तर शिक्षा में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर अनामिका शर्मा व कुंदन मल यादव को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से अलंकृत किया गया। दीक्षांत समारोह को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर सीधा प्रसाारित किया गया।

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