सर्दी में बिजली के गर्मी जैसे हालात, 4-4 घंटे कटौती:9 यूनिट ठप, फसलों पर संकट, दीपावली के बाद बढ़ी डिमांड
सुबह, दोपहर या शाम यदि अचानक पावर कट हो जाए या लाइट चली जाए तो हैरान होने की जरूरत नहीं है। प्रदेश में दीपावली के बाद से एक बार फिर अघौषित बिजली कटौती का दौर शुरू हो चुका है। प्रदेश के बड़े शहरों व जिलों में करीब 3 से 4 घंटे की कटौती की जा रही है। यानी बिजली कटौती को लेकर नवंबर में जून जैसे हालात हो चुके हैं।
इधर, सबसे बड़ा संकट रबी की फसल को लेकर बताया जा रहा है। इस अघोषित कटौती का कारण दीपावली के बाद अचानक बढ़ी डिमांड है। वहीं दूसरा सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है कि प्रदेश की 9 यूनिट ठप हो चुकी है। ऐसे में प्रदेश में एक बार फिर से बिजली संकट गहरा गया है।
इसी पावर क्राइसिस के साथ प्रदेश में तीनों डिस्कॉम कंपनियों जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JVVNL), अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (AVVNL) , जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JDVVNL) ने घोषित बिजली कटौती शुरू कर दी है।बिजली डिस्कॉम या ऊर्जा विकास निगम के अधिकारी मामले पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
केंद्र की गाइडलाइंस के मुताबिक राजस्थान में 26 दिन का कोयला स्टॉक मेंटेन करके रखना चाहिए। लेकिन पिछले डेढ़ साल से यह मेंटेन नहीं हो पा रहा है। हालात यह हैं कि राजस्थान के थर्मल पावर प्लांट्स में फ्यूल के तौर पर सिर्फ 2 से 6 दिन का कोयला स्टॉक बचा है। राजस्थान में कोल बेस्ड पावर प्लांट यूनिट्स की कुल कैपेसिटी 7580 मेगावाट है। इसलिए यह स्थिति खतरे की घंटी है
ये दो कारण, जिनकी वजह से बढ़ी डिमांड
दीपावली के बाद बढ़ी डिमांड: राजस्थान में दीपावली के त्योहारी सीजन के बाद बीते एक सप्ताह में बिजली की अधिकतम डिमांड 3000 मेगावाट बढ़ गई है। अब बिजली की अधिकतम खपत 14000 मेगावाट के लगभग पहुंच गई है। दीपावली का त्योहार गुजरने के बाद बिजली की डिमांड बढ़ने का बड़ा कारण इंडस्ट्रीज और फैक्ट्रियों का वापस खुलना है।
यूनिट्स ठप, कोयला भी नहीं: 2177 मेगावाट की 9 बिजली यूनिट्स अलग-अलग पावर प्लांट्स में ठप पड़ी हैं। बिजली की उपलब्धता करीब 2500 मेगावाट तक कम बताई जा रही है। पावर प्लांट्स में 2 से 6 दिन का ही कोयला बचा है।कोयले को थर्मल पावर प्लांट्स में फ्यूल के तौर पर काम में लिया जा रहा है।
रबी की सीजन में जून के बराबर डिमांड
इसके अलावा खेत-खलिहानों में भी नवंबर से फरवरी तक रबी का फसली सीजन आ गया है। इसलिए सिंचाई के लिए पम्प, ट्यूबवेल-मोटर चलाने के लिए बिजली की जरूरत पड़ रही है। रबी सीजन के दौरान बिजली की अधिकतम डिमांड 16500 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। घरेलू कनेक्शनों में भी पानी गर्म करने, नहाने-धोने के लिए पावर कंजंप्शन करने वाले गीजर का इस्तेमाल शुरू हो गया है। दीपावली से दो दिन पहले तक मेंटीनेंस के नाम पर और अघोषित रूप से 4-4 घंटे की बिजली कटौती रोजाना अलग-अलग इलाकों में हो रही थी।
एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि किसानों को दिन में भी बिजली देने का सरकार ने वादा कर रखा है। ऐसे में बिजली की मांग बढ़ती जा रही है।
पीक डिमांड 14 हजार MW तक पहुंची, दिवाली पर 11000 MW थी
