भारत माता के मुकुटमणी हैं ये शाखाएं — अन्नदानम सीता गायत्री
शाखा संगम में 19 स्थानों की से आई 375 से अधिक राष्ट्र सेविका समिति की सेविकाएं, 18 शाखाओ के रूप में एक ही मैदान में अलग-अलग ध्वज के साथ अपने अपने कार्यक्रम में संलग्न रही ।
राष्ट्र सेविका समिति की माननीय विभाग कार्यवाहिका श्रीमती चन्द्रकला ने बताया की शाखा संगम के इस कार्यक्रम की तैयारी पिछले एक माह से कर रहे हैं। सभी सेविकाओं में प्रमुख कार्यवाहिका जी प्रथम प्रवास को लेकर बहुत उत्साह था।
शाखा संगम के इस कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में डा स्वाती फलोदिया और अतिथि के रूप में प्रो दिव्या जी जोशी रहे । इस कार्यक्रम की अध्यक्षा श्रीमती दिव्या जी ने कहा कि मुझे इस कार्यक्रम में आकर बहुत अच्छा लग रहा है। आज विवेकानंद जयंती भी है। राष्ट्र पुनरोत्थान का महान संकल्प लेकर उन्होंने शिला पर बैठकर ध्यान लगाया। जो राष्ट्र अपनी पहचान खो देता है वह राष्ट्र समाप्त हो जाता है, इसलिए हमें अपनी पहचान बनाये रखनी है।
अखिल भारतीय प्रमुख कार्यवाहिका मा. अन्नदानम सीता गायत्री के बीकानेर प्रवास पर आयोजित शाखा संगम का यह दृश्य था ।
प्रमुख कार्यवाहिका ने इस अवसर पर अवलोकन के बाद सभी सेविकाओं को पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि विगत 89 वर्षों से समिति अपने साधना पथ पर इसी प्रकार के कई कार्यक्रम करते हुए समाज में महिलाओं के संगठन कार्य को लगातार कर रही है।
अखिल भारतीय प्रमुख कार्यवाहीका माननीय अन्नदानम सीता गायत्री ने पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि भारत में नव चैतन्य भरने के लिए सेविकाओं को कटिबद्ध होना है। संघे शक्ति कलयुगे — समाज को संगठित करने के लिए हमें भी अपना प्रयास लगातार करते रहना है। उन्होंने आगे कहा की आज एक महापुरुष का भी जन्म हुआ था- स्वामी विवेकानंद । उन्होंने भी समाज को संगठित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।उनकी मां भुवनेश्वरी का संकल्प नरेन्द्र के जीवन में देखने को मिला।बचपन में साथियों के साथ खेलते हुए उन्होंने कहा कि मैं सारथी बनुगा। उनकी मां नरेंद्र को कृष्ण भगवान का चित्र दिखाते हुए उन्हें प्रेरणा देती है कि तुम्हें सारथी बनना है तो भगवान कृष्ण जैसा बनना जो सही दिशा में लेकर जाते हैं । विवेकानंद के जीवन का एक प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब अपने गुरु के माध्यम से उन्होंने काली मां के दर्शन किए तो उन्होंने धन और ऐश्वर्या के स्थान पर मां से ज्ञान , भक्ति और वैराग्य मांगा। अमेरिका में दिया गया उनका विश्व विख्यात संबोधन भी भारत की सांस्कृतिक विशालता को दर्शाता है जिसमें उन्होंने सबको भाई और बहन के नाम से संबोधित किया। उनकी शिष्या भगिनी निवेदिता भी भारत के अलग-अलग सांस्कृतिक रूप देखकर बहुत प्रभावित हुई और उन्होंने कहा कि भारत के मोहल्ले मोहल्ले में सब एकत्रित होकर भारत माता की जय बोलेंगे तो निश्चित रूप से भारत को कोई पराधीन नहीं कर सकता । भारत माता की जय बोलने का एक स्वरूप ही आज हम शाखाओं के रूप में देख रहे हैं। शाखा यानी निश्चित समय पर, निश्चित स्थान पर आकर 1 घंटे का कार्यक्रम करना । जिससे बहनें मानसिक , शारीरिक और बौद्धिक रूप से मजबूत होती है।
संस्कार संगठन को राष्ट्र की आवश्यकता बताते हुए महिला एकत्रिकरण के ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
बीकानेर प्रवास पर आयोजित विभाग बैठक के उपरांत सायंकाल 4 बजे के शाखा संगम में बीकानेर विभाग यानी नोखा, खाजुवाला व बीकानेर महानगर की सेविकायें कार्यक्रम में सहभागी बनी,
एक ही मैदान पर लगाई गई सभी 18 शाखाओं के अपने-अपने पृथक शारीरिक व बौद्धिक कार्यक्रम रहे
अपनी-अपनी शाखा के स्वरूप में ही खड़े होकर सबने मुख्य शिक्षिका की आज्ञानुसार सबने एक साथ सम्पत किया, एक साथ सभी ने ध्वज लगाया। सबने एक साथ प्रार्थना बोली। फिर सभी शाखाओं ने अपनी अपनी शाखा में सुक्ष्म व्यायाम, योगासन, खेल, और गणसमता करी। मुख्य शिक्षिका की आज्ञानुसार फिर सबने सामुहिक गीत गाया।
इस शाखा संगम में 400 प्रबुद्ध महिलाएं व पुरुष भी सम्मिलित हुये।
बीकानेर विभाग के प्रवास पर इस शाखा संगम में प्रमुख कार्यवाहिका के साथ प्रांत कार्यवाहिका डॉ सुमन रावलोत प्रांत प्रचारिका ऋतु शर्मा, विभाग कार्यवाहिका श्रीमती चन्द्रकला सहित अन्य प्रांतीय विभाग एवं जिले की दायित्व वान सेविकाएं उपस्थित रहीं
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