‘मुझे बहुत खुशी हुई कि देश सेवा के साथ संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में बेटा शहीद हो गया। मैं अपने पोतों को भी कहता हूं कि फौजी बनकर देश की सेवा करो।’ बेटे के शहादत पर ये भावनाएं एक पिता की हैं। यह देश और अपने फर्ज के प्रति सिर्फ शहादत की नहीं, बल्कि परिवार के शौर्य की कहानी कह रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में अफ्रीका के कांगो (डीआर) में तैनात सीमा सुरक्षा बल (BSF) के भारतीय जवान सांवलाराम विश्नोई 26 जुलाई को हिंसक प्रदर्शन के दौरान शहीद हो गए। जब शहीद के पिता से बात की तो वे नम आंखो से बोले- सांवलाराम जब भी छुट्टी पर घर आते तब देश की सेवा की बातें करते थे। पत्नी से कहते थे- ‘मैं रहूं या न रहूं, सैनिक की पत्नी हो हमेशा गर्व से रहना।’ मां की गोद में बैठा छोटा बेटा अभिनव टकटकी लगाए घर के दरवाजे की तरफ देख रहा था। उसे पिता के शहादत की खबर है, अब उसे आखिरी झलक का इंतजार है। बड़े बेटे ने बताया कि पिता से 26 जुलाई को बात हुई थी। तब मुझे बोला था- ‘नागौर के स्कूल में एडमिशन ले लिया है। वहां से निकलो तब सक्सेसफुल बनकर ही निकलना।’ पापा हमेशा कहते थे कि आप अपने पैरों पर खड़े हो जाओ।

मां की गोद में बैठा शहीद का छोटा बेटा अभिनव।
पत्नी को बोला- सैनिक की पत्नी हो हमेशा गर्व होना चाहिए
अभिनव के साथ बैठी सांवलाराम विश्नोई पत्नी रुखमणी बेटे तो बोलता देख भावुक हो गई। उन्होंने कहा- हमेशा बोलते थे कि आप सैनिक की पत्नी हो, हमेशा गर्व से रहना होगा। भरोसा नहीं है, हम घर वापस आ पाएंगे या नहीं। बच्चों व परिवार को तुम्हें ही संभालना है। अगर देश की रक्षा करने के दौरान कुछ हो जाए तो हमेशा गर्व से रहना। अब बेटों को भी देश की रक्षा के लिए भेजूंगी।
सांवलाराम से घर से करीब 12 किलोमीटर पैदल चल कर 10वीं पास की थी। वे रोज छोटू गांव जाते थे। फिर 12वीं बाड़मेर से की। रुखमणी का कहना है, ‘दुख के साथ गर्व भी हो रहा है कि देश के लिए शहीद हो गए। 25 जुलाई को बात की थी तब कहा- कांगो में पत्थरबाजी हो रही है। जरूरत पड़ने पर हमें जाना पड़ेगा।’

बाड़मेर निवासी सांवलाराम विश्नोई के घर मातम पसरा है। सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार करने की तैयारी में यहां के लोग जुटे हैं।
27 जुलाई को दिल्ली से सुबह 7 बजे फोन आया। ससुर से बात करने को कहा था। तब मैंने पूछा आप कौन बोल रहे हो तब कहा दिल्ली बीएसएफ 65 बटालियन से बोल रहा हूं। तब मुझे लगा कुछ हुआ है, लेकिन सब लोग छुपा रहे थे। कुछ देर बाद मुझ लग गया।
पिता-दो बेटों को सेना भेजना चाहता थे
शहीद के बुजुर्ग पिता विरधाराम का कहना है कि बचपन से बेटे सांवलाराम व उसके भाई राजूराम देश सेवा के लिए फौजी बनना चाहते थे। सांवलाराम का 25 जनवरी 1999 को बीएसएफ में चयन हो गया। राजूराम की पढाई छूट गई थी। इसलिए सेना में नहीं जा पाया, लेकिन सांवलाराम ने भाई को भी आगे पढ़ाकर सेना की तैयारी कराई।

शहीद के पिता विरधाराम।
हमेशा सेना में जाने के लिए करते मोटिवेट
राजूराम का कहना है कि भाई सांवलाराम ने देश सेवा के लिए मोटिवेट किया। 8वीं करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। फिर वापस 10वीं प्राइवेट से की। सेना में जाने के लिए तैयारी की। आर्मी में चयन भी हो गया था, लेकिन डाक विभाग की लापरवाही के चलते जॉइन लेटर समय पर नहीं आया और समय निकल गया। भाई जब घर पर छुट्टी पर आते तब आसपास पड़ोस के लोगों को देश सेवा के लिए मोटिवेट करते थे।

सांवलाराम का बड़ा बेटा अक्षत। वह पिता से आखिरी मुलाकात को याद कर भावुक हो गया।
बेटे को बोला सक्सेस होकर निकला
बेटे अक्षय का कहना है कि कांगो जाने से पहले पापा अप्रैल को घर पर छुट्टी पर आए थे। तब लास्ट मुलाकात हुई थी। मेरा एडमिशन नागौर स्कूल में करवा दिया था। 26 जुलाई को मेरी बात हुई थी तब कहा था वहां से निकलो तब सक्सेस होकर ही निकला।

शहीद सांवलाराम आज होगा अंतिम संस्कार।
शहीद का परिवार
शहीद सांवलाराम (42) के परिवार में पिता विरधाराम व माता धन्नीदेवी, पत्नी रूखमणी (36) बड़ा बेटा अक्षय कुमार विश्नोई (14) व छोटा बेटा अभिनव (11) हैं। अक्षय इस सत्र 12 जुलाई को नागौर की शारदा बाल निकेतन हायर सेकेंडरी स्कूल में एडमिशन करवाया था। सांवलाराम के दो भाई और हैं। राजूराम खेती का काम करते है जबकि मोहनलाल एलडीसी हैं।

सांवलाराम का घर के बच्चों से सबसे ज्यादा लगाव था।
परिवार का रो-रो कर हो रहा बुरा हाल
27 जुलाई को परिवार को शहादत की सूचना मिली तब से पूरे परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। पत्नी कई बार बेसूध हो गईं। वहीं दूर-दूर से लोगों आना-जाना लगा हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के अनुसार स्थानीय लोगों ने पूरे कांगो में MONUSCO के खिलाफ प्रदर्शन का आह्वान किया था। गोमा में हिंसक हुए प्रदर्शनकारियों ने संयुक्त राष्ट्र की संपत्ति को लूट लिया और आग लगा दी। मंगलवार को स्थिति हिंसक हो गई और उन्होंने BSF की प्लाटून पर हमला कर दिया था।

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