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संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी को COP16 में विशेष आमंत्रण

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बीकानेर, 9 नवंबर, 2024 l राजकीय डूँगर महाविद्यालय बीकानेर के एसोसिएट प्रोफेसर एवं पारिवारिक वानिकी अवधारणा के जनक श्याम सुंदर ज्याणी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा COP16 (यूएन लैंड सम्मिट ) में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह प्रतिष्ठित विश्व सम्मेलन 2 दिसंबर से 13 दिसंबर, 2024 के बीच रियाद, सऊदी अरब में आयोजित किया जाएगा।

प्रोफेसर ज्याणी का यह आमंत्रण उनके पर्यावरण संरक्षण में योगदान और भूमि पुनर्स्थापन के क्षेत्र में उनकी अनूठी पहल का सम्मान है। उन्होंने पारिवारिक वानिकी के माध्यम से भूमि संरक्षण के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। इस पहल के अंतर्गत, उन्होंने पेड़ों को परिवार का सदस्य मानते हुए न केवल वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया बल्कि स्थानीय समुदायों को भी इस अभियान से जोड़ा। यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें पेड़ों को परिवार का हिस्सा समझा जाता है और उनकी देखभाल वैसी ही की जाती है जैसे किसी परिवार के सदस्य की होती है।

पारिवारिक वानिकी की यह पहल केवल वृक्षारोपण तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके अंतर्गत प्रोफ़ेसर ज्याणी ने सामुदायिक भागीदारी के ज़रिए राजस्थान के रेगिस्तान में स्थानीय घासों व अन्य देशज वनस्पति, वन्य जीवन के संरक्षण को बढ़ावा दिया है । प्रदेश भर के 18 हज़ार से अधिक गाँवों के 20 लाख से ज़्यादा परिवारों को पारिवारिक वानिकी से जोड़ते हुए प्रोफ़ेसर ज्याणी अब तक 40 लाख से अधिक वृक्षारोपण करवा चुके हैं और 200 से अधिक संस्थागत वन इनके नेतृत्व व मार्गदर्शन में विकसित हो चुके हैं । इसके अलावा, ज्याणी ने जन पौधशालाओं का नेटवर्क विकसित किया है इन जन पौधशालाओं से प्रतिवर्ष 2 लाख से अधिक फलदार व स्थानीय क़िस्मों के पौधे निःशुल्क वितरित किए जाते हैं ।
डूँगर कॉलेज के प्राचार्य डॉ आर के पुरोहित ने बताया कि प्रोफेसर ज्याणी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्पेशल गेस्ट के रूप में COP16 में भाग लेने हेतु आमंत्रित करना हमारे संस्थान के लिए गौरव का विषय है और यह इस बात का प्रमाण है कि पर्यावरणीय सुरक्षा की दिशा में उनकी कोशिशें वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। हम उन्हें इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई देते हैं और आशा करते हैं कि उनका अनुभव और ज्ञान वैश्विक मंच पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
डूँगर महाविद्यालय में ज्याणी द्वारा विकसित गांधी संस्थागत वन वैश्विक नेटवर्क एनपीयू का हिस्सा है । एनपीयू को दुनिया के नंबर वन विश्वविद्यालय ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी इंग्लैंड और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा आहूत किया गया । विश्व के 670 विश्वविद्यालय इस नेटवर्क का हिस्सा हैं हाल ही में ज्याणी को एनपीयू ने स्टाफ चैंपियन के दर्जे से सम्मानित किया है ।
संयुक्त राष्ट्र के भूमि संरक्षण से संबंधित सर्वोच्च वैश्विक पुरस्कार लैंड फॉर लाइफ अवॉर्ड से सम्मानित ज्याणी के मार्गदर्शन और प्रेरणा से बीकानेर के लूनकरणसर स्थित देव जसनाथ अवतार भूमि डाबला तालाब सहित पश्चिमी राजस्थान में स्थानीय स्तर पर सैकड़ों हेक्टेयर बंजर भूमि के पुनर्निर्माण से विभिन्न प्रजातियों की वनस्पतियाँ और वन्यजीव अब फिर से फल-फूल रहे हैं। यह कार्य न केवल जैव विविधता को बढ़ावा देता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध एक सशक्त समाधान भी प्रस्तुत करता है।
उन्हें यह भी मान्यता मिली है कि उनके प्रयासों ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों विशेष रूप से SDG 15 – लाइफ ऑन लैंड, को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई है। उनकी पहल ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रेरणा जाग्रत की है। बीकानेर में उनके नेतृत्व में चल रही विभिन्न परियोजनाओं ने सामुदायिक वनस्पति संरक्षण को बढ़ावा दिया है, कॉप -16 में ज्याणी इन्हीं सब कार्यों विशेषरूप से डाबला तालाब की मुहिम को दुनियाभर के विशेषज्ञों व नेताओं से साझा करेंगे।
देव जसनाथ संस्थागत वन मंडल अध्यक्ष बहादुरमल सिद्ध ने इसे पूरे जसनाथी समुदाय के लिए गर्व का विषय बताते हुए कहा कि जसनाथ जी की पर्यावरणीय शिक्षाओं के वैश्विक मंच पर उल्लेख से दुनिया को जलवायु परिवर्तन से मुक़ाबले में मज़बूती मिलेगी।

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