पिछले तीन दिन में लगातार पीक आवर्स में बिजली की डिमांड 13643, 13987 और 13914 मेगावाट आई है। जबकि दिवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर तक डिमांड 11000 मेगावाट थी। इस साल गर्मियों के मौसम में 28 जून को अधिकतम बिजली की पीक डिमांड 16 हजार 12 मेगावाट तक रह चुकी है। राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का अनुमान है कि 16500 मेगावाट के पास रबी के फसली सीजन में बिजली की पीक डिमांड जा सकती है। RUVNL का एक आंतरिक असेसमेंट यह भी है कि 17500 मेगावाट तक अधिकतम बिजली की डिमांड इस साल 2022-23 में जा सकती है।
विंड एनर्जी 2.12 करोड़ यूनिट से घटकर 39.38 लाख यूनिट रह गई
प्रदेश में हवा की रफ्तार घटने से विंड एनर्जी भी घट गई है। 1 अक्टूबर को करीब 2.12 करोड़ यूनिट विंड एनर्जी जनरेट हुई। जो 30 अक्टूबर तक घटते-घटते 39.38 लाख यूनिट ही रह गई है। इस साल में 9 जून को 6.92 करोड़ यूनिट विंड एनर्जी पैदा हुई थी। जो किसी दिन में हवा से जनरेट होने वाली सबसे ज्यादा बिजली थी।
अलग-अलग बिजली-घरों में 2177.50 MW कैपेसिटी की 9 यूनिट बंद हैं प्रदेश के अलग-अलग बिजली घरों में 2177.50 मेगावाट कैपेसिटी की 9 यूनिट बंद हैं। जो पावर प्रोडक्शन करती हैं। यह भी बिजली संकट का बड़ा कारण बना हुआ है। सूरतगढ़ थर्मल पावर स्टेशन की 1, 3, 5 और 6 नम्बर की 250-250 मेगावाट की चार यूनिट ठप पड़ी हैं। इनकी तीन यूनिट एक-एक कर 15, 16 और 20 अक्टूबर को बंद हो गईं। सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की 660 मेगावाट की 8 नम्बर यूनिट भी 16 अक्टूबर से ठप है। कोटा थर्मल की 3 नम्बर की 210 मेगावाट यूनिट 8 अगस्त से ही बंद चल रही है। राजवेस्ट की 1 नम्बर की 135 मेगावाट की यूनिट बेड मेटेरियल लीकेज के कारण 24 अक्टूबर से बंद करनी पड़ी है। राजवेस्ट की 6 नम्बर की 135 मेगावाट की यूनिट भी 28 अक्टूबर से बंद हो गई है। रामगढ़ जीटी-2 की 37.50 मेगावाट यूनिट 10 दिसंबर 2021 से ही ठप पड़ी है।
2120 MW बिजली खरीद और
उधार लेकर चलाएंगे काम
पावर क्राइसिस से निपटने के लिए राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने जो प्लान तैयार किया है। उसके बावजूद 2000 मेगावाट तक बिजली की और कमी पड़ सकती है। RUVNL ने कोस्टल गुजरात पावर लिमिटेड से कॉन्ट्रैक्ट के तहत 380 मेगावाट पावर परचेज फिर से शुरू कर दी है। पावर एक्सचेंज से भी 300 मेगावाट तक बिजली लेने का प्लान किया है। सर्दी के मौसम में नवम्बर से फरवरी तक रबी का फसली सीजन है। इस दौरान बिजली की अधिकतम डिमांड 16500 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। इससे निपटने के लिए उत्तरप्रदेश की बिजली डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियों से 15 नवम्बर से 1500 मेगावाट बिजली बैंकिंग प्रोसेस से ली जाएगी। इसके तहत जितनी बिजली RVUNL लेगा, उतनी ही बाद में लौटानी भी होगी। अगले साल अप्रैल से सितम्बर 2023 के बीच राजस्थान को UP को यह बिजली लौटानी होगी। उस वक्त UP में बिजली की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इसके अलावा शॉर्ट टर्म टेंडरिंग के आधार पर 250 मेगावाट बिजली और खरीदी जाएगी। सूत्र बताते हैं कि इसके अलावा और बिजली की डिमांड होने पर पावर एक्सचेंज के जरिए डेली रीयल टाइम मॉनिटरिंग कर बिजली की खरीद की जाएगी।

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