शहबाज शरीफ इससे पहले भी भारत और कश्मीर को लेकर जहर उगलते रहे हैं। 2018 के चुनाव में जब पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था, तब उन्होंने एक रैली के दौरान कहा था कि हमारा खून खौल रहा है, हम कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाकर रहेंगे।
REPORT BY SAHIL PATHAN
इस्लामाबाद: ‘हम भारत के साथ शांति चाहते हैं, जो कश्मीर विवाद के समाधान तक संभव नहीं है…।’ यह बयान पाकिस्तान के पीएम इन वेटिंग शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif Pakistan PM) का है। उन्होंने पाकिस्तान का प्रधानमंत्री (Pakistan New PM Name) बनने से पहले ही भारत (Shehbaz Sharif India Relations) को लेकर अपने रुख का इजहार कर दिया है। अब से थोड़ी ही देर में पाकिस्तानी संसद की बैठक होने जा रही है, जहां संयुक्त विपक्ष की तरफ से उन्हें देश का नया प्रधानमंत्री चुन लिया जाएगा। ऐसे में तय माना जा रहा है कि पाकिस्तान के बाकी के प्रधानमंत्रियों की तरह ही शहबाज शरीफ भी कश्मीर मुद्दे (Shehbaz Sharif Kashmir Issue) को नहीं छोड़ने वाले है।
भारत के खिलाफ जहर उगलते रहे हैं शहबाज
शहबाज शरीफ इससे पहले भी भारत और कश्मीर को लेकर जहर उगलते रहे हैं। 2018 के चुनाव में जब पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था, तब उन्होंने एक रैली के दौरान कहा था कि हमारा खून खौल रहा है, हम कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाकर रहेंगे। ऐसे में पूरी संभावना है कि पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री बन जाए लेकिन घरेलू राजनीति के कारण वो भारत के साथ अपने संबंधों को सही नहीं कर पाएगा।
आतंकी हाफिज सईद के दोस्त हैं शहबाज शरीफ
शहबाज शरीफ वैश्विक आतंकवादी हाफिज सईद के काफी करीबी राजनेता हैं। पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली सूबे पंजाब का मुख्यमंंत्री रहते हुए शहबाज शरीफ ने हाफिज सईद के आतंकी संगठन को छह करोड़ रुपये की सरकारी मदद दी थी। वो भी तब, जब पूरी दुनिया मुंबई आतंकी हमले को लेकर हाफिस सईद को दोषी ठहरा रही थी। उन्होंने पहले भी हाफिज सईद के संगठन जमात उल दावा, उसके मदरसे को करोड़ों की मदद दी है।
शहबाज शरीफ के पीएम बनने से नहीं सुधरेंगे आपसी संबंध
शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने से भारत पाकिस्तान संबंधों में कुछ खास बदलाव होने की उम्मीद नहीं है। शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बन भी जाते हैं तब भी यह एक अस्थायी नियुक्ति ही मानी जाएगी। पाकिस्तान के वर्तमान संसद की 1 साल 4 महीने ही बची है। ऐसे में सितंबर 2023 में पाकिस्तान में आम चुनाव होना तय है। दूसरी तरफ इस पर भी शक ही है कि शहबाज शरीफ बचे हुए 1 साल 4 महीने तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर शांति से बैठे रहें।
शरीफ परिवार ने चीन-पाक संबंधों को बढ़ावा दिया
इस लेख में कहा गया है कि इमरान खान का संभावित उत्तराधिकारी शरीफ परिवार से है जो लंबे समय से चीन-पाकिस्तान संबंधों को बढ़ावा दे रहा है और दोनों देशों के बीच सहयोग खान की तुलना में भी बेहतर हो सकता है। साथ ही कहा गया कि पारंपरिक राजनीतिक दलों के तहत दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंध बेहतर थे। नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार के तहत 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का काम बेहतर ढंग से आगे बढ़ा।चीन को इमरान खान के बारे में आपत्ति थी क्योंकि जब वह विपक्ष में थे तो वह परियोजना के आलोचक थे, हालांकि बाद में 2018 में पद संभालने के बाद वह इसके बड़े प्रशंसक बन गए। सिंघुआ विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय रणनीति संस्थान में अनुसंधान विभाग के निदेशक कियान फेंग ने बताया कि पाकिस्तान में नवीनतम राजनीतिक परिवर्तन मुख्य रूप से राजनीतिक दल के संघर्ष और अर्थव्यवस्था और लोगों की आजीविका के मुद्दों के कारण होता है। कियान ने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रभाव के कारण, देश में कई लोगों का मानना है कि खान का प्रशासन आर्थिक स्थिति को बिगड़ने से रोकने में विफल रहा है।
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