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सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में युवाओं के लिए समकालीन राजस्थानी युवा कविता के स्वर कार्यक्रम की दूसरी कड़ी आयोजित

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राजस्थानी की युवा कविता अंधकार दूर होने और रोशनी की उम्मीद देती है: जोशी


बीकानेर/ सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बीकानेर के तत्वावधान में समकालीन राजस्थानी युवा कविता के स्वर कार्यक्रम की दूसरी कड़ी का आयोजन रविवार को बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की, कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कवयित्री-गीतकार मनीषा आर्य सोनी थी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि आज की राजस्थानी कविता आधुनिक कविता के साथ तालमेल बना रही है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी के युवा कवियों की रचनाएं बिम्ब, प्रतीक के साथ मनुष्यता के बोध की बात करती है ।जोशी ने कहा कि राजस्थानी की युवा कविता अंधकार दूर होने और रोशनी की उम्मीद देती है। जोशी ने कहा कि तीनो युवा कवियों ने अपनी बात राजस्थानी कविता के माध्यम से प्रमाणिकता के साथ रखते हुए कसौटी पर खरे उतरते है।
मुख्य अतिथि मनीषा आर्य सोनी ने कहा कि युवा कवियों का मातृभाषा के प्रति प्रेम एक आश्वस्ति प्रदान करता है । अपने मनोभावों को अपनी भाषा में अभिव्यक्त करना एक तरफ भाषा के वैभव को अभिव्यक्त करता है वहीं दूसरी ओर कवि को आत्मबल भी प्रदान करता है , सोनी ने कहा कि राजस्थानी भाषा के युवा कवियों को सुनकर लगा की इस वेग को रोकना असंभव है ।
रविवार को आयोजित कार्यक्रम में राजस्थानी के तीन युवा कवियों ने अपनी शानदार प्रस्तुति से कार्यक्रम को उमंग और जोश से भर दिया
आज के युवा कवियों में गंगा बिशन बिश्नोई, विनीता शर्मा एवं विपल्व व्यास ने अपनी प्रस्तुति दी। युवा कवि गंगा बिशन ने बेलीपो, म्हें माटी हूँ, अधराते, आज फेर एवं लिखणो चावूं हूँ कागद जैसी भावपूर्ण राजस्थानी कविताएं सुनाकर वाह वाही लूटी ।
युवा कवयित्री विनीता शर्मा ने लोकधर्मी कविताएं सीधी-सरल भाषा में पढ़ते हुए रेचन, फगत बोऊं आखर, सांस-आस,प्रेम-सार,एवं भेळप-सेळप सहित अनेक कविताएं सुनाकर दाद बटोरी। युवा कवि विप्लव व्यास ने शानदार
झाला देती डूगरी मोटा मोटा मैळ सैज सवाई सायबा रखै नैण री रैण बात्या रा ऐ मांडै माडणा आवै ना सुख अर चैण रैयी पीड री पीड जैसे लोक गीत सुनाकर श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया।व्यास ने आव बाबा आव ,झाडौ, सरम, देस मा ,बोल तौ सरी, कोटडी, लुगाई, तपसी बापजी,बापजी शीर्षक की अनेक रचनात्मक प्रस्तुती दी।
तीनों कवियों की प्रस्तुत की गई कविताओं पर त्वरित टिप्पणी करते हुए डाॅ. कृष्णा आचार्य ने राजस्थानी साहित्य का भविष्य उज्जवल है, युवा कवियों की सृजन धर्मिता के नये आयाम आज इंद्रधनुसी रंगो की तरह हमारे सामने आये. मौलिकता के साथ भाव, भाषा, संवेदनाओं की त्रिवेणी बही।
प्रारंभ में कार्यक्रम प्रभारी साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने स्वागत उद्बोधन करते हुए कहा कि आगमी समय में संस्थान द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे, स्वर्णकार ने युवाओं को राजस्थानी भाषा-संस्कृति से जोड़ना एवं निरंतर बनाए रखना आवश्यक बताया।
कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए व्यंग्यकार संपादक डॉ अजय जोशी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि नव किरण सृजन मंच युवाओं के लिए आयोजित कार्यक्रम में सदैव अग्रणी भूमिका निभाएगा।
अतिथियों ने तीनों युवा कवियों को स्मृति चिह्न एवं नगद राशि देकर सम्मान किया तथा नव किरण प्रकाशन की ओर से पुस्तके भी भेंट की गई, तथा बागेश्वरी कला साहित्य संस्थान की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किए गए कार्यक्रम के अंत में शायर अब्दुल शकूर सिसोदिया ने सभी का आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम का प्रभावी संचालन वरिष्ठ कवि जुगल किशोर पुरोहित ने किया।
कार्यक्रम में प्रोफेसर नरसिंह बिन्नाणी, डॉ. मोहम्मद फारुख चौहान, डाॅ.शंकरलाल स्वामी ,एडवोकेट महेंद्र जैन , मुक्ता तैलग, रवि पुरोहित, मोनिका गौड, शंशाक शेखर जोशी, कैलाश टाक, शिव दाधीच, गायत्री शर्मा , चन्द्रशेखर शर्मा, अभिताभ व्यास
सहित अनेक महानुभाव उपस्थित हुए।

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